KAL KA SAMRAT NEWS INDIA

हर नजरिए की खबर, हर खबर पर नजर

Home » सांस्कृतिक, आर्थिक और सामाजिक एकता का प्रहरी है मीडिया, डॉ फ़िरोज़ खानमीडियाकर्मी शिक्षाविद

सांस्कृतिक, आर्थिक और सामाजिक एकता का प्रहरी है मीडिया, डॉ फ़िरोज़ खान
मीडियाकर्मी शिक्षाविद

Spread the love

सांस्कृतिक, आर्थिक और सामाजिक एकता का प्रहरी है मीडिया, डॉ फ़िरोज़ खान
मीडियाकर्मी शिक्षाविद

जाने माने अमेरिकी गायक, गीतकार, कवि, लेखक जिम मॉरिसन ने कहा था “जो मीडिया को नियंत्रित करता है, वह दिमाग को नियंत्रित करता है”। इस वाक्य के माध्यम से मीडिया की ताकत का अंदाजा लगाना मुश्किल नहीं है। हम मीडिया संस्कृति में रहते हैं और जो कोई भी मीडिया को नियंत्रित करता है और प्रभावित करता है और उसका उपयोग करता है, उसके पास परिवर्तन की शक्ति है। परिवर्तन अल्पकालिक हो सकते हैं और दूरगामी भी हो सकते हैं, सकारात्मक और नकारात्मक भी हो सकते हैं। अर्थात मीडिया की शक्ति एक समाज को परिवर्तित करने का एक जरिया है जिसके माध्यम से दूरगामी सकारात्मक परिवर्तन समाज में फैलाए जा सकते है। परिवर्तन की शक्ति किसी भी देश, किसी भी समाज, किसी भी कम्युनिटी को एक दिशा में अग्रसर कर सकती है अर्थात मीडिया एक ऐसी शक्ति है जिसके द्वारा किसी भी देश की आर्थिक राजनीतिक सामाजिक एकरूपता को उसकी शक्ति को एक सही दिशा दी जा सकती है।
यह सर्वविदित है कि किसी भी आजाद देश में जहां लोकतांत्रिक व्यवस्था है वहां पर विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका के द्वारा किए गए क्रियाकलापों और उन क्रियाकलापों का समाज पर पड़ते प्रभाव पर नजर रखने के लिए उनकी समालोचना और समीक्षा करने के लिए मीडिया को चौथे स्तंभ के रूप में जाना और माना जाता है। कोई भी देश अपने स्वतंत्रता आंदोलन में यदि सफल हुआ है, चाहे वह अमेरिका हो या फ्रांसीसी क्रांति का वक्त, जनता के सम्मुख पहुंचना और उसे जागृत बनाने में मीडिया ने एक अविस्मरणीय भूमिका निभाई है। अगर हम हमारे देश भारत की बात करें तो महात्मा गाँधी, लोकमान्य तिलक और सुभाष चंद्र बोस जैसे सभी स्वतंत्रता सेनानियों ने अपनी बात जन जन तक पहुंचाने के लिए उन्हें अपनी आजादी का महत्व समझाने के लिए मीडिया का उपयोग किया। जिसके द्वारा आजादी की जनचेतना की मशाल गांव गांव पहुंची और हम आजाद हो पाए।
अगर हम एक समग्र और पूर्ण रूप से मीडिया की बात करें तो इलेक्ट्रॉनिक माध्यम, प्रिंटिंग प्रेस,सिनेमा, इंटरनेट और सभी सूचना के माध्यम मीडिया में सम्मिलित हो सकते हैं और इन सभी माध्यमों के जरिए मिल रही सूचनाएं और इनकी द्वारा प्रकाशित और प्रसारित कार्यक्रमों के जरिए समाज में प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से प्रभाव पड़ता है। इन प्रभावों के जरिए ही समाज में सकारात्मकता और नकारात्मकता बढ़ती है अथवा कम होती है,गौर करने वाली बात यह है की 16वीं शताब्दी से प्रिंटिंग प्रेस का उद्भव होने से आज सोशल मीडिया तक पहुंचने का जो सफर है इसमें समाज केंद्र में रहा है। कहा जा सकता है कि मीडिया समाज का आईना है और यूं भी कहा जा सकता है कि समाज में हो रही घटनाओं के लिए मीडिया प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष रूप से जिम्मेदार है। राष्ट्र की एकता और अखंडता उस राष्ट्र की शक्ति होती है। भारत देश विविधताओं का देश है जहां पर हर दिन हर प्रदेश की हर राज्य की हर जिले की एक अपनी संस्कृति है एक अपनी सामाजिक रूप है, एक अपनी अलग पहचान है अगर हम अपनी अलग अलग पहचान को बनाए रखकर एक दूसरे की सांस्कृतिक और सामाजिक अवधारणाओं और रीति.रिवाजों का सम्मान करते हैं वही एक सांस्कृतिक और सामाजिक एकता कहलाती है और जिस राष्ट्र में जिस समाज में लोगों के बीच एक सांस्कृतिक, सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक एकरूपता रहती है उस राष्ट्र की उन्नति का पथ और प्रदर्शित होता है। उन्नति की गति को बढ़ावा मिलता है। इस राष्ट्रीय संस्कृति और आर्थिक और सामाजिक एकता के बीच में सामंजस्य बनाए रखने का जो महत्वपूर्ण पुल कहे या माध्यम कहे वह मीडिया हैं।
समाज में एराष्ट्र में और पूरे विश्व में घटित हो रही विभिन्न प्रकारों की घटनाओं और सूचनाओं की जानकारी मीडिया के माध्यम से ही मिलती है अतः वह सूचनाएं वह घटनाएं, उन घटनाओं की जानकारी समाज के सामने लाने में निष्पक्ष और सही परिपेक्ष में प्रस्तुत करना चाहिए। घटनाओं का प्रस्तुतीकरण इस प्रकार का हो जिसके द्वारा समाज में वैमनस्यए भेदभाव, घृणा ना फैले।
खबरों को खबरों की अंदाज में ही प्रस्तुत किया गया हो ताकि उन खबरों का समाज पर कोई बुरा प्रभाव ना पढ़ सके। स्वार्थ या किसी के दबाव में आकर मीडिया अपनी उस भूमिका से बचने की कोशिश करें जहां पर मीडिया पर सवालिया निशान लगाए जाने की आशंका हो पत्र.पत्रिकाओं में टीवी में रेडियो में अन्य माध्यमों के द्वारा उत्तम लेख अच्छे कार्यक्रम ज्ञानवर्धक सूचनाएं श्रेष्ठ मनोरंजन और अच्छी खबरों का समावेश हो जिसके द्वारा समाज को सही दिशा प्रदान की जा सके। समाज की नीति परंपराओं एमान्यताओं, सभ्यता और संस्कृति के प्रहरी के रूप में महत्वपूर्ण भूमिका मीडिया ही निभाता है और मीडिया ही निभा सकता है क्योंकि अक्सर यह देखा गया है कि इन्हीं परंपराओं मान्यताओं और संस्कृति के नाम पर समाज को बांटा जाता है तथा समाज में वैमनस्य फैलाया जाता है। अतः मीडिया की सबसे बड़ी और दोहरी जिम्मेदारी है कि इन परंपराओं को सांस्कृति और अपनी सभ्यताओं को लोगों तक सही तरीके से पहुंचाएं और इनके नाम पर फैलाई जा रही राजनीति से लोगों को बचाएं ताकि समाज का विघटन ना हो और हमारा समाज हमारा राष्ट्र एक समृद्ध और सुखी राष्ट्र बन सके।

आज जब समाज में इंटरनेट और सोशल मीडिया की अधिकता से पत्रकारिता पर भी सवालिया निशान लगाए जा रहे हैं, उनकी नैतिकता पर भी सवाल उठाए जा रहे हैं तब मीडिया की, मीडियाकर्मियों की यह दोहरी जिम्मेदारी बन जाती है की केवल प्रेरक और हितकारी सूचनाओं के जरिए समाज में फैली बुराइयों, अंधविश्वास, द्वेष जैसी बुराइयों को दूर करने का प्रयास करें। येलो जर्नलिज्म जैसी अनचाही पत्रकारिता के द्वारा भी मीडिया की भूमिका को विरूपित किया जा रहा है जिसके कारण समाज में असमानता, अविश्वास फैलता है जो कि हमारी सदियों से चली आ रही सांस्कृतिक आर्थिक और सामाजिक एकता पर चोट करती है। मीडिया की भूमिका एक प्रेरक की भूमिका है। मीडिया के द्वारा समाज में नैतिकता और संस्कृति का पाठ पढ़ाया जा सकता है अतः आज के दौर में जहां सामाजिक तनाव, संघर्ष, मतभेद, युद्ध और दंगों में समाज में फ़ैल रहे है। वहां मीडिया एक समाज सेवक के रूप मे, सकारात्मक मार्गदर्शक के रूप में एक प्रहरी के रूप में एक नेतृत्वकर्ता के रूप में आगे आकर समाज को संगठित कर अपनी सांस्कृतिक राजनीतिक और आर्थिक एकता को बचा सकता है और यह एकता ही भारतवर्ष की इस राष्ट्र की शक्ति है।

Skip to content