एकदम सटीक साबित हुआ कल का सम्राट न्यूज़ का आकलन,,,,
क्या यह घोर अपमान बर्दाश्त कर पाएंगी वसुंधरा,,,
अपने से बेहद जूनियर नेताओं की कतार में किया शामिल वह भी बिना तवज्जो दिए,,,,
मोदी की सभा में ना तवज्जो मिली ना भाषण देने का मौका,,,
बेहद दिलचस्प होने जा रहे हैं राजस्थान के आगामी विधानसभा चुनाव,,,,,
सटीक आकलन और विश्वसनीयता के लिए सदैव बने रहिए कल का सम्राट न्यूज़ के साथ
दिल्ली,28 सितंबर, भारतीय जनता पार्टी मेंप्रदेश की दो बार मुख्यमंत्री रह चुकी वसुंधरा राजे सिंधिया के साथ जो हो रहा है इसका आकलन कल का सम्राट न्यूज़ ने लगभग 3 महीने पहले ही अपने विश्वस्थित सूत्र के माध्यम से बता दिया था जो आज अपनी विश्वसनीयता पर खरा उतरा है, वसुंधरा राजे सिंधिया को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सभा के बाद भारतीय जनता पार्टी के कद्दावर नेता अमित शाह और जेपी नड्डा के द्वारासाफ-साफ बता दिया गया है या यूं कहीं कि उन्हें पूरी तरह से साइड लाइन कर दिया गया है और उनसे जूनियर नेताओं की कतार में बिना तवज्जो दिए खड़ा कर दिया गया है।क्या सिंधिया घराने की महारानी वसुंधरा राजे अपने इस घोर अपमान को भूल पाएंगे।कुछ सोशल मीडिया माध्यमों द्वारा यह भी कहा जा रहा है कि आचार संहिता लगने तक वसुंधरा राजे इंतजार करेंगी भाजपा आल्हा कमान के इशारे का , जबकि यह मात्र कपोल कल्पना ही है अमित शाह और जेपी नड्डा जयपुर में आकर सारी रात बैठक और मंथन करके जो आदेश और निर्देश देकर के गए हैं ,वह कोई खोखली बात नहीं हो सकती।
और जिस तरह से वसुंधरा राजे सिंधिया को पूर्व में भी कई बार साइड लाइन करने के इशारे दिए जा चुके हैं या लगभग यूं कहीं की कर ही दिया गया है ऐसे में पुनः वसुंधरा को मुख्यमंत्री चेहरा प्रोजेक्ट करना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह के लिए थूक कर चाटने जैसा ही होगा। जो कि शायद वर्तमान हालातो में तो कतई संभव नहीं है।
आचार संहिता लगने के तुरंत बाद वसुंधरा राजे की रणनीति क्या होगी इसका पता लगा पाना किसी के लिए भी मुमकिन नहीं है वह भाजपा में रहेगी या नहीं रहेगी ,या केंद्र की राजनीति में जाएंगी, या अलग पार्टी बनाएंगी, या किसी अन्य क्षेत्रीय दल को सपोर्ट करेंगी, कुछ भी नहीं कहा जा सकता बहुत संभव है कि अशोक गहलोत के लिए लाल कालीन एक बार दोबारा से बिछवा दें,लेकिन भारतीय जनता पार्टी जो की एक केडर बेस पार्टी है को इतने हल्के और में और कमजोर रूप में नहीं आंकना चाहिए भाजपा वह पार्टी है जो अपने नेता खुद तैयार करती है और उन्हें खत्म भी खुद ही कर देती है, जैसा कि आज वसुंधरा राजे के साथ हो रहा है ऐसा ही कभी राजपूत समाज केे कद्दावर नेता रहे भूतपूर्व उपराष्ट्रपति भैरव सिंह शेखावत के साथ भी हुआ था। वही आज उनके साथ हो रहा है लेकिनउसे समय तो वसुंधरा को एक मुस्त चेहरे के रूप में प्रोजेक्ट किया गया था परंतु आज उनसे कद में छोटे कई नेता जैसे गजेंद्र सिंह शेखावत जोधपुर संभाग से, किरोड़ी लाल मीणा सवाई माधोपुर क्षेत्र से, अर्जुन राम मेघवाल बीकानेर संभाग से, राज्यवर्धन सिंह राठौड़, राजेंद्र सिंह राठौड़, दीया कुमारी जैसे नेताओं को आगे कर रही है और संदेश यह दे रही है कि सामूहिक नेतृत्व में भारतीय जनता पार्टी में चुनाव लड़ा जाएगा जबकि राजनीति में ऐसा हो पाना संभव नहीं होता, जनता अपने किसी एक चाहते नेता को मुख्यमंत्री के रूप में देखना पसंद करती है और उसी के पक्ष में हवा बनकर मतदान किया जाता है हो सकता है कि यह भारतीय जनता पार्टी का अति आत्मविश्वास से भरा हुआ फैसला हो परंतु राजस्थान की जनताइतनी आसानी से इस तरह के फैसले जो की तानाशाही पूर्ण माने जा सकते हैं मानने को शायद ही तैयार हो। ऐसे में यदि कांग्रेस पार्टी अपना संगठन का ढांचा मजबूत करकेभारतीय जनता पार्टी के समक्ष अपने कार्यकर्ताओं को लड़ाई लड़ने के हथियार प्रदान करें तो ही कांग्रेस दोबारा सत्ता में आ सकती है और शायद 2023 रिवाज बदलने में कामयाब हो जाए। या बहुत संभव है कि भारतीय जनता पार्टी कांग्रेस को तीन राज्य देकर केंद्र की सत्ता पुनः हथियाना का कोई नया कारनामा अंजाम देने जा रही हो।।।।।।।।।।,,,,,
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