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पायलट बोले- पेपरलीक के दलालों की बजाय सरगना को पकड़ें:कहा- जब भी एग्जाम कैंसिल होने की खबर सुनता हूं, मन आहत होता है

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पायलट बोले- पेपरलीक के दलालों की बजाय सरगना को पकड़ें:कहा- जब भी एग्जाम कैंसिल होने की खबर सुनता हूं, मन आहत होता है

राजस्थान में भर्ती परीक्षाओं के पेपरलीक होने और इससे बेरोजगारों को होने वाले नुकसान को लेकर पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट ने इशारों में अपनी ही सरकार पर निशाना साधा है।

उन्होंने कहा कि नौजवानों के भविष्य की चिंता हम सबको है। सच बताता हूं, जब भी खबर पढ़ता हूं कि हमारे प्रदेश में कभी पेपर लीक हो गए, कभी परीक्षा कैंसिल हो गई तो मन आहत होता है। पीड़ा होती है। पायलट सोमवार को नागौर के परबतसर में किसान सम्मेलन में बोल रहे थे।

पायलट ने कहा कि गांव का नौजवान अगर परीक्षा की तैयारी करता है तो उसके माता-पिता को कितनी तकलीफ उठानी पड़ती है? कहां से वह ट्यूशन के पैसे लाते हैं, कहां से वह किताबों के पैसे लाते हैं। दिन-रात मेहनत करता है। विपरीत हालात में परीक्षा की तैयारी करता है।

नागौर जिले के परबतसर में किसान सम्मेलन में पहुंचे सचिन पायलट।
नागौर जिले के परबतसर में किसान सम्मेलन में पहुंचे सचिन पायलट।
सरगना को पकड़ना चाहिए

उन्होंने कहा कि गांव का नौजवान जब विपरीत हालात में पढ़ाई करके परीक्षा देता है, ऐसे में जब पेपर लीक होने के मामले सामने आते हैं तो सच में मन बहुत आहत होता है। मैं उम्मीद करता हूं कि ये जो छोटी मोटी दलाली करते हैं। बजाय इनके सरगना को पकड़ना चाहिए। क्योंकि इस देश का नौजवान अगर सही रास्ते पर नहीं चलेगा। उसे उसकी मेहनत का फल नहीं मिलेगा। उसके विश्वास में कमी आ जाएगी तो यह हमारे देश और प्रदेश के लिए अच्छा संकेत नहीं है।

पांच साल हमने धरने दिए, लाठियां खाईं

पायलट ने कहा- पिछले चुनावों में कांग्रेस के 21 विधायक रह गए थे, बीजेपी 163 सीटें जीतकर आई थी। पांच साल मेरी कोशिश रही कि हर कार्यकर्ता तक पहुंच सकूं। हर सीमा, हर खाई को पार कर सकें। मैं किसी के खुशी के माहौल में नहीं पहुंचा, लेकिन दुख के माहौल में जरूर शामिल हुआ।

पांच साल में पदयात्रा, घेराव किए। हमने धरने दिए, लाठियां खाईं। तत्कालीन मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के क्षेत्र में बारां से झालावाड़ तक हमने किसान न्याय यात्रा निकाली। उस समय किसान की मदद नहीं हो पा रही थी। मेरी यात्रा के बाद वसुंधरा राजे को किसानों की मांगें माननी पड़ी थीं।
एमएसपी पर किसान की फसल खरीद का कानून बने
पूर्व डिप्टी सीएम ने कहा कि किसान आंदोलन खत्म हो गया। केंद्र सरकार किसानों के आगे झुकी, लेकिन उनकी मांगें अब भी पूरी नहीं की हैं। इसलिए किसान सम्मेलन के जरिए हम केंद्र से मांग करते हैं कि एमएसपी पर फसल खरीद का कानून बनाया जाए। किसान को जहां जरूरत पड़ेगी। वहा खड़ा रहूंगा।

परबतसर जाते समय सचिन पायलट ने कार्यकर्ताओं से मुलाकात की।
परबतसर जाते समय सचिन पायलट ने कार्यकर्ताओं से मुलाकात की।
केंद्रीय मंत्री रहते हुए वीर तेजाजी पर डाक टिकट जारी करने का मौका मिला
पायलट ने कहा- आज से 12 साल पहले जब केंद्रीय मंत्री था। मुझे वीर तेजाजी पर डाक टिकट जारी करने का सौभाग्य मिला था। पहले कई केंद्रीय मंत्री रहे, लेकिन यह अवसर मुझे मिला। आज खरनाल में तेजाजी के दर्शन करने जा रहा हूं।

पायलट बोले- केंद्र में बैठे लोगों को जमीनी हकीकत पता नहीं
पायलट ने कहा कि केंद्र सरकार हमारे नौजवानों और किसानों के साथ खिलवाड़ कर रही है। अग्निवीर बनकर सेना में भर्ती होने वाले नौजवानों की चार साल बाद छुट्टी कर देंगे। किसानों के बच्चे फौज में भर्ती होते हैं। उद्योगपतियों के नहीं।
केंद्र सरकार न किसान-नौजवानों की भावनाओं को समझती है, न उन्हें जमीनी हालात का पता है। बीजेपी के लोग जब विपक्ष में थे तो कहते थे कि महंगाई डायन मार गई। आज पेट्रोल-डीजल देसी घी से महंगा कर दिया, नौजवान बेरोजगारी से परेशान है। किसान की आय दोगुना करने का वादा जुमला ही रह गया। किसान और नौजवान संगठित हो गया तो केंद्र की सत्ता से ये अफवाह फैलाने वाले चले जाएंगे।
पायलट भाषण के दौरान पेपरलीक, एमएसपी और अग्निवीर योजना पर बोले।
पायलट भाषण के दौरान पेपरलीक, एमएसपी और अग्निवीर योजना पर बोले।
हम एक हो गए तो आने वाला समय हमारा
पायलट ने कहा- मुझे ताकत देनी है तो परबतसर विधायक रामनिवास गावड़िया जैसे नेताओं के हाथ मजबूत कीजिए। राजनीति में बहुत सारे नेता हैं, जितने जिले उतने ही नेता हैं, लेकिन जो जुबान का पक्का हो ऐसे लोगों की पहचान करनी है। हम जाति, बिरादरी से बाहर निकलकर एक हो जाएंगे तो आने वाला समय हमारा होगा।
मंत्री माराम चौधरी बोले- युवाओं को मौका नहीं दिया तो धक्के मारकर कब्जा कर लेंगे, फिर क्या इज्जत रहेगी
वन मंत्री हेमाराम चोधरी ने इशारों में सीएम अशोक गहलोत पर निशाना साधा। हेमाराम चौधरी ने कहा- हम लोग 1980 से सतता और संगठन के पदों पर बैठे हैं। हम लोगयुवाओं को मौका नहीं देंगे तो कैसे चलेगा, फिर युवाओं को मौका कैसे मिलेगा। मेरी उम्र 75 साल हो गई, अगर फिर भी मैं चिपका रहूं तो यह गलत होगा। 1980 से सत्ता और संगठन में पदों पर बैठे लोगों को विचार करना चाहिए। हम विचार नहीं करेंगे तो युवा लोग धक्के मारकर कब्जा कर लेंगे, उसमें क्या इज्जत रहेगी। इज्जत इसीमें है कि युवाओं को मौका दें। हेमाराम ने बिजली की किल्लत को लेकर भरी सरकार को घेरते हुए कहा कि किसानों को बिजली नहीं देनी थी तो वादा नहीं करना थ, किसानों को पहले ही कह देते तो वे फसलें नहीं बोते। बिजली की कमी से किसान परेशान हैं।
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