November 8, 2024

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राजस्थान में बिना शादी के साथ रहना होगा कानूनी?:धर्म परिवर्तन के खिलाफ भी बिल लाएगी सरकार, डराया-धमकाया तो होगी जेल

क्या राजस्थान में बिना शादी के साथ रहना होगा कानूनी?:धर्म परिवर्तन के खिलाफ भी बिल लाएगी सरकार, डराया-धमकाया तो होगी जेल

जयपुर

राजस्थान में लालच देकर और जबरन धर्म परिवर्तन के खिलाफ सरकार कानून बनाने की तैयारी कर रही है। भास्कर से बातचीत करते हुए प्रदेश के कानून मंत्री जोगाराम पटेल ने कहा है कि धर्म परिवर्तन बर्दाश्त नहीं होगा। अगले विधानसभा सत्र में इसके खिलाफ बिल लाया जाएगा

विधि विभाग धर्म परिवर्तन के खिलाफ बिल के ड्राफ्ट को फाइनल करने में जुटा हुआ है उत्तराखंड, मध्यप्रदेश के धर्म परिवर्तन से जुड़े कानूनों की स्टडी की जा रही है। इस बिल को अगले विधानसभा सत्र में पारित किया जा सकता है

राजस्थान सरकार धर्म परिवर्तन विरोधी बिल में कई कड़े प्रावधान कर सकती है। जैसे- धर्म बदलवाने और उसमें सहयोग करने वालों पर जेल और भारी जुर्माना होगा। धर्म परिवर्तन में शामिल संस्थाओं के रजिस्ट्रेशन खारिज करने के साथ कड़ी कार्रवाई होगी। वहीं, लिव-इन (बिना शादी के साथ) में रहने वालों के लिए सरकारी कानूनी प्रावधान कर सकती है

मंडे स्पेशल स्टोरी में पढ़िए- बिल में क्या-क्या प्रावधान किए जा सकते है

जबरन धर्म परिवर्तन पर 5 साल तक सजा और जुर्माने की सिफारिश

वसुंधरा राजे सरकार के समय 2006 और 2008 में धर्म स्वातंत्र्य बिल दो बार पास हुआ था। लेकिन तब केंद्र की यूपीए सरकार से इसे मंजूरी नहीं मिल पाई थी। अब उसी धर्म स्वातंत्र्य विधेयक 2008 के कई प्रावधानों को नए बिल में भी बरकरार रखा जाएगा

आगामी विधानसभा सत्र में धर्म स्वातंत्र्य विधेयक नए सिरे से पेश किया जा सकता है।
आगामी विधानसभा सत्र में धर्म स्वातंत्र्य विधेयक नए सिरे से पेश किया जा सकता है।
डरा धमकाकर, पैसे या किसी तरह का लालच-प्रलोभन देकर धर्म परिवर्तन करवाने पर तीन साल तक की सजा का प्रावधान पुराने बिल में भी था। इसे नए बिल में भी शामिल किया जा सकता है

राजस्थान में सबसे ज्यादा धर्म परिवर्तन आदिवासी क्षेत्रों में देखने को आते हैं। इसलिए बच्चों, महिलाओं और एससी-एसटी के व्यक्ति के धर्म परिवर्तन पर दो से पांच साल की सजा और 50 हजार के जुर्माने का प्रावधान किया जा सकता है

अगर कोई एनजीओ या संस्था गलत तरीके से धर्म परिवर्तन कराती है तो उसका रजिस्ट्रेशन रद्द करने की सिफारिश थी। इन प्रावधानों को नए बिल के ड्राफ्ट में भी शामिल किया जा रहा है

धर्म परिवर्तन के लिए कलेक्टर की मंजूरी!

2008 के धर्म स्वातंत्र्य बिल में कलेक्टर की मंजूरी के बिना धर्म बदलने पर रोक थी। अगर कोई अपनी मर्जी से धर्म बदलता है तब भी उसकी सूचना 30 दिन में कलेक्टर को देने का प्रावधान किया था

धर्म बदलने पर एक महीने के अंदर कलेक्टर को सूचना नहीं देने पर एक हजार के जुर्माने का भी बिल में प्रावधान था। इन प्रावधान का भारी विरोध हुआ था, जिसकी वजह से तत्कालीन यूपीए सरकार ने ही इसे रोक लिया था

सूत्रों ने बताया नए बिल में भी इस प्रावधान को जोड़ा जा सकता है। धर्म परिवर्तन की जानकारी जिला कलेक्टर को देनी अनिवार्य होगी। इसमें कलेक्टर को जानकारी देने की समय सीमा बढ़ाई जा सकती है

धर्म परिवर्तन का घोषणा पत्र कलेक्ट्रेट या मजिस्ट्रेट को देना, इसकी एक कॉपी सूचना बोर्ड पर लगाना, धर्म परिवर्तन करने वाले व्यक्ति का पूरा ब्यौरा जैसी शर्तें शामिल हो सकती हैं

लिव इन में रहने वालों को रजिस्ट्रेशन करवाने के प्रावधान पर भी विचार

राजस्थान के प्रस्तावित धर्मांतरण विरोधी कानून के लिए बिल में उत्तराखंड की तर्ज पर ही कड़े प्रावधान किए जा रहे हैं। पहले वाले बिल के प्रावधानों को भी शामिल किया जा रहा है। बिल के ड्राफ्ट में लिव इन को लेकर भी प्रावधान जोड़ने पर विचार किया जा रहा है

लिव इन में रहने वालों को रजिस्ट्रेशन करवाने की अनिवार्यता की शर्त जोड़ी जा सकती है। वहीं दूसरे धर्म में शादी करने वालों के लिए भी नियम-शर्तें तय की जा सकती हैं। डिक्लेरेशन फॉर्म भरवाया जा सकता है कि शादी का मकसद धर्म परिवर्तन तो नहीं है

कानून मंत्री बोले- कड़ी सजा का प्रावधान करेंगे

कानून मंत्री जोगाराम पटेल ने कहा- कोई जोर जबरदस्ती, लोभ लालच देकर, पैसा देकर धर्म परिवर्तन करवाए तो यह सरासर गलत है। बर्दाश्त नहीं कर सकते अगले विधानसभा सत्र में हम बिल ला रहे हैं, इस पर विचार चल रहा है, सभी पक्षों से इसकी राय भी ले रहे हैं

पटेल ने कहा, हम उत्तराखंड सहित अन्य राज्यों के धर्मांतरण विरोधी कानूनों का अध्ययन करवा रहे हैं। केंद्र में अटके बिल को हमने वापस ले लिया है और उसकी जगह नया बिल ला रहे हैं

पटेल ने कहा, धर्मांतरण की शिकायत हमारे आदिवासी बहुल क्षेत्र में है। गरीब और अशिक्षित लोगों की मजबूरी और पिछड़ेपन का फायदा उठाकर कुछ लोग उन्हें झूठे सब्जबाग दिखाते हैं और धर्म परिवर्तन करते हैं

कुछ संस्थाएं, NGO इस काम में लगे हैं। हम नए बिल में धर्मांतरण करने वालों को सख्त सजा के कड़े प्रावधान रख रहे हैं ताकि आगे से कोई ऐसी हिम्मत नहीं कर सके

आदिवासी इलाकों में धर्म परिवर्तन को लेकर उठते रहे हैं सवाल

प्रदेश के आदिवासी इलाकों में धर्म परिवर्तन को लेकर विवाद होता रहता है। विधानसभा में भी यह मुद्दा कई बार उठा है। कई संस्थाओं पर भी आरोप लगे हैं।

आदिवासी इलाकों के अलावा पूर्वी राजस्थान और पंजाब से सटे इलाकों में भी धर्म परिवर्तन की शिकायतें मिलती रहती हैं। अब कानून बन जाने के बाद धर्म परिवर्तन करना आसान नहीं रहेगा

कांग्रेस विधायक ने पूछा था सवाल

कांग्रेस विधायक हरिमोहन शर्मा के सवाल के जवाब में सरकार ने वसुंधरा सरकार का 2008 का बिल केंद्र से वापस लेकर नया ड्राफ्ट तैयार करने के फैसले की जानकारी दी है

गृह विभाग ने अपने जवाब में लिखा है- राजस्थान धर्म स्‍वातंत्रय विधेयक, 2008 राष्ट्रपति की अनुमति के लिए केंद्र सरकार को भेजा गया था, जिस पर केंद्र सरकार से अनुमति नहीं मिलने पर राजस्थान धर्म स्‍वातंत्रय विधेयक, 2008 को वापस लिये जाने का फैसला किया है। साथ ही इस नए बिल का ड्राफ्ट तैयार किए जाने का निर्णय लिया गया है, कार्यवाही प्रक्रियाधीन है

राजे के समय दो बार पास हुआ था धर्म स्वातंत्र्य बिल

वसुंधरा राजे सरकार के समय दो बार धर्मांतरण विरोधी बिल पारित हुए थे। पहले अप्रैल 2006 और दूसरी बार मार्च 2008 में यह बिल विधानसभा से पास कर भेजा गया था। पहली बार जब अप्रैल 2006 मे बिल पास हुआ तो राज्यपाल ने कुछ आपत्तियों के साथ सरकार को लौटा दिया

इस पर भारी विवाद के बाद राष्ट्रपति की मंजूरी के लिए केंद्र को भेजा। जब मंजूरी नहीं मिली तो 2008 में फिर से विधानसभा में पारित कर बिल केंद्र को भेजा गया। इस बिल पर केंद्र सरकार ने कई आपत्तियां लगाकर सरकार से जवाब मांगा। 16 साल तक यह बिल केंद्र सरकार में अटका हुआ था। राज्य सरकार ने हाल ही इस बिल को केंद्र से वापस मंगवाया है

उत्तराखंड के धर्म स्वतंत्रता विधेयक की तर्ज पर सख्त हो सकते हैं कुछ प्रावधान

उत्तराखंड में धर्म परिवर्तन के खिलाफ 2018 से कानून बना हुआ है। 2022 में उत्तराखंड धर्म स्वतंत्रता संशोधन विधेयक पारित कर जबरन धर्म परिवर्तन पर 10 साल की सजा और 50 हजार तक के जुर्माने का प्रावधान किया गया। जानकारों का कहना है कि बीजेपी सरकार उत्तराखंड के कानून के कुछ प्रावधान, धर्म परिवर्तन के नियम को नए बिल में शामिल कर सकती है उत्तराखंड के कानून के मुख्य प्रावधान इस प्रकार है

उत्तराखंड में जबरन या लोभ लालच देकर एक व्यक्ति के धर्म परिवर्तन करवाने पर एक से पांच साल तक की सजा है
दो से ज्यादा लोगों का धर्म परिवर्तन करवाने को सामूहिक धर्म परिवर्तन माना जाता है, सामूहिक धर्म परिवर्तन करने पर 3 से 10 साल तक की सजा और 50 हजार तक का जुर्माना है।
जबरन धर्म परिवर्तन के पीड़ित को भी 5 लाख तक जुर्माना देने का प्रावधान, यह धर्म परिवर्तन करवाने वाले व्यक्ति, संस्था से वसूला जाएगा
किसी महिला का धर्म परिवर्तन करके शादी की जाती है तो शादी को पारिवारिक कोर्ट शून्य घोषित कर देगा
धर्म परिवर्तन के लिए व्यक्ति को 60 दिन के भीतर जिला मजिस्ट्रेट को एक डिक्लेरेशन देना होता है
धर्म परिवर्तित व्यक्ति को डिक्लेरेशन देने के 21 दिन के भीतर भीतर जिला मजिस्ट्रेट के सामने पेश होकर अपनी पहचान देनी होगी, मजिस्ट्रेट इसका अलग से रजिस्टर मेंटेन करेगा, आपत्तियां भी ली जाएंगी
अगर धर्म परिवर्तित व्यक्ति मजिस्ट्रेट के सामने पेश नहीं हुआ और तय प्रक्रिया नहीं अपनाई तो धर्म परिवर्तन अवैध माना जाएगा
धर्मांतरण पर अभी 3 साल तक सजा का प्रावधान

एडवोकेट प्रतीक कासलीवाल के मुताबिक धर्मांतरण पर अभी अलग से कोई कानून नहीं है धर्मांतरण पर अभी भारतीय न्याय संहिता की धारा 299 में ही मामला दर्ज होता है, यह धारा धार्मिक भावनाओं को जानबूझकर ठेस पहुंचाने के मामले में लगती है। इसी धारा में धर्मांतरण के मामलों में कार्रवाई होती हैं, इसमें 3 साल तक की सजा का प्रावधान है

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