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मैं इस कारवाँ को बेशुमार मुश्किलों, अनगिनत तकलीफों को झेलकर यहां तक लेकर आया हूँ।

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‘मैं इस कारवाँ को बेशुमार मुश्किलों, अनगिनत तकलीफों को झेलकर यहां तक लेकर आया हूँ। मेरे अनुयायी अगर मेरे बाद इसे आगे न भी ले जा सकें तो इसे यहीं पर छोड़ दें, लेकिन किसी भी कीमत पर इसे पीछे न जाने दें….!’
                – बाबासाहेब भीमराव अम्बेडकर

आज (6 दिसंबर 2022) को बाबासाहेब अम्बेडकर के परिनिर्वाण के 66 वर्ष पूरे होने पर देश-दुनिया में करोड़ों लोगों द्वारा उन्हें ‘कोटि कोटि नमन’ अर्पित किए जाने के बीच यही प्रश्न दिन भर दिमाग में कौंधता रहा कि- क्या उनके जाने के 66 वर्ष बाद उनका कारवाँ आगे बढ़ा है, जहां उन्होंने छोड़ा है वहीं पर खड़ा है या फिर (बहुत) पीछे चला गया है?

‘कोटि कोटि नमनों’  की अनवरत श्रृंखला के बीच अगर कहीं कोई छोटी, बड़ी परिचर्चा, बहस आदि बाबासाहेब के इस उपरोक्त वक्तव्य पर भी हुई होती तो ऐसे करोड़ों, अरबों ‘कोटि कोटि नमनों’ की सार्थकता कहीं बेहतर तरीके से सिद्ध होती।

पता नहीं, बाबासाहेब आज अगर होते तो अपने कारवाँ की हालत देख कर कैसा महसूस करते।

प्रमोद कुरील (पूर्व सांसद- राज्य सभा)
राष्ट्रीय अध्यक्ष- बहुजन नैशनल पार्टी,
नयी दिल्ली।
6 दिसंबर 2022

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