सुप्रीम कोर्ट ने संविधान की प्रस्तावना से समाजवादी-धर्मनिरपेक्ष शब्द हटाने की मांग वाली याचिका खारिज की; कहा- इन्हें हटाने का मतलब नहीं
सुप्रीम कोर्ट ने संविधान की प्रस्तावना में “समाजवादी” और “धर्मनिरपेक्ष” शब्दों को हटाने की मांग करने वाली याचिकाओं को खारिज कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि इन शब्दों को संविधान में 42 वें संशोधन के जरिए शामिल किया गया था, और यह संविधान के बुनियादी ढांचे का हिस्सा हैं। CJI संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि संविधान में दर्ज “समाजवादी” और “धर्मनिरपेक्ष” शब्द भारतीय लोकतंत्र की बुनियादी विशेषताओं को बताते हैं और इन्हें हटाने का कोई औचित्य नहीं है।
कोर्ट ने यह भी कहा कि संविधान को उसके मूल उद्देश्यों से अलग करने का कोई भी प्रयास मंजूर नहीं। याचिका में कहा गया था कि इन शब्दों को संविधान में शामिल करना गैर जरूरी और अवैध है। ये शब्द लोगों की निजी स्वतंत्रता और धार्मिक भावनाओं पर असर डालते हैं।
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