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CM Gehlot ने शासन सचिवालय में किसानों, पशुपालकों, डेयरी संघ के पदाधिकारियों एवं जनजाति क्षेत्रों के प्रतिनिधियों के साथ प्री बजट मीटिंग के पश्चात मीडिया से बात की

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जयपुर 9 दिसंबर : ये तय किया है कि हर साल, किसानों का बजट जो पेश किया है क्योंकि पहला बजट होता है, अब हर साल अलग ही बजट पेश किया जाएगा किसानों का और युवाओं के लिए मैंने कहा है कि युवाओं को, छात्रों को, बच्चों के लिए हम इस बार ये कोशिश करेंगे कि उनको प्रायोरिटी मिले बजट के अंदर पर किसानों का बजट अलग पेश होगा, धीरे-धीरे किसानों में और जागृति आएगी कि सरकार जब अलग बजट पेश कर रही है तो हम नए-नए सुझाव दें उनको और उसी ढंग से हम लोग आगे बढ़ते जाएंगे। डेमोक्रेसी के अंदर सरकारों पर दबाव पड़ना जरूरी होता है, आलोचना भी होती है, कमियां बताई जाती हैं, हम उनको वेलकम करते हैं, हम, एनडीए गवर्नमेंट में जो लोग बैठे हुए हैं भारतीय जनता पार्टी वाले उनकी तरह नहीं हैं कि आलोचना को बर्दाश्त मत करो, असहमति व्यक्त करे तो आप जेल जाओ, आप देशद्रोही हो, राजद्रोही हो, कई पत्रकार, कई साहित्यकार, कई लेखक, मैं बार-बार बोलता क्यों हूं? कि सच्चाई है, जनता को मालूम पड़ना चाहिए, जेल में बैठे हुए हैं लोग बाग, आपको हमको गिनती नहीं मालूम है, घटनाएं-दुर्घटनाएं सुनते रहते हैं, पढ़ते रहते हैं, तो ये लोकतंत्र में अच्छा नहीं है, मतलब ये शुभ संकेत नहीं है, हम चाहते हैं कि एक बजट पेश किया, अब धीरे-धीरे उनके दबाव बढ़ेगा उनकी सरकारों पर, अच्छे सुझाव आएंगे, फिर अपने आप अलोकेशन बढ़ेगा, इस प्रकार से राजस्थान में खेती को लेकर, इरिगेशन एक तरफ आगे बढ़े, हमने इंदिरा गांधी कैनाल की जो मरम्मत का काम था, पिछली बार इतना बड़ा काम हुआ है राजस्थान के अंदर, आज सब तारीफ कर रहे थे, उसके कारण कितना रकबा बढ़ गया खेती का, पानी वेस्ट जाता है, आज भी जो हमें हमारी कैपेसिटी कम होने से जो पानी हमें मिलना चाहिए, उतना पानी ले नहीं पा रहे हैं हम लोग, तो कहने का मतलब है कि सिंचाई के साधन बढ़ें, किसानों की आय दोगुनी करने की बात तो कर दी प्रधानमंत्री जी ने, पर हो कहां रही है? उसके लिए भारत सरकार को क्रांतिकारी कदम उठाने चाहिए, राज्यों के साथ मिलकर बात करनी चाहिए कि क्या-क्या कदम उठाएं, जिससे मैंने जो वादा किया था देशवासियों से कि दोगुनी आमदनी करेंगे 2022 तक, 2022 भी जा रहा है, दोगुनी आमदनी हो गई क्या उनकी? और खाली कोई राज्य नहीं कर सकता है, जब तक केंद्र-राज्य मिलकर ऐसी योजनाएं बनाएं, ऐसी सोच डेवलप करें जिससे कि आमदनी डबल हो, इस पर हम चाहते हैं कि आगे बढ़ें हम लोग जितना कर सकते हैं, तो ये तमाम बातें मीटिंग में एक से बढ़कर एक सुझाव दिए, सब अनुभवी किसान लोग आए थे, अच्छा लगा, हम लोगों ने उनका स्वागत भी किया और बाकी जो हमारे फ्लैगशिप प्रोग्राम हैं, चाहे वो राइट टू हेल्थ है, हम चाहते हैं कि भारत सरकार, प्रधानमंत्री जी पूरे देशवासियों को स्वास्थ्य का अधिकार दें, दवाइयों पर पैसा खर्च नहीं हो, इलाज फ्री हो देशवासियों का, हमने शुरुआत कर दी है, हम चाहते हैं कि ऐसी स्कीम्स जो हैं, सोशल सिक्योरिटी है, पेंशन मिलती है 1500 रुपए यहां पर, पर भारत सरकार देती है 200 रुपए देती है उसके अंदर, हम चाहते हैं कि आप पूरे देश के अंदर नीति बनाओ पेंशन की, 21st सेंचुरी में आ गए हैं, दुनिया के मुल्कों में घर बैठे हुए वीकली पैसा आता है, जो नीडी परिवार होता है, हर आदमी को जिंदा रहने का हक़ है, मैंने कोरोना में कहा था कि कोई आदमी भूखा नहीं सोए, मुझे खुशी है कि प्रदेशवासियों ने, एक्टिविस्ट्स ने, एनजीओ ने, धर्मगुरुओं ने और सब कार्यकर्ताओं ने उसको निभाया, तो जो आज मैं कह रहा हूं कि सुप्रीम कोर्ट ने कहा अभी 4 दिन पहले भारत सरकार को कि कोई भूखा नहीं सोना चाहिए, जो बात हमने कही वो ही वर्ड काम में लिए हैं सुप्रीम कोर्ट ने काम में लिए हैं, इसके मायने क्या हैं? सुप्रीम कोर्ट भी चाहता है कि देश के अंदर कोई भूखा नहीं सोए, उसके लिए आपको सोशल सिक्योरिटी की आवश्यकता है, तो जमाना बदल गया, अब आपको चाहिए कि एक मजदूर भी मजदूरी करते-करते थक जाता है, उसका शरीर साथ नहीं देता है तो वो क्या काम करे, तो कम से कम सरकार को चाहिए कि उसको वीकली पैसा मिले, पेंशन अच्छी मिले उसको, स्वाभिमान से वो जी सके, जिंदगी निकाल सके बुढ़ापे के अंदर, इसीलिए ओपीएस लागू हमने किया, ओपीएस की मांग किसी ने नहीं की, हमने लागू किया उसको, ये मानवीय दृष्टिकोण है कि 35 साल तक नौकरी करता है, फिर वो तरसता है कि मुंबई में स्टॉक मार्केट ऊपर जाएगा कि नीचे जाएगा, पेंशन मुझे कितनी मिलेगी मालूम ही नहीं है किसी को, आज वहां हिमाचल के अंदर आंदोलन किया कर्मचारियों ने, आज सरकार कांग्रेस की बनी है, अच्छा कैंपेन हुआ, अच्छा मैनेजमेंट था, अच्छे टिकट डिस्ट्रीब्यूट किए, प्रियंका गांधी खुद गईं कैंपेन करने, पर साथ में वहां जो ओपीएस था, ओपीएस की बहुत बड़ी भूमिका थी वहां चुनाव जिताने के अंदर, तो मैं ये कहना चाहूंगा प्रधानमंत्री महोदय को कि मोदी जी वो कुछ काम ऐसे हैं जो राज्य सरकारें और केंद्र मिलकर ही कर सकती हैं, जैसे कोरोना में करने का प्रयास किया गया, उसी ढंग से सोशल सिक्योरिटी, पेंशन का काम है, ये राइट टू हेल्थ वाला काम है, शिक्षा का काम है, इसमें हम सब मिलकर काम कर सकते हैं, उड़ान हमने योजना चालू की है लोग संकोच में बोलते नहीं हैं, गांवों की महिलाएं घूंघट के अंदर रहती हैं, इन्फेक्शन हो जाते हैं उनके, बांझ हो जाती हैं बच्चा पैदा नहीं होता है, बीमारी कैंसर हो जाता है उनको, बोलती ही नहीं हैं वो घर में, संकोच होता है सदियों से, अब वो टाइम छोड़ो उसका, टाइम आ गया है कि आप, एक पत्रकार ने मुझे कहा कि मेरी बेटी मुझे कहती है कि पापा जब आप आओ तो नैपकिन लेकर आना, कोई संकोच की बात नहीं रही है। हमने 12 नैपकिन प्रतिमाह दे रहे हैं हम लोग महिलाओं के लिए सभी को, सभी प्रदेशवासी महिलाओं को, तो एक बहुत बड़ा क्रांतिकारी कदम वो भी है। अब पब्लिक को चाहिए कि वो कम से कम हमारी योजनाओं का लाभ उस गरीब तक पहुंचाए जिस गरीब को मालूम ही नहीं होता है कि योजना है क्या, तो हम कोशिश कर रहे हैं कि इस प्रकार धीरे-धीरे लोगों तक बात पहुंचे।

सवाल- राहुल जी की यात्रा में जबरदस्त जनसैलाब उमड़ रहा है, सोनिया जी और प्रियंका जी भी जुड़ रही हैं महिलाओं के साथ, किस तरह से आप राजस्थान में…?
जवाब- वो यात्रा तो बहुत कामयाब रही है, भारतीय जनता पार्टी तो पूरी विचलित हो गई है, चिंतित हो गई है, इसलिए यात्रा को बदनाम करने के लिए बहुत हथकंडे अपनाए गए, पर यात्रा का कारवां चल पड़ा है और मांग क्या है? महंगाई, बेरोजगारी और शांति, सद्भाव, प्यार, मोहब्बत, हिंसा नहीं होनी चाहिए, यही तो मांग कर रहे हैं, तीनों बातें राहुल गांधी कह रहे हैं, तो उसका तो पूरा कारवां मैं समझता हूं कि जो लाखों लोग जुड़ रहे हैं, एक मैसेज पूरे देश में ही नहीं, दुनिया में गया है उसका

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