November 9, 2024

Kal Ka Samrat News India

हर खबर पर नज़र

वन स्टेट-वन इलेक्शन के लिए बदल सकता है कानून:सरकार की पहली वर्षगांठ पर हाे सकती है घोषणा; हजारों पंचायतों के चुनाव टलेंगे

वन स्टेट-वन इलेक्शन के लिए बदल सकता है कानून:सरकार की पहली वर्षगांठ पर हाे सकती है घोषणा; हजारों पंचायतों के चुनाव टलेंगे

जयपुर

राजस्थान में वन स्टेट-वन इलेक्शन को लेकर सरकार में अलग-अलग स्तर पर तैयारियां चल रही हैं। इसे लेकर मंत्री लेवल कमेटी का प्रस्ताव भी अभी अटका हुआ है। ऐसे में 7 विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव के बाद सरकार इस पर फैसला ले सकती है

बताया जा रहा है कि वन स्टेट-वन इलेक्शन का ये प्रस्ताव गहलोत सरकार में बने नए जिलों की वजह से अटका हुआ है। 15 दिसंबर को सरकार की पहली वर्षगांठ है, इस मौके पर भी वन स्टेट-वन इलेक्शन पर फाइनल फैसले की घोषणा हो सकती है

पंचायतीराज संस्थााओं और शहरी निकायों के चुनाव एक साथ करवाने को लेकर राज्य निर्वाचन आयोग भी अपने स्तर पर तैयारियां कर रहा है। एक साथ चुनाव करवाए जाने पर कई कानूनी बाधाएं हैं, उसे लेकर भी कानूनी जानकारों से राय ली गई है। पंचायतीराज विभाग और स्वायत्त शासन विभाग ने भी मौजूदा कानून में बदलाव के लिए विधि विभाग और कानूनी जानकारों से राय ली है

पहले गहलोत राज के जिलों पर फैसला होगा
वन स्टेट-वन इलेक्शन से पहले सरकार गहलोत राज के जिलों पर फैसला करेगी। जिलों की रिव्यू कमेटी की रिपोर्ट के बाद गहलोत राज के छोटे जिले खत्म करने का फैसला होगा। इसके बाद ही पंचायतीराज संस्थाओं के साथ चुनाव करवाने पर काम आगे बढ़ेगा। गहलोत राज के जिलों पर फाइनल फैसला होने के बाद ही जिला परिषदों की सही संख्या तय होगी, इसके बिना चुनाव संभव नहीं है

कानून मंत्री जोगाराम पटेल का कहना है कि जिलों पर फैसले के बाद ही वन स्टेट-वन इलेक्शन संभव है, यह जिलों से सीधे तौर पर जुड़ा हुआ मसला है। बिना जिलों पर फैसला हुए जिला परिषदों पर असमंजस रहेगा। कौन सा जिला रहेगा कौन सा नहीं रहेगा, इस पर फैसला हुए बिना यह काम संभव नहीं है। पहले जिलों पर फैसले के बाद ही वन स्टेट-वन इलेक्शन का काम आगे बढ़ सकेगा

दिसंबर में 6975 पंचायतों में प्रशासक लगाने होंगे, चुनाव आगे खिसकेंगे
एक साथ चुनाव करवाने के लिए सरकार को पंचायतीराज संस्थाओं और स्थानीय निकायों में प्रशासक लगाने होंगे। जनवरी में 6975 पंचायतों के चुनाव का समय आ जाएगा, बची हुई पंचायतों के चुनाव 2026 में है, एक साथ चुनाव करवाने के लिए पहले फेज वाली 6975 पंचायतों के चुनाव आगे खिसकाने होंगे

चुनाव आगे खिसकाने के लिए इन पंचायतों में प्रशासक लगाने होंगे। प्रशासक लगाने के लिए कोई ठोस कारण तलाशना होगा, मौजूदा काननूी प्रावधानों के हिसाब से चुनाव एक साथ करवाने के लिए प्रशासक लगाने का प्रावधान नहीं है

सरपंच संघ की मांग, मध्य प्रदेश मॉडल अपनाएं
राजस्थान सरपंच संघ ने वन स्टेट-वन इलेक्शन का समर्थन करते हुए पहले फेज में जिले 6975 पंचायतों के जनवरी में चुनाव होने हैं, उनका कार्यकाल बढ़ाने की मांग की है। सरपंच संघ ने मध्य प्रदेश मॉडल अपनाने की मांग करते हुए एक साथ चुनाव के लिए पंचायतों का कार्यकाल बढ़ाने और प्रशासक लगाने की जगह मौजूदा सरपंचों के साथ एक कमेटी बनाकर जिम्मेदारी देने की मांग की है। सरपंच संघ के अध्यक्ष बंशी गढ़वाल का कहना है कि वन स्टेट-वन इलेक्शन के लिए मध्यप्रदेश मॉडल पर काम करना चाहिए। सरकार ने इस मांग का परीक्षण करवाने का भरोसा दिया है

पहले पंचायतों के चुनाव एक साथ होते थे
पहले ज्यादातर पंचायतीराज संस्थाओं के चुनाव एक साथ ही होते थे। पिछली कांग्रेस सरकार के समय चुनावों का शेड्यूल बिगड़ गया। इस वजह से अलग-अलग चुनाव होने लगे। पिछले कांग्रेस राज के दौरान पंचायतों का पुनर्गठन करने का काम समय पर नहीं होने से शेड्यूल गड़बड़ाया था

दिसंबर 2025 में 21 जिला परिषदों, सितंबर-अक्टूबर 2026 में 8 और दिसंबर 2026 में 4 जिला परिषदों का कार्यकाल पूरा हो रहा है। इसी तरह दिसंबर 2025 में 222 पंचायत समिति के मेंबर और प्रधानों का कार्यकाल पूरा होगा। सितंबर 2026 में 78, अक्टूबर 2026 में 22 और दिसंबर 2026 में 38 पंचायत समितियों का कार्यकाल पूरा हो रहा है

सरकार को चुनाव टालने के लिए विशेष परिस्थिति का हवाला देना होगा
पंचायतीराज संस्थाओं और शहरी निकायों के चुनाव 5 साल में करवाने अनिवार्य है। । 73वें और 74वें संविधान संशोधन में ही यह प्रावधान है कि पंचायतीराज संस्थाओं-नगरीय निकायों के 5 साल में चुनाव करवाने होंगे, चुनावों को टालने का प्रावधान नहीं है। विशेष परिस्थितियों में साल 2019-2020 में कोरोना के कारण चुनाव टाले गए थे,उस समय मामला सुप्रीम कोर्ट तक गया था। जिन पंचायतों के चुनाव टालने हैं, उनमें विशेष परिस्थितियों का हवाला देना होगा। प्रशासक लगाने पर कोर्ट में चुनौती दी जा सकती है। सरकार इन कानूनी दिक्कतों का हल खोजने में जुटी है

You may have missed