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तीन घंटे में एक परिवार के दो सदस्यों की मौत:चाची की अर्थी बांधते बांधते भतीजे की तबियत बिगड़ी, हॉस्पिटल जाते समय दम टूटा

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तीन घंटे में एक परिवार के दो सदस्यों की मौत:चाची की अर्थी बांधते बांधते भतीजे की तबियत बिगड़ी, हॉस्पिटल जाते समय दम टूटा

कोटा

कोटा में तीन घंटे के भीतर एक ही परिवार से दो लोगों की अर्थी उठी। ये सुनकर मोहल्ले में रहने वाले लोग भी हैरान रह गए। घटना 22 जनवरी की नयापुरा इलाके की है। परिवार में एक सदस्य की मौत के बाद अर्थी बांधते समय भतीजे के तबियत बिगड़ी। हॉस्पिटल ले जाते समय उसकी भी मौत हो गई। एक साथ दो अर्थी उठने से परिवार में मातम सा छा गया। बुधवार को तीये की बैठक में आने वालों लोग घटना के बारें में सुनकर हैरत में पड़ गए।
दरअसल नयापुरा सब्जी मंडी,जानकीनाथ मंदिर के पास रहने वाली बीना शर्मा (51) की आकस्मिक मौत हो गई थी। वीणा शर्मा न्यूरो की पेशंट थी। उनकी मौत से परिवार में गमगीन माहौल था।परिवार के सदस्य अंतिम संस्कार की तैयारी में लगे थे। भतीजे विजय प्रकाश (42) रिश्तेदार के साथ अंतिम संस्कार की सामग्री लेने गए थे। सामग्री लेकर वापस लौटने के बाद मुक्तिधाम ले जाने के लिए चाची की अर्थी बांध रहे थे। उसी समय विजय प्रकाश के सीने में दर्द हुआ। वो रिश्तेदार के साथ हॉस्पिटल के लिए रवाना हुए। रास्ते मे ही विजय प्रकाश ने दम तोड़ दिया। परिजनों ने पहले बीना शर्मा अंतिम संस्कार करवाया। फिर विजय प्रकाश का अंतिम संस्कार किया।
रिश्तेदार शोभित शर्मा ने बताया कि विजय की चाची बीना शर्मा 2-3 साल से न्यूरो पेशेंट थी। 22 जनवरी सुबह 8 बजे करीब कार्डिक अरेस्ट से मौत हो गई थी। सुबह 11बजे चाची की अर्थी बांधते समय विजय ने सीने में दर्द होने की बात कही थी। उसी समय बीपी चेक करवाया बीपी 50-60 के करीब आ रहा था। उनको बाइक पर पीछे बैठाया,हम दोनों हॉस्पिटल के लिए रवाना हो गए। खरोलीवाल हॉस्पिटल के आसपास विजय ने कंधे पर सिर टेक दिया। बेलेंस बिगड़ने से हम दोनों बाइक से नीचे गिर गए। उनकी मौके पर ही मौत हो गई। जैसे तैसे हॉस्पिटल पहुंचे वहां डॉक्टर ने खूब प्रयास किया, सीपीआर भी दिया। उस दिन परिवार में तीन घंटे में दो जनों की मौत हो गई।
शोभित ने बताया कि विजय ब्रज टॉकीज के पीछे चाय की दुकान लगाते थे। विजय के कोई बीमारी नहीं थी। विजय रोज सुबह सुबह मथुराधीश जी के मंदिर जाते थे। उन्होंने कभी भी अपना जन्मदिन नहीं मनाया। वो हर साल कृष्ण जन्माष्टमी के अगले दिन भोजन प्रसादी का कार्यक्रम करते थे।अभी चार-पांच दिन पहले मथुरा वृंदावन घूम कर आए थे। सब कुछ सही था।

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