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एक दिवसीय कार्यशाला sc-st अत्याचार उत्पीड़न निवारण अधिनियम 1989,2018 पर रखी गयी!

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28 मई 2023


एक दिवसीय कार्यशाला sc-st अत्याचार उत्पीड़न निवारण अधिनियम 1989,2018 पर रखी गयी!

मुख्य आतिथ्य डॉ रवि प्रकाश मेहरडा डीजीपी सिविल राइट्स।

सेंट्रर फार एंपावरमेंटआफ वीकर सेक्शन संयोजक सीमा जी हिंगोनिया Addl sp व आपकी टीम के द्वारा आयोजित एक दिवसीय कार्य शाला sc-st अत्याचार उत्पीड़न निवारण अधिनियम 1989, 2018 पर एक्ट में दी गई बारीकी जानकारियों के बारे में रूबरू कराया गया! कई पीड़ित व्यक्तियों की वेदना सुनी गई!
लोगों का मार्गदर्शन किया गया!

sc-st वर्ग के साथ आएदिन जातीय,भेदभाव हक अधिकारो के अत्याचारों के मामलों में एन/एससी/आरबी के आंकड़ों में काफी मामले झूठे क्यों दिखाएं जाते हैं? कई मामलों में दबाव में आकर परिवादी से राजीनामा कर लेना!
यह भी सामने आया कि आरोपी प्रभावशाली होने के कारण व घटना की दहशत से आंखों देखे गवाह सामने नहीं आते हैं! पीड़ित परिवार का लोग यहां तक घरवाले भी साथ नहीं देते हैं! कई जगह आपस में फूट होने से आरोपी के पक्ष में होते हैं!
ऐसे असंवेदनशील द्रोही लोगों को देखना चाहिए कि जब इनके साथ ऐसी घटना घटेगी तो क्या होगा? हमें सच्चाई से नहीं डरना चाहिए। सदभावना पूर्वक अन्याय का विरोध कर मिल कर इस तरह का डर व दहशत दूर करना चाहिए!

ऐसे मामलों को झूठा मानकर काउंट करना! यद्यपि अधिनियम में राजीनामा का प्रावधान नहीं है!अगर राजीनामा ही करना था तो सम्मान पूर्वक एफआईआर दर्ज से पहले ही कर लेना चाहिए! झूठी रिपोर्ट से बचना चाहिए!

वास्तविक तथ्यों के आधार पर अधिनियम की भावना के अनुसार सही ढंग से एफआईआर दर्ज कराई जानी चाहिए! गवाह सबूत को सुरक्षित, संकलित कर पेश करना चाहिए!

एट्रोसिटी एक्ट के प्रति दूसरे पक्ष की नियति ठीक नहीं है! यद्यपि धारा 4 के तहत प्रावधान है हमें वास्तविक,सच्ची घटना के मजबूत तथ्यो के साथ तटस्थ रहकर कार्रवाई करनी चाहिए! इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट हाईकोर्ट के फैसलो का ध्यान रखकर सावधानी रखनी चाहिए!

हाल ही में निम्नांकित कुछ 302 भादस के गंभीर मामलों के बारे में श्रीमान डां मेहरडा़ जी से हालात शेयर किए गए तथा दो मामलों में पीड़ित परिवारजनों सामाजिक संगठनों द्वारा शांतिपूर्ण संवैधानिक तरीके से अत्याचार के खिलाफ आवाज उठाने, हत्यारे आरोपियों को शीघ्र गिरफ्तार कर न्याय की मांग करनेवालो के खिलाफ 2 पुलिस थानों में मामले दर्ज किए गए हैं की भी जानकारी दी गई!
(1) रामपुरा खुर्द पीएस भाबरू ट्रैक्टर ट्रॉली से कुचलकर हत्या मृतक पहलाद कुमार15 मई23
(2) राजपुर वास ताला के जंगल पीएस रायसर में कालूराम खोरवाल पुत्र राजेंद्र खोरवाल की लाश मिली।
(3)रामपुरा खुर्द पीएस भाबरु सुभाष पर मारात्मक हमला करीब दो माह बाद भी लीपापोती कोई कार्रवाई नहीं!
(4) मुकदमा नंबर 82/23 पीएस गैगल अजमेर में पीड़ित रोहित कवरिया को 10 मई को पेट्रोल डालकर जला देने के पश्चात उसकी 25 मई को मौत हो गई! इसी तरह अन्य मामले भी रहे।

अधिनियम की *धारा15 (क) के सबक्लोज* में "पीड़ित और साक्षी के अधिकार" दिए गए हैं से वंचित रहना पड़ता है प्रशासन, पुलिस द्वारा इसकी अनुपालना सुनिश्चित करने के लिए श्रीमान डीजीपी सिविल राइट्स की ओर से एक आदेश/सर्कुलर निकालने बाबत अनुरोध किया गया! साथ ही वेलफेयर सोसाइटी में विधि प्रकोष्ठ के माध्यम से किसी एक आईओ/ एकजगह/ एक चेक पीरियड/अवधि के एफआर केसेस रैंडमली लिए जाकर तथ्यात्मक  जानकारी जुटाई जावे! जिसमें यदि राजीनामे के आधार पर दिए गए मामलों को झूठ में शामिल करने आदि तो सरकार के ध्यान/रिओपन में लाने हेतु भी प्रस्तावित है! 

इससे ना केवल पीड़ितों को न्याय मिलेगा बल्कि सही को झूठे मामले बताने वालों पर अंकुश भी लगेगा।

केसेज में समय पर गिरफ्तारी नहीं करना! इस आधार पर एट्रोसिटी नहीं मानना कि एक दूसरे को पहचानते नहीं है जबकि गंभीर रूप से मारपीट की गई हैं व दोनों पक्ष एक ही पंचायत के होते हैं! समय पर कंपनसेशन नहीं दिलाया जाना है!अनुसंधान एससी,एसटी सेल् में कराया जाए!निशुल्क विधिक सुविधा आदि बिंदुओं पर भी हालात निवेदन किए गए।

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