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. अब कोई धमकी नहीं डराएगी प्रेमी जोड़े को, सुरक्षा में चूक हुई तो नपेंगे थाने के जिम्मेदार……

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अब कोई धमकी नहीं डराएगी प्रेमी जोड़े को, सुरक्षा में चूक हुई तो नपेंगे थाने के जिम्मेदार……

प्रेम विवाह करने वालों की सुरक्षा में अब किसी भी तरह की खामी बर्दाश्त नहीं होगी। इनके परिजनों की धमकी हो या फिर किसी पंचायत अथवा समाज की अदालत का किसी तरह की सजा का फरमान, इसका खौफ खत्म करने की सरकार ने पहल की है।

नागौर: प्रेम विवाह करने वालों की सुरक्षा में अब किसी भी तरह की खामी बर्दाश्त नहीं होगी। इनके परिजनों की धमकी हो या फिर किसी पंचायत अथवा समाज की अदालत का किसी तरह की सजा का फरमान, इसका खौफ खत्म करने की सरकार ने पहल की है। इनके साथ स्थानीय पुलिस ने भी मदद करने में कोई गड़बड़ की तो वे भी नपेंगे। इसके लिए डीआईजी श्वेता धनखड़ (पुलिस आर्म्ड बटालियन) को राज्य स्तर पर नोडल अधिकारी नियुक्त किया गया है। सूत्रों के अनुसार हाल ही में हुई इस व्यवस्था के तहत जोधपुर में हुई अलग-अलग धर्म की शादी का एक ऐसा ही मामला सामने आया है। लड़की के घर वालों ने लड़के के परिजनों को धमकी दी, स्थानीय स्तर पर जब पुलिस ने मदद नहीं की तो पीड़ित ने नोडल अधिकारी के पास शरण ली।
बताया जाता है कि उन्होंने पुलिस को मामले की गंभीरता समझते हुए प्रेमी युगल को पूरी तरह सुरक्षा मुहैया कराने को कहा। अभी धनखड़ को नोडल अधिकारी बने आठ दिन भी नहीं बीते। उनके साथ अपराधा शाखा की एएसपी वनीता शर्मा को सहायक नोडल अधिकारी बनाया गया है। इन दोनों की नियुक्ति हाईकोर्ट जयपुर के 4 जनवरी 2019 को एक आदेश के तहत हुई। इसमें, जिसमें हाईकोर्ट ने कहा था कि स्वेच्छा से शादी करने वालों के सुरक्षा का अधिकार की हिफाजत करना पुलिस का दायित्व है, ऐसे युगल की मदद/सुरक्षा के लिए राज्य स्तर पर नोडल अधिकारी बनाया जाए। युवक-युवती के स्वेच्छा से विवाह करने पर आपराधिक वारदात भी बढ़ी है, कई मामलों में युवक पर जानलेवा हमला होता है या फिर ऑनर किलिंग। इनमें स्थानीय पुलिस की भूमिका पर भी बार-बार सवाल उठते हैं।

कई बार दबाव के चलते वे इनको पूरी तरह सुरक्षा देने में कोताही बरतते हैं। सूत्र बताते हैं कि डीआईजी डॉ रवि (सिविल राइट्स) ने हाल ही 22 मार्च को नोडल अधिकारी नियुक्ति का आदेश जारी किया। इस आदेश में कहा गया कि कई प्रेम विवाह में उनके परिजन/जाति-समाज के लोग उन्हें परेशान करते हैं, कई बार अनावश्यक जोर-जबरदस्ती भी होती है। अनेक बार यह विवाह अंतरजातीय अथवा भिन्न धर्म के युवक-युवती के बीच होते हैं, ऐसा भी कई बार हुआ जब प्रेमी युगल पर हमले हुए अथवा उनको गांव/शहर से बाहर कर दिया गया। इसी डर को खत्म करने के लिए राज्य स्तर पर भी इन प्रेमी जोड़ों की मॉनिटरिंग की व्यवस्था की गई है।
कोई एसपी तक तो कोई हाईकोर्ट
इस मुद्दे पर कई पुलिस अधिकारियों से हुई बातचीत में सामने आया कि व्हाट्स ऐप/सोशल साइट पर तरह-तरह की अनावश्यक बातों से लोगों में दूरियां बढ़ रही है। प्रेम विवाह करने वालों को तरह-तरह की धमकी, बुरा होने की आशंका जताकर एक अपराधी की तरह घोषित किया जा रहा है। ऐसे में परिजन ही नहीं समाज/धर्म के भी कई लोग आग में घी का काम करते हैं। जब कानून में बालिग होने पर स्वेच्छा से कोई शादी कर रहा है तो उस पर किसी तरह की पाबंदी क्यों लगनी चाहिए। लोक-लिहाज के साथ दूसरी जाति/धर्म के प्रति दूरी बढ़ाने वालों पर भी कार्रवाई होनी चाहिए।

सूत्रों का कहना है कि पिछले दिनों एक मामले में जान की सुरक्षा के लिए प्रेम विवाह करने वाले युवक के परिजनों ने हाईकोर्ट जोधपुर की शरण ली। इसमें उन्होंने युवती के परिजनों पर हमला करने और उनसे जान का खतरा बताया है। यह ऐसा इकलौता मामला नहीं है, कई बार युवती के परिजन उसे बंधक बनाने का आरोप लगाते हुए याचिका दाखिल कर देते हैं। एसपी तक सुरक्षा के लिए पहुंचने वाले मामले भी कम नहीं हैं। नागौर एसपी राममूर्ति जोशी के पास सुरक्षा के लिए महीने में चार-पांच मामले आ ही जाते हैं।

प्रेम विवाह करने वालों की सुरक्षा का जिम्मा पुलिस का है। इस संबंध में किसी भी युवक/युवती अथवा परिजन को पुलिस की मदद जरूरी होती है तो तुरंत उपलब्ध कराई जाती है। ऐसी स्थिति में भड़काने वालों से सावधान रहने की आवश्यकता है।

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