पाकिस्तान में कम हो गया प्रदूषण, क्या दिल्ली में अपनाया जाएगा वही तरीका? तुरंत नीचे आ जाएगा AQI
दिल्ली, नोएडा, गाजियाबाद और गुरुग्राम की फिजा बेहद जहरीली है. मंगलवार की सुबह भी अधिकांश एक्यूआई 500 अंक (गंभीर से अधिक) को छू गया, जबकि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में लगातार सातवें दिन धुंध की घनी परत छाई है.
प्रदूषण से दिल्ली जहरीली गैस का चेंबर बन गई है. सोचने वाली बात ये है कि देश के पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान में प्रदूषण को कंट्रोल किया जा रहा है. एक खास तकनीक से लाहौर में प्रदूषण कम हो गया है.
वरिष्ठ प्रांतीय मंत्री मरियम औरंगजेब का कहना है कि कृत्रिम वर्षा के सफल प्रयोग के बाद लाहौर और आस-पास के इलाकों में वायु गुणवत्ता में सुधार हुआ है. पंजाब सरकार ने हाल ही में झेलम, चकवाल, तालागांग और गुजर खान सहित क्षेत्रों में “क्लाउड सीडिंग” तकनीक का उपयोग करके कृत्रिम बारिश करने के लिए स्थानीय रूप से विकसित तकनीक का परीक्षण किया. मौसम विभाग के अनुसार, परीक्षण के दौरान झेलम और गुजर खान में बारिश हुई.
पाकिस्तान ने लोगों से की अपील
औरंगजेब ने इस बात पर जोर दिया कि यह प्रयास व्यापक “डिटॉक्स पंजाब” अभियान का हिस्सा है जिसका उद्देश्य खतरनाक स्मॉग के स्तर को कम करना है, खासकर रावलपिंडी में. लाहौर में, एक बड़ा अभियान चल रहा है, जिसमें वायु गुणवत्ता में सुधार के लिए धुआं छोड़ने वाले वाहनों पर प्रतिबंध लगाना शामिल है. मंत्री ने आम लोगों से स्मॉग कम करने की पहल का समर्थन करने की अपील की. उन्होंने कहा कि वायु प्रदूषण के खिलाफ लड़ाई में नागरिक सहयोग जरूरी है.
पाकिस्तान में AQI 2000 के अंक को कर गया था पार
लाहौर में AQI 297 दर्ज किया गया, जबकि मुल्तान में 230 दर्ज किया गया. मौसम विभाग का कहना है कि उत्तर-पश्चिमी हवाओं ने धुंध के स्तर को कम करने में मदद की, जबकि पंजाब की पर्यावरण मंत्री मरियम औरंगजेब का कहना है कि कृत्रिम बारिश का प्रयोग भी एक कारण है. उन्होंने कहा है कि डीजल से चलने वाले बड़े वाहनों और धुआं छोड़ने वाले परिवहन और ईंट भट्टों पर प्रतिबंध जारी रहेगा. पंजाब सरकार ने सोमवार को वायु गुणवत्ता में सुधार के मद्देनजर लाहौर और मुल्तान संभागों को छोड़कर पूरे प्रांत में 19 नवंबर से स्कूलों को फिर से खोलने का आदेश दिया. दरअसल, लाहौर और मुल्तान जैसे प्रमुख शहरों में AQI 2000 के आंकड़े को पार कर गया था, जिसके कारण प्रांतीय सरकार को लॉकडाउन लगाने और स्वास्थ्य आपातकाल घोषित करने सहित कई कठोर कदम उठाने पर मजबूर होना पड़ा है.
दिल्ली में ग्रेप-4 लागू, नहीं कम हो रहा प्रदूषण
इधर, दिल्ली में प्रदूषण कम करने के लिए ग्रेप-4 लागू किया गया है. इसके बावजूद भी प्रदूषण कम होने का नाम नहीं ले रहा है. दिल्ली और एनसीआर में प्रदूषण की वजह से स्कूल कॉलेज बंद कर दिए गए हैं. जेएनयू और डीयू में भी 23 नवंबर तक ऑनलाइन क्लासेज चलाने के लिए कहा गया है. दिल्ली सरकार और केंद्र सरकार एक दूसरे के ऊपर आरोप-प्रत्यारोप लगा रही हैं, लेकिन फिलहाल समाधान निकलते हुए दिखाई नहीं दे रहा है.
क्या दिल्ली में है एकमात्र कृत्रिम वर्षा हल?
दिल्ली सरकार में मंत्री गोपाल राय का कहना है कि एक्सपर्ट ने कहा है कि प्रदूषण का समाधान नहीं है, आप सवाल पूछ रहे हैं. हमने करना है और परमिशन केंद्र सरकार को देनी है, लेकिन फैसला तब लिया जाएगा जब मीटिंग होगी. IIT कानपुर के वैज्ञानिक बताएंगे कि कैसे होगी, खर्चे का हम बताएंगे लेकिन ढाई महीने से बता ही नहीं रहे हैं. स्मॉग को केवल कृत्रिम बारिश या हवा से ही साफ किया जा सकता है. केंद्र ने अभी तक दिल्ली सरकार के अनुरोध पर कार्रवाई नहीं की है.
कैसे होती है कृत्रिम बारिश?
कृत्रिम बारिश के लिए बादलों का होना जरूरी होता है, जिनमें नमी हो. इसके लिए थोड़ा और प्रेशर का इस्तेमाल किया जाता है. एयरक्राफ्ट या फिर जरनेटर के जरिए बादलों में सीडिंग मटेरियल छोड़ दिया जाता है. इससे पानी की बूंदों का आकार बढ़ जाता है. आकार बढ़ने से बूंदें भारी हो जाती हैं और फिर बारिश होने लग जाती है. इस तकनीक का इस्तेमाल अब तक अमेरिका, चीन, रूस और ऑस्ट्रेलिया जैसे देश करते आए हैं.
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