सचिन पायलट के ताजा ताजा बगावती तेवर क्या गुल खिलाना चाहते हैं राजस्थान में,,,,,
क्या सचिन पायलट के बगावती तेवर उनके सब्र का बांध टूट जाने की ओर इशारा कर रहे हैं, पायलट और गहलोत की कशमकश में उलझी कांग्रेस पार्टी की सरकार जो तथाकथित रूप से रिवाज बदलने का दावा करते हुए रिपीट होने की महत्वाकांक्षा पाले हुए हैं आखिर पायलट के इन बगावती तेवरों से क्या ऐसा कर पाएगी कांग्रेस???
भारतीय जनता पार्टी की पूर्व मुख्यमंत्री, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष एवं राजस्थान की कद्दावर नेता वसुंधरा राजे के ऊ पर निशाना साधते हुए गहलोत की और अपनी दुनाली का मुंह किया है पायलट ने,,,,,,????
राजस्थान की राजनीति में निकट भविष्य में राज्य की दोनों ही प्रमुख पार्टियां कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी स्थानीय दिग्गज नेताओं की बगावती तेवरों के कारण फूंक-फूंक कर कदम रखने पर मजबूर हैं जहां एक और भारतीय जनता पार्टी में वसुंधरा राजे को येन केन प्रकारेण साथ रखने और बगावत से रोकने के निरंतर प्रयास कर रही है वहीं दूसरी ओर कांग्रेस पार्टी में सचिन पायलट ने भी यही अंदाज अपनाया हुआ है दोनों ही नेता सचिन पायलट और वसुंधरा राजे बगावत का झंडा अपनी कांख में दबाए हुए पार्टियों की गाइडलाइन को मानते हुए उनके झंडे के नीचे खड़े हुए नजर तो आ रहे हैं लेकिन बार-बार उनकी कांख में दबा झंडा बगावत का,,,,, बाहर की ओर झांक रहा है।
वास्तव में सचिन पायलट ने अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस में जिन बातों को और मुद्दों को उठाया है वह चाहते तो बहुत पहले भी यह बात उठा सकते थे लेकिन अब जब सरकार का कार्यकाल 5 वें वर्ष के अंतिम चरण में पहुंच रहा है ऐसे में इस तरह की बातें अपनी ही पार्टी की गाइडलाइन के खिलाफ जाकर करना एक स्पष्ट संकेत है पार्टी आलाकमान को,,, कि उनकी भविष्य में क्या रणनीति रहने वाली है और अब यह पार्टी को तय करना है कि वह पायलट का किस तरह से उपयोग करना चाहती है देश का तमाम मीडिया और अखबार जगत उनके द्वारा उठाए गए मुद्दों को गौण करते हुए केवल उनकी प्रेस कॉन्फ्रेंस की टाइमिंग और उनके बगावती अंदाज को लेकर ही अपने समाचार प्रकाशित कर रहे हैं और हो सकता है आने वाले सप्ताह में वसुंधरा राजे के भी इसी तरह के बगावती तेवर नजर आए यदि उन्हें चुनाव प्रचार एवं संचालन समिति का अध्यक्ष नहीं बनाया गया तो,
देखना होगा आने वाले दिनों में राजस्थान की राजनीति किस करवट बैठता है क्या वसुंधरा राजे भी बगावती तेवर अपनाते हुए किसी तीसरे मोर्चे की तैयारी में तो नहीं है कि प्रदेश के कांग्रेस और भाजपा के विद्रोही नेताओं को एक मंच पर लाकर सपा, बसपा , हनुमान बेनीवाल और बीटीपी जैसी पार्टियों को एक मंच मुहैया करवाए और तीसरे मोर्चे का प्रदेश में आगाज करें।
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