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अंबानी और मस्क- ‘एकात्म फूहड़वाद’ बनाम “अनासक्त पूंजीवाद”

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अंबानी और मस्क- ‘एकात्म फूहड़वाद’ बनाम “अनासक्त पूंजीवाद”
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एशिया के सबसे अमीर आदमी और कभी दुनिया के सबसे अमीर आदमी (और वर्तमान में दुनिया में दूसरे नंबर पर) की तुलना एक बेमानी सी बात ही लगती है। कुल संपत्ति के मामले में दोनों के बीच कुछ 4-6 लाख करोड़ का फर्क हो सकता है लेकिन मानसिकता/मनोविज्ञान के आधार पर बहुत बड़ा फर्क (कम से कम मुझे तो) नज़र आता है- वो भी लगभग ‘ज़मीन-आसमान’ का। और ये मनोविज्ञान या मानसिकता का फर्क सिर्फ दो व्यक्तियों के बीच का फर्क हो, ऐसा भी नहीं है। कमोबेश, ये दो समाजों, दो संस्कृतियों का भी फर्क है, जो साफ नज़र आता है।

बात यहाँ एशिया के सबसे अमीर व्यक्ति मुकेश अंबानी और दुनिया के दूसरे सबसे अमीर आदमी एलोन मस्क के बीच “तुलना” की हो रही है, धन संपत्ति के आधार पर नहीं, मानसिकता के आधार पर।

भारत और अब एशिया के सबसे अमीर आदमी मुकेश अंबानी ने (जिन पर उनकी कुल संपत्ति के लगभग आसपास का बेंकों या अन्य वित्तीय संस्थानों का कर्जा भी है) ने अपने और अपने परिवार के लिए बम्बई में लगभग 2 बिलियन डॉलर (लगभग 15 हज़ार करोड़ रुपये) की लागत से लगभग 25 मंज़िला ऊंचा ‘घर’ (अंटीलिया टावर) बनवाया है जो शायद दुनिया के सबसे महंगे 5-10 निजी घरों में से एक हो। इस घर में 200 गाड़ियों की पार्किंग, पचासों कमरे, सिनेमा हॉल, जिम तथा दुनिया के हर ऐश-आराम की सभी चीजें उपलब्ध हैं। 7, 8 लोगों के परिवार की सेवा, सुविधा, सुरक्षा के लिए लगभग 700 कर्मचारी कार्यरत हैं।

दूसरी तरफ दुनिया के दूसरे सबसे बड़े अमीर आदमी एलोन मस्क (जिनकी संपत्ति अंबानी से लगभग दोगुनी-तिगुनी है) की बात करते हैं। अभी 3-4 दिन पहले वो एकाएक बहुत चर्चा में आ गए। हुआ ये कि, मंगल गृह तक इंसानों को पहुँचाने की अपनी महत्वाकांक्षी योजना को पूरा करने के लिए उनकी कंपनी “टेस्ला-एक्स” द्वारा 3 बिलियन डॉलर (लगभग 25 हज़ार करोड़ रुपये) की लागत से दुनिया का सबसे शक्तिशाली रॉकेट छोड़ा गया जो कि मात्र 4 मिनट की उड़ान के बाद हवा में फट कर नष्ट हो गया।
यानि ये महत्वाकांक्षी अभियान फेल हो गया।

इस उड़ान के दौरान एलोन मस्क कंट्रोल रूम में अपने कर्मचारियों के बीच बैठ कर इस उड़ान को देख रहे थे। जाहिर है, रॉकेट के हवा में फटने से उनके मन में भी थोड़ी निराशा तो पैदा हुयी होगी।लेकिन उनके चेहरे पर मामूली भी शिकन नहीं।(देखिए, संलग्न फोटो)

अगले ही दिन उन्होने कुछ महीनों बाद उसी रॉकेट को ज़रूरी फेर-बदल या सुधार के बाद उसे दोबारा उड़ाने की योजना की घोषणा कर दी। इस नयी उड़ान पर कितने बिलियन डॉलर का खर्च आयेगा, अभी कहना मुश्किल है।

यहाँ सोचने की बात ये है कि जितनी इस रॉकेट की कीमत थी (25 हज़ार करोड़ रुपये) उसमें अंबानी के एक “अंटीलिया” के बराबर 2 “अंटीलिया” बन सकते थे। (देखिये, आग के गोले या धूँए के बादल वाली संलग्न फोटो)। लेकिन एक ऐसे व्यक्ति (एलोन मस्क) जो कि व्यक्तिगत आराम या फर्जी/खोखली शानो-शौकत की बजाय इंसानी सभ्यता के विकास के लिए या भविष्य को लिए बड़े बड़े सपने देखने में विश्वास रखता हो, वो इतनी बड़ी धनराशि अपनी व्यक्तिगत संपत्ति से निकाल कर उस (इंसानी) सपने को पूरा करने में लगा दे, क्या ये अविश्वसनीय सी बात नहीं लगती?

लेकिन हमारे भारतीय समाज में धन संपत्ति का ऐसा “फूहड़” प्रदर्शन आम तौर पर बड़ी ‘प्रशंसा’ की दृष्टि से देखा जाता है। क्या अंबानी (या ऐसे किसी बड़े फूँजीपति/व्यापारी/धन्नासेठ) द्वारा देश के आम नागरिक की सुविधा या मानव जाति के लिए किसी बड़े सपने की पूर्ति करने के लिए ऐसी किसी बड़ी धनराशि (या इसका दसवें, सौंवे या हजारवें हिस्से तक का भी) खर्चा करने की भी कोई कल्पना की जा सकती है?

सब जानते हैं- “कभी नहीं…!”

वास्तव में ये हमारे भारतीय समाज की ही बड़े स्तर पर मानसिकता सी बन गयी है जिसके कारण दिन में 5 बार अपनी पोशाक बदलने वाला व्यक्ति यहाँ बड़े आराम से कई बरस तक शासन कर सकता है, बिना किसी शर्म या सामाजिक प्रताड़णा के भय से। ऐसी समाज व्यवस्था (या मानसिकता के माहौल में) केवल “अंबानी-मोदी” ही पैदा हो सकते हैं कोई स्वप्नदर्शी “मस्क” नहीं (कि जो 25 हज़ार करोड़ के रॉकेट को हवा में उड़ते समय बर्बाद होता देखने के बाद) अगले ऐसे ही किसी अभियान में कुछ और हज़ार करोड़ रुपये खर्च करने की घोषणा करने के बाद अपने ऑफिस में “ज़मीन पर बिस्तर बिछा कर” आराम से सो जाता है। (देखिये संलग्न फोटो)

“अंबानी” और “मस्क” मात्र दो व्यक्ति नहीं, दो मानसिकताएँ हैं। धन का होना, न होना या कम ज्यादा होना अधिक महत्वपूर्ण नहीं है बल्कि उसे किस तरह व किस उद्देश्य के लिए खर्च किया जाता है वो ज्यादा महत्वपूर्ण है।

समाज या देश के तौर पे हमें अभी बहुत कुछ सीखना बाकी है।

प्रमोद कुरील (पूर्व सांसद-राज्य सभा)
राष्ट्रीय अध्यक्ष : बहुजन नैशनल पार्टी (BNP)
24-04-2023

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