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कर्नाटक में सिद्ध रम्मेया के मुख्यमंत्री बनने से दूर हुई अशोक गहलोत की टेंशन..

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आलाकमान के निर्णय से कांग्रेस विधायक सचिन पायलट को झटका

पायलट पर अब आलाकमान की गिर सकती है गाज..

दिल्ली में कुछ समय से कर्नाटक में मुख्यमंत्री बनाने की कश्मकश के खत्म होने से राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की टेंशन दूर हो गई है।
जी हां,सूत्रों ने बताया कि कर्नाटक सबे का मुख्यमंत्री सिद्दा रमैया को बनाए जाने के बाद राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को भी बहुत सुकून मिला है।
आलाकमान की ओर से सिध्दा रमैया को सी एम बनाए जाने से ये सिद्ध हो गया कि राजनीति में आज भी युवा के सामने एक अनुभवी व बेदाग छवि वाले चेहरे को मुख्यमंत्री बनाया जाना न्याय कहलाता है। इससे ये भी साफ हो गया कि कांग्रेस पार्टी में मुख्यमंत्री की कुर्सी के लिए एक अनुभवी नेता को तरजीह दी जानी चाहिए।
गौरतलब है कि बीते कुछ महीनों से राजस्थान के पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट,अशोक गहलोत के लिए चुनौती बनते जा रहे थे।
पायलट कांग्रेस व मुख्यमंत्री के सामने खुली बगावत कर रहे है। उनके समर्थक विधायक व कार्यकर्ता यह दावा कर रहे है कि अगले विधानसभा चुनाव में सचिन पायलट को मुख्यमंत्री का चेहरा बनाया जावे। पायलट भी अनशन व यात्रा से अपनी शक्ति का प्रदर्शन कर रहे है।
पायलट पर अब गिर सकती है गाज..
सचिन पायलट पर अब जल्द गाज गिर सकती है। क्योंकि, पायलट पहले भी लगभग 18 विधायकों के साथ दिल्ली के करीब जाकर बगावत कर चुके है। लेकिन, आलाकमान ने उस वक्त भी उनका साथ नहीं दिया था। वहीं,अब फिर से अनशन व पैदल यात्रा से वे कांग्रेस व आलाकमान को दबाव में लाकर अपना फैसला मनवाना चाहते है।
यही कारण है कि कर्नाटक के मुख्यमंत्री पद पर घोषणा पर भी पायलट लगातार नज़र बनाए हुए थे।
पायलट ये जानना चाहते थे कि किस आधार पर आलाकमान कर्नाटक में सीएम का चुनाव करती गए।
गौरतलब है कि इस साल के अंत में राजस्थान में चुनाव होंगे। ऐसे में ये अनुमान लगाया जा रहा था कि जो फार्मूला कांग्रेस कर्नाटक में इस्तेमाल करेगी,भी फार्मूला राजस्थान में भी देखने को मिलेगा।
ऐसे में सिद्ध रमैया को मुख्यमंत्री बनाए जाने के बाद ये साफ हो गया है कि राज्य के वरिष्ठ व अनुभवी नेता को ही मुख्यमंत्री पड़ पर प्राथमिकता दी जानी चाहिए।
ऐसे में अब,पायलट व उनके समर्थकों पर गाज गिरने की संभावना प्रबल हो गई है।

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