आप का नहीं, ‘बाप’ का विधायक
मप्र में बीजेपी और कांग्रेस के सामने केवल एक ही पार्टी जीत सकी। बीजेपी को 163, कांग्रेस को 66 और तीसरी पार्टी को 1 सीट मिली। यह तीसरी पार्टी न तो सपा है, न बसपा, न जदयू है न आप!
इस पार्टी का नाम है बाप! जी हां, बाप। बी ए पी (B A P) यानी भारत आदिवासी पार्टी।
बाप को रतलाम जिले की सैलाना सीट से जीत मिली। बाप प्रत्याशी कमलेश्वर ने कोई भी झंडा, पोस्टर, होर्डिंग नहीं लगाया था। दूसरी तरफ जहां नेताओं ने करोड़ों रुपये खर्चे, बाप प्रत्याशी ने केवल 12 लाख रुपये में चुनाव जीता। उधारी के रुपये से।
झोपड़ी में रहनेवाले 33 साल के कमलेश्वर 9 भी बहनों में सबसे छोटे हैं। उन्होंने एलएल-बी की पढ़ाई की है। कभी मज़दूरी की, कभी साइकिल पर टिफिन डिलीवरी की। कोटा और दिल्ली में धक्के खाये साथ ही संघर्ष और राजनीति की प्रेरणा लेते रहे अमेरिका के पहले अश्वेत राष्ट्रपति बराक ओबामा से!
जब उनकी जीत का ऐलान हुआ, उनकी माताजी मजदूरी पर गई हुई थीं। आशा है कि वे ग़रीब, पिछड़े, कमज़ोर वर्ग के लिए भी कुछ करेंगे। उनके लिए तो पक्का सरकारी मकान, बिजली, फोन, इंटरनेट, वेतन और पेंशन का पक्का इंतजाम हो गया। जहाँ दूसरे सैकड़ों नेता फेल हो चुके हैं, वहीं उनकी असल परीक्षा 5 साल चलेगी। वे राजनीति अपने उसूलों पर करेंगे तो ‘बाप’ को आगे बढ़ाएंगे। -डॉ. प्रकाश हिन्दुस्तानी
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