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अजमेर में मालियों की मखमली मलमल पर मौज उड़ाती भाजपा,,,,

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अजमेर में मालियों की मखमली मलमल पर मौज उड़ाती भाजपा,,,,
अजमेर,7 अक्टूबर,2023, अजमेर का इतिहास गवा रहा है कि यहां कोई रियासतदं नहीं रहा रियासत काल के दौर में भीअंग्रेजों के शासनकाल में अजमेर मेरवाड़ा स्टेट के नाम से एक स्वयंभू राज्य हुआ करता था। यहां कोई भी रियासत नहीं थी बस था तो केवल अजमेर थोक मालियां और थोक तेलियां इसके अलावा मेरवाड़ा स्टेट में आसपास के चीता, मेहरात, रावत , कठात जैसी कबीलाई आदिवासी संस्कृति को मानने वाले समाजों के लोगों का निवास था जो आज भी बदस्तूर कायम है, और अजमेर का पूरा शहरी क्षेत्र का भाग थोक मलियान और थोक तेलियां में बांटा हुआ है, जिसके अंतर्गत तेलियां का दबदबा तो शायद अब उतना नहीं रहा लेकिन माली समाज अजमेर में दो विधानसभा सीटों पर अजमेर उत्तर और अजमेर दक्षिण विधानसभा सीट पर अपना जबरदस्त धाक और दबदबा पिछले लगभग 25 वर्षों से कायम किए हुए हैं। माली समाज की तादाद लगभग 40 से 45000 के बीच है जो की अजमेर उत्तर और दक्षिण दोनों ही विधानसभा क्षेत्र में लगभग बराबर रूप से बटी हुई है जिसके अंतर्गत अजमेर में सुभाष नगर, आदर्श नगर, धोलाभाटा ,गणेश नगर, कल्याणीपुरा, नागबाई, तेजाजी की देवरी, गुलाब बाड़ी, दाल माल माथुर कॉलोनी, कुंदन नगर, पलटन बाजार, पाल बिचला , तोप दड़ जैसे इलाकों में बहुल्यता में निवास करते हैं वही उत्तर क्षेत्र में पुलिस लाइन, सिविल लाइन, भोपों का बड़ा, शास्त्री नगर, वैशाली नगर सोफिया कॉलेज, ओमकार नगर, लोहा खान, लोहागल पुष्कर रोड ,फायसागर रोड, गंज ,दिल्ली गेट, लोंगिया मोहल्ला जैसे हाई डेंसिटी यानी भारी तादाद की बसावट वाले इलाकों में बहुत आयत रूप में निवास करते हैं।
लगभग दोनों ही विधानसभा क्षेत्र अजमेर उत्तर और अजमेर दक्षिण में माली समाज एक मुश्त रूप से संघ के पैटर्न पर भक्ति अमृत का रसपान करते हुए पूरी तरह से भाजपा को वोट करता है और मालियों के एक मुश्त वोटो के कारण ही पिछले लगभग 20 वर्षों से अजमेर के दोनों ही विधानसभा क्षेत्र में भारतीय जनता पार्टी के दो विधायकों वासुदेव देवनानी और अनीता भदेल, माली समाज की इस मखमली मलमल पर मौज उड़ा रहे हैं। संभवत, संभवत माली समाज को भी शायद अपने इस अहम योगदान का अंदाजा शायद नहीं होगा। वैसे यदि कायदे से एक टिकट माली समाज को प्रदान करें भारतीय जनता पार्टी तो शायद माली समाज का त्याग तपस्या और बलिदान सफल हो जाए माली समाज एक मुश्त रूप से भारतीय जनता पार्टी को आंखें मूंद कर मतदान करता है और यह बहुत भारी तादाद में है कांग्रेस पार्टी को ब
मुश्किल 10 से 15% तक ही वोट माली समाज की मिल पाते हैं।
अजमेर शहर की दोनों ही विधानसभा सीट अजमेर उत्तर और दक्षिण पर भाजपाई मानसिकता से लबरेज दो अहम समाज माली और सिंधी समाज की वोटिंग के कारण भारतीय जनता पार्टी पिछले 20 से 25 वर्षों से कब्जा बनाए हुए हैं यही कारण कांग्रेस की हर के भी है। मंडल कमंडल के आंदोलन के दौरान राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने जब समाज के ऐसे तबकों को तलाशना आरंभ किया जो की राजनीतिक नेतृत्व के रूप में लगभग पिछड़े हुए थे, और पिछड़ों और दलितों में ज्यादा भेद नहीं था उस जमाने में संघ ने बहुतायत संख्या बल को देखते हुए ऐसे समजों में घुसपैठ आरंभ की कट्टर समर्थक तैयार किए , उसी का नतीजा है कि आज भारतीय जनता पार्टी उसकी फसल काट रही है। और मखमली मलमल पर मौज भी उड़ा रही है, आखिर 20 वर्षों में कांग्रेस पार्टी यह दोनो सीटें नहीं जीत पाई इसका यह भी एक अहम कारण हो सकता है क्योंकि कांग्रेस पार्टी में इन अनछुए और राजनीतिक रूप से हाशिए पर पड़े हुए तबकों को अधिक महत्व नहीं दिया और ना ही कोई इन समाजों में कोई क्षत्रप पैदा किये। जो कुछ दो चार धुरंधर हुए भी है तो वो अपनी महनत के बल पर है, हालांकि कांग्रेस पार्टी ने माली समाज के सिरमौर के रूप में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को राज्य की कमान सौंप रखी है और इन विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी और संगठन के पास यह अवसर है कि वह माली समाज में से कुछ कट्टर कद्दावर योद्धा तैयार करें जो कि भविष्य में कांग्रेस पार्टी के राजनीतिक मुक्त आकाश पर अपने सितारे बुलंद कर सकें।

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