उड़ता तीर प्रदीप लोढ़ा की कलम से
सोना खरा होने लगा।
मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने 15 माह पूर्व अपना पदभार संभाला तब उन्हें अनुभव नहीं था लेकिन अब इतना जल्दी उन्होंने सब कुछ ठीक कर लिया है इसका किसी को भरोसा नहीं था, अपने इर्द-गिर्द के परिजन मित्रगण और अन्य लोगों को अब मुख्यमंत्री ने सरकारी कामकाज में दरकिनार कर दिया है अब कोई दावा नहीं कर सकता की यह काम करवा दूंगा मंत्रिमंडल पर भी उनकी पूरी पकड़ है और विधायकों पर निगरानी भी।
संघ का दबदबा।
भाजपा का प्रदेश में शासन पांच बार पूर्व में भी आ चुका है परंतु इस बार स्थिति भिन्न है क्योंकि पहली बार संघ का प्रभुत्व दिख रहा है लिहाजा सारे कामकाज पर संघ की छाप देखने को मिल रही है पार्टी में भी उन लोगों के काम हो रहे हैं जो संघ की मार्फत आ रहे हैं। मुख्यमंत्री भी संघ के काम प्राथमिकता के साथ करवा रहे हैं अधिकारियों को भी निर्देश है कि भाई साहब के काम रुकने नहीं चाहिए चाहे काम काज में कुछ गड़बड़ भी हो, सरकार की योजनाएं, काम काज सबमें संघ की छाप देखी जा रही है। सबके पीछे माना जा रहा है कि संघ की प्राथमिकता से ही भजनलाल शर्मा को मुख्यमंत्री पद मिला है।
अपनों से परेशान।
मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा को मुख्यमंत्री पद से कोई परेशानी नहीं हो रही है उन्हें परेशानी हो रही है अपनी पार्टी के नेताओं विधायकों से, जो सरकार के खिलाफ ही माहौल बना रहे हैं अनर्गल बयान दे रहे हैं, विधानसभा में भी कुछ विधायकों की मंत्री नहीं बन पाने की नाराजगी अपने मंत्रियों पर उतरती देखी जा सकती है। मंत्री फाइलों के कागज खुद फोटो स्टेट कराकर कांग्रेसियों को दे रहे हैं। खैर जो भी है सबका खामियाजा सरकार को उठाना पड़ रहा है।
मुफ्त के मजे।
विधानसभा के बगल में बना कांस्टीट्यूशन क्लब 8 मार्च को विधिवत प्रारंभ हो गया यह भवन चुनाव से पहले बनकर तैयार हो गया था औपचारिक उद्घाटन हुआ परंतु क्लब चालू नहीं हो पाया लेकिन उसके नियम कायदे बन गए अब सरकार ने और विधानसभा सचिवालय ने ऐसा पेश किया है कि सब कुछ उनके दिमाग की उपज है भाजपा के इस नजरिए से नाराज कांग्रेस ने इसके शुभारंभ कार्यक्रम से अपने को अलग रखा। उनकी नाराजगी अपनी जगह सही है पर राजनीति में सेहरा बंधवाने का मौका अपने हाथ से कोई नहीं जाने देना चाहता।
बहती गंगा में हाथ।
आईफा फिल्मफेयर अवार्ड का दो दिवसीय समारोह रविवार को संपन्न हुआ इस कार्यक्रम में सरकार ने दिल खोलकर पैसा दिया, इसके बदले इस कार्यक्रम के सरकारी करण का पूरा प्रयास किया गया। जब आईफा के आयोजन कार्ड और पास मुख्यमंत्री से लेकर नीचे तक बांट रहे थे तो यह कार्यक्रम सरकारी कहां से हो सकता था। कहां जा रहा है कि उपमुख्यमंत्री दीया कुमारी ने उद्घाटन से एक दिन पहले प्रेस से बातचीत करने की योजना बनाई थी परंतु मुख्यमंत्री ने दोनों की प्रेस कॉन्फ्रेंस उद्घाटन से पहले करवाने की कहकर बाजी पलट दी। देश दुनिया के सारे पत्रकार थे इसलिए सरकारी कामकाज बजट सब की बात मौके पर हो गई।
स्लीपर सेल निशाने पर।
राहुल गांधी इन दिनों कांग्रेस में बैठी भाजपा की स्लीपर सेल के पीछे पड़े हुए हैं रविवार को उन्होंने गुजरात में स्लीपर सेल में 40 कांग्रेस नेता बताएं और उन्हें बाहर निकलने का संकल्प लिया राजस्थान के बारे में भी उन्होंने खुफिया रिपोर्ट तैयार कर ली है जिसमें इतने ही नेता स्लीपर सेल में माने गए हैं पिछले 10 साल में भाजपा को फायदा पहुंचाने के लिए कांग्रेस को नुकसान पहुंचाने वाले नेताओं की सूची में बड़े-बड़े नाम है, और कांग्रेस को डूबोने के लिए उनके बड़े-बड़े काम भी हैं। यह बात अलग है कि राहुल गांधी ऐसे नेताओं को बाहर करने की सोच रहे हैं और यह नेता अभी भी पार्टी में बड़े पद पाने की मंशा पाले हुए हैं। कार्यकर्ताओं का मानना है कि राजस्थान में भाजपा में कांग्रेस को हराने का दम नहीं है यहां तो कांग्रेस ही कांग्रेस को डुबो रही है।
अपराधों पर चुप्पी।
भाजपा जब तक सत्ता में नहीं आई थी अशोक गहलोत सरकार की समय की छोटे-छोटे प्रकरण पर भी सरकार की नींद उड़ा रही थी परंतु अब बड़ी-बड़ी घटनाएं भी हो रही है परंतु सरकार चुप्पी साध कर बैठी है, कांग्रेस कुछ बोलती है तो कहा जाता है राजनीति मत करो। सरकार को 15 माह हो गए हैं, 2 साल बीतने के बाद तो कई लोग अपने आप मूल्यांकन करना प्रारंभ कर देंगे। और दोनों सरकारों का मूल्यांकन अपने आप सामने आ जाएगा।
प्रदीप लोढ़ा
