अंबानी की शादी में नहीं आया गांधी परिवार
धन कुबेरों के यहां विवाह-उत्सव प्राय: शक्ति प्रदर्शन का तरीका होते हैं। बेतहाशा पैसा खर्च करना तो उनके लिए नाखून के मैल के बराबर होता है, इसलिए उनकी असल ताकत तौली जाती है समारोह में शामिल राजनेताओं और ग्लैमर की दुनिया के किरदारों की संख्या से। ग्लैमर जगत को भी काफी हद तक थैली की खनखनाहट से बुलाया जा सकता है किंतु बात आकर अटकती है राजनेताओं पर।
ऐसा नहीं है कि राजनेताओं को बुलाना धन के बस में नहीं है। फिर भी कई बार राजनेताओं को नैतिकता और मर्यादा की मजबूरी में ऐसे समारोहों से दूरी बनानी पड़ती है। यद्यपि ये धन कुबेर अपनी पूरी ताकत लगा देते हैं उनको बुलाने में।
अंबानी की शादी में पक्ष-विपक्ष के तमाम बड़े नेताओं के जमावड़े के बहाने 2004 में लखनऊ में हुई सहारा श्री सुब्रत रॉय के दो बेटों की शादी की चर्चा भी बहुत चल रही है। लखनऊ में जिस दिन भव्य समारोह था उस दिन मैं दिल्ली में उपराष्ट्रपति निवास पर मौजूद था। तत्कालीन उपराष्ट्रपति स्वर्गीय भैरोंसिंह शेखावत कतई इस समारोह में जाने के इच्छुक नहीं थे परंतु सहारा की ओर से उन पर एक के बाद एक कई तरह के दबाव लाए जा रहे थे। अन्य दबावों को तो श्री शेखावत झेल गए किंतु तत्कालीन गृह मंत्री और शेखावत से निजी रिश्ते रखने वाले लालकृष्ण आडवाणी का आग्रह वे नहीं टाल सके और मन मारकर लखनऊ के लिए वायु सेना के विमान पर सवार हुए।
ममता बनर्जी ने मुंबई रवाना होने से पहले कोलकाता हवाई अड्डे पर दिए वीडियो बयान में खुद ही बता दिया कि किस किस तरह के आग्रह या कहें दबाव से राजनेता मेहमानों को बुलाया जाता है।
इस पूरे वाकये में सोनिया और राहुल गांधी ने पूरे देश के साथ ही दबाव में आने वाले नेताओं के सामने एक उदाहरण पेश किया है। अब तक ज्ञात जानकारी के अनुसार मुकेश अंबानी स्वयं चलकर इस विवाह का निमंत्रण देने अगर किसी नेता के घर गए तो वो घर है सोनिया गांधी और राहुल गांधी का। भारत का सबसे धनी और दुनिया का दसवें नंबर का सेठ न केवल स्वयं चलकर गया बल्कि होने वाले दूल्हे को भी साथ लेकर गया और एक घंटे तक वहां सोनिया गांधी के साथ बैठा भी रहा। शायद इस इंतजार में कि निर्माण मजदूरों के पास गए हुए राहुल गांधी लौट आएं तो उनको भी शादी में आने की विनती कर दे।
किंतु राहुल गांधी ने बड़ी चतुराई से इस सिचुएशन को हैंडल किया। घर आए मेहमान की बेइज्जती जैसा भी कुछ नहीं किया और मुकेश अंबानी को केवल सोनिया गांधी द्वारा मंगवाए गए समोसे खाकर ही लौटना पड़ा। इसके बाद कल हुई शादी में गांधी परिवार से किसी सदस्य का नहीं पहुंचना यह दर्शाता है कि यह परिवार इंदिरा गांधी की विरासत को सही से निभा रहा है जिन्होंने उस समय के सर्वाधिक शक्तिशाली देश अमेरिका के दबावों की परवाह न करते हुए ऑपरेशन बांग्लादेश और पोखरण परमाणु परीक्षण जैसे कठिनतम मिशनों को अंजाम दिया। देश में केवल यही एक परिवार है हो सच में 56 इंच का सीना रखता है।
कोई भक्त नरेंद्र मोदी के शादी में न जाने का तर्क लेकर हाजिर न हो। मोदी-अंबानी के रिश्ते भी दुनिया जानती है और राहुल-अंबानी की तल्खियों को भी। मोदी तो वैसे भी जियो सेंटर के हर कोने में मौजूद थे, कट-आउट्स में ही सही।
स्वप्निल झालानी
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