कॉलर चमकाओ, खाओ-कमाओ, चांदी कूटो अभियान
-जब सारा ब्यौरा सरकार के पास है, तो रजिस्ट्रेशन कराने की जरूरत क्यों?
-जो हश्र प्रशासन शहरों के संग और प्रशासन गांवों के संग का हुआ, कहीं वैसा ही महंगाई राहत कैंप का नहीं हो जाए
-पिछले अभियान में अनेक जगहों पर फर्जी पट्टे बनाने के मामले सामने आए, इस बार भी महंगाई से राहत की आड़ में जनता कहीं ठगी नहीं जाए
-आखिर किस तरह महंगाई से राहत दिलाई जा रही है, कुछ तो सरकार बताए
प्रेम आनन्दकर, अजमेर।
लो जी अब राजस्थान में 24 अप्रैल से कांग्रेस सरकार ने लोगों को महंगाई से राहत देने के लिए कैंप लगाना शुरू कर दिया है। लेकिन राहत किस महंगाई से दी जाएगी, सरकार की ओर से तमाम प्रचार करने और पोस्टर निकालने के बाद भी आमजन को यह अभी तक सही तरीके से पता नहीं चल पा रहा है या समझ नहीं पा रहे हैं। जिस उज्जवला योजना और बीपीएल योजना में रजिस्टर्ड लोगों को पांच सौ रूपए में प्रतिमाह गैस सिलेंडर देने की बात की जा रही है, उसमें रजिस्टर्ड लोगों से दुबारा रजिस्ट्रेशन कराने की जरूरत ही क्या है? सरकार के पास पहले से ही रजिस्टर्ड लोगों का ब्यौरा है, तो फिर सीधे उन्हें इसका लाभ क्यों नहीं दे दिया जाता है? उज्जवला योजना और बीपीएल योजना में रजिस्टर्ड लोगों के पास पहले से कार्ड बने हुए हैं, तो उन्हीं कार्ड के आधार पर उन्हें पांच सौ रूपए में गैस सिलेंडर क्यों नहीं दिया जा रहा है? यह जरूरी क्यों है कि इन कैंपों में रजिस्ट्रेशन कराने वालों को ही सौ यूनिट बिजली फ्री दी जाएगी? सरकार महंगाई से ही राहत देना चाहती है, तो फिर केवल उज्जवला योजना और बीपीएल योजना में रजिस्टर्ड परिवारों को ही क्यों सस्ता गैस सिलेंडर देना चाहती है? क्यों नहीं प्रदेश के सभी उपभोक्ताओं को पांच सौ रूपए में सिलेंडर उपलब्ध कराया जा सकता है। यदि सरकार की मंशा राज्य के प्रत्येक परिवार को सौ यूनिट बिजली देने की है, तो फिर रजिस्ट्रेशन कराने की जरूरत क्यों है? प्रदेश की तीनों बिजली कंपनियों के पास उपभोक्ताओं का पूरा विवरण उपलब्ध है। उपभोक्ताओं को हर माह बिजली के बिल भेजे जाते हैं। सरकार क्यों नहीं, इन बिजली कंपनियों से बिजली बिल के आधार पर उपभोक्ताओं का विवरण मांग कर जनता को सौ यूनिट बिजली फ्री दे सकती है। तमाम पेंशनधारियों का सारा ब्यौरा जब सरकार के पास पहले से है, तो इन पेंशनधारियों को रजिस्ट्रेशन कराने के नाम पर फिर क्यों परेशान किया जा रहा है? महंगाई राहत कैंप से तो ऐसा लगता है कि सरकार जनता को अब वह सभी वस्तुएं सस्ती दर पर उपलब्ध कराएगी, जो दैनिक उपभोग की हैं, लेकिन ऐेसा नहीं है। अन्य प्रदेशों के मुकाबले हमारे प्रदेश में पेट्रोल-डीजल कहीं ज्यादा महंगा मिलता है। सरकार क्यों नहीं वैट घटाकर आमजन को महंगाई से राहत दे पा रही है? सरकार ने लोगों को राहत दिलाने और पट्टे देने के लिए प्रशासन शहरों के संग व प्रशासन गांवों के संग अभियान चलाए, लेकिन इन अभियान के तहत लगे शिविरों में फर्जी पट्टे बनने की बातें भी सामने आईं। कुछ नगर निकायों ने तो खाली पड़ी सरकारी जमीनों के भी पट्टे जारी कर दिए थे। कुछ निकायों ने ऐसी कॉलोनियों में भी पट्टे जारी कर दिए, जो उनकी योजना में नहीं, बल्कि विकास प्राधिकरण या नगर सुधार न्यास की योजनाओं में आती हैं। यानी येन-केन-प्रकारेण पट्टे जारी करने के नाम हाकीमों और कारिंदों ने जमकर चांदी कूटी। कहीं ऐसा ना हो कि महंगाई राहत कैंप भी विधानसभा चुनावों को देखते हुए केवल सफेदपोश नेताओं की कॉलर चमकाने, कॉलर ऊंची करने और हाकीमों व कारिंदों के लिए चांदी कूटने का अभियान बनकर रह जाए। नेताओं की कॉलर चमके या नहीं, लेकिन हाकीमों व कारिंदों के लिए यह खाओ-कमाओ साबित हो सकता है। अब बात, महंगाई से राहत देने की। तो सरकार जी, कृपया यह बताइए, अगर आपको जनता को महंगाई से राहत देने की इतनी ही चिंता थी, तो पहले देते ना। अब दे रहे हो, तो जनता को सब समझ में आ रहा है। महंगाई से राहत देने और प्रशासन शहरों के संग व प्रशासन गांवों के संग अभियान की नौबत चुनाव से पहले ही क्यों आती है? यदि आप पूरे पांच साल तक जनता के हितों की सोचते, तो शायद अब ताबड़तोड़ इस तरह के अभियान चलाने की जरूरत ही नहीं पड़ती और जनता को जो तथाकथित राहत अब देने वाले हैं, वह पहले ही मिल जाती, तो जनता आपकी पूरे पांच साल जय-जयकार करती। फिर आपको इस साल नवंबर-दिसंबर में होने वाले विधानसभा चुनाव में प्रचंड बहुमत के साथ सत्ता का ताज पहनाती। मतलब, जनता पहले आंसुओं से रोए और फिर आप राहत दें, तो ऐसी राहत के कोई मायने नहीं रह जाते। हां, वर्ष 2013 में विधानसभा चुनाव से पहले आपने ही महिलाओं को साड़ी और एक-एक हजार रुपए देने की योजना चलाई थी, वास्तव में दिए भी थे, तो इस बार साड़ी और नकद राशि देने का विचार नहीं आया क्या। ज्यादा नहीं, गरीब परिवारों की महिलाओं को ही दे दीजिए। एक बात और, सरकार जी, यदि आप वाकई में जनता को महंगाई से राहत दिलाना चाहते हैं, तो सबसे पहले अफसरशाही और भ्रष्टाचार पर लगाम कसिए। इस अभियान में कागजी आंकड़ों पर बिल्कुल भी भरोसा मत कीजिए। बल्कि अपने सौ-दो सौ ऐसे भरोसेमंद लोगों की टीम बनाइए, जो प्रत्येक कैंप में जाकर हकीकत देखे और खुद अपने स्तर पर आंकड़े जुटाए। यदि आप ऐसा कर लेते हैं, तो यकीनन, हाकीम और कारिंदे सही काम करेंगे तथा जनता को राहत मिल सकेगी। बाकी आपकी मर्जी।
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