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जिंदे चरणा च देवता भी औनदे ने, पैरी हत्थ लाके शीश झुका दे

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जिंदे चरणा च देवता भी औनदे ने, पैरी हत्थ लाके शीश झुका दे

त्याग तप के साथ मनाई गुरु रोशनलाल की पुण्यतिथि

ब्यावर। गांधी आराधना भवन में विराजित धैर्यप्रभा जी आदि ठाणा के सान्निध्य में बिरद भवन में घोर तपस्वी पूज्य गुरुदेव रोशनलाल की पुण्यतिथि को तप – त्याग के उपलक्ष्य में मनाया गया। संघ महामंत्री हेमन्त बाबेल ने बताया कि गुरुदेव की 41 वी पुण्यतिथि पर 100 से अधिक श्रावक श्राविकाओं द्वारा एकासना तप की आराधना की गयी।

श्रद्धा हो तो पत्थर में भगवान नजर आते हैं – साधवी धैर्यप्रभा
महासती द्वारा धर्मसभा को बताया कि हम यदि सच्ची श्रद्धा रखते है तो पत्थर में भी भगवान नजर आते है, जहाँ श्रद्धा न हो तो भगवान समक्ष हो तो भी नजर नही आते हैं। कैकयी के सामने भी राम थे, दुर्योधन के सामने भी कृष्ण थे पर उनकी श्रद्धा नही थी तो उनमें उन्हें भगवान नजर आए ही नहीं। महासती ने गुरुदेव रोशनलाल जी महाराज की जीवनी बताते हुए कई अविस्मरणीय वृतांत बताए। दिल्ली महानगर के त्रिनगर जैन स्थानक में 9 जुलाई 1982 को गुरुदेव का संथारा सहित देवलोक गमन हो गया था।

साध्वी धृतिप्रभा का भी जन्मदिवस
नोरतमल बाफना ने बताया कि 9 जुलाई को साध्वी धैर्यप्रभा जी का जन्मदिवस भी हैं। साध्वी जी का जन्म 1999 में हरियाणा के हिसार जिले में सुराणा खेड़ी में पिता जयवीर सिंह माता सुमन के घर जाट परिवार में हुआ। 8 दिसम्बर 2013 में आपने 14 वर्ष की अल्पायु में गुरुदेव प्रेममुनि के मुखारविंद से सुराना खेड़ी में दीक्षा ग्रहण कर ली। उनकी दीक्षा उनके ग्राम की पहली दीक्षा थी। उनसे प्रेरित होकर उनके ग्राम से चार दीक्षाएं ओर हुई। महासती कंठ कोकिला है जो बड़ी सुंदर शैली में भजन एवं प्रवचन का वाचन करती हैं। दीक्षा के 8वें दिवस से ही उन्होनें प्रवचन देना प्रारम्भ कर दिया था।

ब्यावर शहर में बह रही हैं ज्ञान की गंगा
सम्पतराज छल्लानी के अनुसार प्रतिदिन बिरद भवन में 9 से 10 प्रवचन एवं गांधी आराधना भवन में 12 घण्टे का नवकारमन्त्र का जाप अनवरत चल रहा हैं। श्रावक श्राविका प्रतिदिन साध्वी धार्मिक प्रभा जे द्वारा आगम श्रवण एवं साध्वी धीर प्रभा द्वारा ज्ञान चर्चा का भी आनन्द ले रहे हैं।

इस अवसर पर दिवाकर संघ अध्यक्ष देवराज लोढ़ा, महिला मण्डल अध्यक्षा सुशीला लोढ़ा, नवयुवक मंडल अध्यक्ष दीपक बाफना एवं बहु मण्डल अध्यक्षा संध्या छल्लानी ने सभी से पूरे चातुर्मास काल में महासतियाँ जी के सानिध्य में धर्म आराधना करने की अपील की हैं।

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