राहुल गांधी और कांग्रेस पार्टी से तमाम वैचारिक एवम राजनीतिक विरोध के बावजूद, राहुल गांधी को इस (तथाकथित) मानहानि के मामले में 2 वर्ष की सज़ा तथा उनकी लोकसभा की सदस्यता को समाप्त किये जाने का मामला “सत्ता” के चरम अहंकार और टुच्चेपन का अनन्य उदाहरण है।
मेरा ये स्पष्ट मत है कि देश के सर्वोच्च पद पर आसीन हुए जिस व्यक्ति के ‘मानहानि’ के मुद्दे को आधार बना कर ये फैसला सूरत की अदालत द्वारा दिया गया है ये वर्तमान समय में देश की तमाम संवैधानिक संस्थाओं व ‘व्यवस्था’ की वास्तविक “सूरत” दिखाने के लिए पर्याप्त है।
अपने कई सार्वजनिक वक्तव्यों, संसद के भाषणों, विदेशों की धरती पर दिए गए अनेक बयानों, चुनावी मंचों की अनगिनत “अभद्र टिप्पणियों” में अपने पद, देश की जनता की भावनाओं, देश के अनेक (वर्तमान व पूर्ववर्ती) विपक्षी नेताओं की बार बार, घोर अमर्यादित व निर्लज्जतम तरीके से “मानहानि” करने वाले मोदी जी खुद इतने छुई-मुई निकलेंगे, इसकी कल्पना किसी को नहीं थी।
अपनी ऐसी अनगिनत सार्वजनिक हरकतों व बयानों से मोदी जी पिछले 9 वर्षों में खुद अपनी और अपने संवैधानिक पद की इतनी “मानहानि” कर चुके हैं कि किसी अन्य व्यक्ति द्वारा की गई मानहानि इसकी तुलना में कुछ नहीं है। नाली से गैस निकल कर चाय की दुकान चलाने की सलाह देने वाले या फिर पवनचक्की के पंखे से हवा को “काट” कर उसमें से हाइड्रोजन व ऑक्सिजन के परमाणु अलग करने की तकनीक बनाने/बताने वाले वैज्ञानिक मोदी जी राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय मंचों पर कितनी बार अपनी, अपने पद, पद की गरिमा और मर्यादा तथा देश की “मानहानि” करवा चुके हैं, उसको गिन पाना भी मुश्किल है।
लोकतंत्र और संविधान की मानहानि सबसे बड़ा अपराध है और मोदी जी खुद इसके सबसे बड़े अपराधी हैं।
क्या देश की कोई अदालत मोदी जी का भी कभी ‘इंसाफ’ करेगी?????
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प्रमोद कुरील (पूर्व सांसद- राज्य सभा)
राष्ट्रीय अध्यक्ष: बहुजन नैशनल पार्टी
24-03-2023
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