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CM भजनलाल की 2 खासियत, जिसने नंबर वन बनाया:पार्टी के काम से कई दिन घर तक नहीं जाते थे, इसी से शाह-मोदी की निगाहों में आए

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राजस्थान CM भजनलाल की 2 खासियत, जिसने नंबर वन बनाया:पार्टी के काम से कई दिन घर तक नहीं जाते थे, इसी से शाह-मोदी की निगाहों में आए

जयपुर

भजनलाल शर्मा के मुख्यमंत्री बनने के बारे में किसी ने कल्पना भी नहीं की थी, लेकिन हाईकमान ने बहुत पहले मन बना लिया था।
बीजेपी हाईकमान को नए चेहरे के तौर पर मुख्यमंत्री के लिए सबसे सूटेबल कैंडिडेट भजनलाल ही क्यों लगे, इसे लेकर पड़ताल की।

भरतपुर जिले के अटारी गांव के रहने वाले भजनलाल ने सरपंच बनकर राजनीति में कदम रखा था।
एक सरपंच से राजनीतिक करियर की शुरुआत करने वाले भजनलाल ने ​सियासत की बारीकियां बहुत पहले सीख लीं। राजनीति की प्राइमरी स्कूल कहे जाने वाले पंचायती राज से सियासत शुरू करने से भजनलाल में ग्रासरूट की बारीकियां आईं। गांव के गरीब के मुद्दों की समझ पैदा हुई। RSS से जुड़ाव के चलते साइलेंट होकर काम करते जाना और अनुशासन में रहना सीखा, यही दो गुण उन्हें यहां तक पहुंचने में काम आए।
भजनलाल को पार्टी ने जो काम बताया वह उन्होंने इतने परफेक्शन से किया कि हर नेता उनसे खुश रहता था। पार्टी के टास्क को 100 परसेंट डेडिकेशन से पूरा करने की जिद ने उन्हें अमित शाह और पीएम मोदी का पसंदीदा बना दिया।
सरकार से लेकर विपक्ष में चार अध्यक्षों के साथ काम, साइलेंट परफॉर्मर
भजनलाल शर्मा के काम को नजदीक से देखने वाले BJP नेता और कार्यकर्ता उन्हें साइलेंट वर्कर के तौर पर जानते हैं। वसुंधरा राजे की सरकार के समय उन्होंने तत्कालीन प्रदेशाध्यक्ष अशोक परनामी, मदन लाल सैनी के साथ महामंत्री के तौर पर काम किया।
जब पार्टी विपक्ष में आई तो सतीश पूनिया, सीपी जोशी के साथ भी काम किया। भजनलाल के कामकाज को नजदीक से देखने वाले एक BJP नेता ने बताया कि प्रदेशाध्यक्ष बदलते गए, लेकिन उन्हें जो काम सौंपा जाता था, उनके डेडिकेशन में कभी कोई कमी नहीं आई।
चार प्रदेशाध्यक्षों के साथ काम कर चुके भजनलाल शर्मा की वर्किंग स्टाइल को काफी पसंद किया जाता है।

पार्टी के काम में इतने लीन, महीनों तक तक घर नहीं जाते थे

भजनलाल के कामकाज की शैली और पार्टी संगठन के प्रति निष्ठा को लेकर मौजूदा बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष सीपी जोशी उनकी तारीफ करते हुए नहीं थकते। सीपी जोशी ने भजनलाल की वर्किंग स्टाइल की तारीफ करते हुए कहा- पार्टी के समर्पित कार्यकर्ता को मुख्यमंत्री बनाना कोई अचंभे वाली बात नहीं है।
उन्होंने कहा भजनलाल लंबे समय से पार्टी में काम कर रहे हैं। पार्टी के कामों में इतना लीन रहते कि कई बार तो महीनों तक अपने घर नहीं जा पाते थे। लगातार दौरे करना और हर काम जिम्मेदारी और परफेक्शन के साथ करना उनकी खासियत है। उन्होंने विस्तारक के तौर पर पार्टी का काम किया है, ऐसे गुण हर नेता में नहीं होते हैं। भजनलाल शर्मा के पिता ने खेती-किसानी कर उन्हें पढ़ाया। वे चाहते थे कि बेटा सरकारी टीचर बने लेकिन उन्हें राजनीति पसंद थी।

पिता बोले- खाना भी समय पर नहीं खा पाते थे
बातचीत में उनके पिता किशन स्वरूप शर्मा ने बताया कि राजनीति में होने के चलते उनके बेटे भजनलाल समय पर खाना नहीं खाते थे। घर छोड़कर कई दिन बाहर ही रहना पड़ता था। घर आते भी तो 1 या 2 घंटे के लिए। कई बार शाम को आते, कुछ देर रुकते और रात को 12 बजे जयपुर चले जाते थे।
भजनलाल शर्मा के चाचा रामशरण शर्मा कहते हैं- सोशल वर्क के जरिए अपनी पहचान बना ली थी। लोगों के काम करवाने खुद जाते थे। इसलिए पहली बार अटारी गांव से ही सरपंच का चुनाव जीत गए थे। राजनीति में आने के बाद कई-कई दिन घर से गायब रहते थे। जब हम टोकते तो कहते- मेरा तो चाचाजी अब ऐसे ही चलेगा। लोगों से मिलकर उनकी समस्याएं सुननी पड़ती हैं।
आध्यात्मिक जुड़ाव से नड्डा के नजदीक पहुंचे, गोवर्धन परिक्रमा
भजनलाल शर्मा को नजदीक से जानने वाले नेताओं के मुताबिक उनका गहरा आध्यात्मिक जुड़ाव है। वे नियमित अंतराल पर गोवर्धन-गिरिराज की परिक्रमा पर जाते हैं। नियमित पूजा अर्चना करते हैं। कोई भी बड़ा धार्मिक आयोजन नहीं छोड़ते। गोवर्धन-गिरिराज परिक्रमा के दौरान ही उनकी जेपी नड्डा से भी नजदीकियां बढ़ी थीं।
हाईकमान में तीनों बड़े नेताओं तक पहुंच और पैठ बनाने में उनके आध्यात्मिक जुड़ाव ने भी अहम भूमिका निभाई। हाल ही में जब उनका नाम CM के लिए घोषित हुआ तो वे अगली ही सुबह सांगानेर के सांगा बाबा मंदिर दर्शन करने पहुंचे थे।

जिलाध्यक्ष रहते हुए नड्डा के करीब आए थे
भजनलाल की पार्टी के राष्ट्रीय स्तर से लेकर प्रदेश के नेताओं से अच्छे रिश्ते हैं। पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा जब हिमाचल प्रदेश की राजनीति करते थे तब वे गोवर्धन परिक्रमा के लिए भरतपुर आते थे। उस दौरान भजनलाल भरतपुर के भाजपा जिला अध्यक्ष थे और दोनों नेताओं में मुलाकात होती रहती थी।
पश्चिम बंगाल चुनाव से शाह के नजदीक आए, बाद में नजदीकियां और बढ़ीं
भजनलाल शर्मा के कामकाज की शैली से अमित शाह 2021 में सबसे ज्यादा प्रभावित हुए। वर्ष 2021 में पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में अमित शाह के सहयोगी के रूप में भजनलाल ने काम किया। तब से ही भजनलाल अमित शाह की कोर टीम में शामिल हो गए थे। अमित शाह उनके काम करने की शैली पसंद करने लगे और उनकी तरक्की में इसी नजदीकी का बड़ा योगदान माना जाता है।

डेडिकेशन के चलते RSS के नेताओं के नजदीक आए
भजनलाल ने संगठन के गुण RSS से सीखे। भजनलाल भरतपुर जिलाध्यक्ष रहते हुए RSS के वरिष्ठ पदाधिकारी निंबाराम के संपर्क में आए। निंबाराम जब RSS के सह प्रांत प्रचारक थे, तब उनका केंद्र भरतपुर हुआ करता था। तब से ही निंबाराम से उनका अच्छा जुड़ाव रहा। निंबाराम के अलावा कई संघ के नेताओं से भी नजदीक रिश्ते हैं।

भजनलाल के पार्टी संगठन में काम के खुद पीएम मोदी भी मुरीद हैं।

पार्टी दफ्तर दूसरा घर
भजनलाल शर्मा पिछले एक दशक में पार्टी मुख्यालय में लगातार सक्रिय रहे। चार प्रदेशाध्यक्षों के साथ संगठन से जुड़ा काम करने में रात दिन एक किया। पार्टी दफ्तर उनके लिए दूसरे घर की तरह था। RSS के वरिष्ठ पदाधिकारियों तक उनकी सीधी पहुंच है। RSS के पदाधिकारियों के साथ समन्वय में भी उन्हें माहिर माना जाता है। BJP में यह गुण हर नेता में नहीं होता, भजनलाल के समन्वय के इस गुण ने भी उन्हें शिखर तक पहुंचाने में मदद की।

बैठकों से लेकर फील्ड तक लगातार काम करने का अनुभव

भजनलाल में फील्ड के काम से लेकर इनडोर होने वाली रणनीतिक बैठकों तक को हैंडल करने का अनुभव है। वे लंबे समय तक बैठकर काम करने के आदी हैं, पार्टी के दिए काम को पूरे डेडिकेशन से करने की आदत मुख्यमंत्री के तौर पर काम करने में काम आएगी

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