लोकपाल में हाईकोर्ट के जजों के खिलाफ शिकायत का मामला, सुनवाई करेगा सुप्रीम कोर्ट
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट मंगलवार को उस मामले की सुनवाई करेगा, जिसमें उसने लोकपाल के उस फैसले के क्रियान्वयन पर स्वत: संज्ञान लेते हुए रोक लगा दी है, जिसमें कहा गया था कि भ्रष्टाचार निरोधक निकाय हाई कोर्ट के जजों के खिलाफ शिकायतों पर विचार कर सकता है.
सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर पब्लिश कॉजलिस्ट के अनुसार जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस अभय एस ओका की विशेष पीठ मंगलवार को स्वत: संज्ञान मामले की सुनवाई फिर से शुरू करेगी.
लोकपाल के अधिकार क्षेत्र के सवाल की जांच
पिछली सुनवाई में जस्टिस गवई की अगुवाई वाली पीठ ने वरिष्ठ अधिवक्ता रंजीत कुमार को एमिकस क्यूरी (न्यायालय का मित्र) नियुक्त किया था, जिसमें स्पष्ट किया गया था कि सुप्रीम कोर्ट केवल लोकपाल के अधिकार क्षेत्र के सवाल की जांच करेगा और शिकायतकर्ता द्वारा लगाए गए आरोपों के गुण-दोष पर विचार नहीं करेगा.
इस बीच सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि हाई कोर्ट के जज, जो एक संवैधानिक पदाधिकारी हैं, कभी भी भ्रष्टाचार विरोधी कानून के दायरे में नहीं आएंगे.
लोकपाल के विवादित निर्णय पर रोक
20 फरवरी को पारित एक अंतरिम आदेश में सुप्रीम कोर्ट ने लोकपाल के विवादित निर्णय के क्रियान्वयन पर रोक लगा दी थी, क्योंकि भ्रष्टाचार विरोधी निकाय ने दो शिकायतों को भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) के कार्यालय को संदर्भित कर दिया था, जिसमें आरोप लगाया गया था कि एक हाई कोर्ट के कार्यरत अतिरिक्त न्यायाधीश ने अपने सहयोगी और एक अतिरिक्त जिला न्यायाधीश को प्रभावित किया, जिन्हें एक निजी कंपनी द्वारा शिकायतकर्ता के खिलाफ दायर मुकदमे से निपटना था.
लोकपाल के रजिस्ट्रार को नोटिस जारी
जस्टिस गवई की अध्यक्षता वाली पीठ ने केंद्र सरकार और लोकपाल के रजिस्ट्रार को नोटिस जारी करते हुए कहा था, “यह बहुत ही परेशान करने वाली बात है.” विवादित फैसले पर रोक लगाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने टिप्पणी की कि यह मुद्दा बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह न्यायपालिका की स्वतंत्रता से जुड़ा है. 27 जनवरी को पारित आदेश में लोकपाल ने फैसला सुनाया कि वह संसद के अधिनियम द्वारा स्थापित उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों के खिलाफ शिकायतों पर विचार कर सकता है.”
कोर्ट ने कहा कि इस आदेश द्वारा हमने एक महत्वपूर्ण मुद्दे पर अंतिम रूप से निर्णय लिया है – कि क्या संसद के अधिनियम द्वारा स्थापित हाई कोर्ट के जज 2013 के अधिनियम की धारा 14 के दायरे में आते हैं. कोर्ट ने आगे कहा कि हम इस तथ्य से अवगत हैं कि लोकपाल के समक्ष की गई शिकायत को सीआरपीसी की धारा 154 या भारतीय नागरिक सुरक्षा अधिनियम 2023 के तहत दर्ज किए जाने वाले आपराधिक मामले के साथ सख्ती से नहीं जोड़ा जा सकता है.
