देश का सबसे बड़ा खुला घोटाला!!!
प्रश्न – कैशलेस ट्रांजैक्शन यानी नकदी रहित लेनदेन में क्या खराबी है?
उत्तर:- सर, सोचिए कि 100 रुपये का नोट 1,00,000 बार चलन में आता है यानी सर्कुलेट होता है, इसका मूल्य समान होगा, किसी को कोई कमीशन नहीं मिलता।
लेकिन अगर इसे कैशलेस ट्रांजैक्शन के माध्यम किया जाता है, तो प्रत्येक लेनदेन पर 2.5% कमीशन मिलता है, यानी 1,00,000 गुना 2.5% = 2500% यानी पेटीएम या जियो मनी आदि जैसे सेवा प्रदाताओं को 2,50,000 (दो लाख पचास हजार रुपये) सिर्फ सौ रुपये में। तो, यह हमेशा के लिए सोने का अंडा देने वाली मुर्गी है जो गिरोह को उपहार में दी गई है। इसलिए ये है सभी घोटालों की जननी है। अति महत्वपूर्ण आँकड़े कृपया पढ़ें और समझें, इसमें कोई राजनीति नहीं।
क्या आप जानते हैं…
1) डेबिट कार्ड प्रत्येक लेनदेन के लिए खुदरा विक्रेता या धन प्राप्तकर्ता से 0.5% से 1% के बीच शुल्क लेते हैं।
2) क्रेडिट कार्ड प्रत्येक लेनदेन के लिए धन प्राप्त करने वाले के खुदरा विक्रेता से 1.5%-2.5% शुल्क लेते हैं।
3) PayTM/Freecharge/Jio Money और अन्य ई-वॉलेट चार्ज 2.5% से 3.5% तब ले लेते हैं, जब आप अपना ई-वॉलेट पैसा अपने बैंक खाते में ट्रांसफर करना चाहते हैं।
भारतीय रिजर्व बैंक के डेटा से पता चलता है कि हर महीने लगभग 2.25 लाख करोड़ (सालाना 25 -30 लाख करोड़ रुपये) पूरे भारत में एटीएम से निकाले जाते हैं। और यह अनुमान लगाया गया है कि बैंक निकासी के साथ, सालाना आधार पर कुल 75 लाख करोड़ रुपये (बैंक और एटीएम दोनों) निकाले जाते हैं। यह सब हिसाब/कर चुकाया गया पैसा है, जो बैंकों से निकाला जाता है। वर्तमान में, केवल 3% लेनदेन इलेक्ट्रॉनिक मोड में हैं।
अगर इस 75 लाख करोड़ रुपये को कैशलेस इकोनॉमी में बदला जाता है, तो देखिए कंपनियां कितना कमाती हैं… (75 लाख करोड़ गुना 2% औसत) मतलब 1.5 लाख करोड़ रुपये सालाना!
ये कोई मजाक नहीं…!
यह सबसे बड़ा खुला घोटाला है। रिलायंस, पेटीएम, ई-बैंक, आदि जैसे कॉरपोरेट्स के लिए प्रति वर्ष 1.5 लाख करोड़ रुपये का सीधा लाभ…
इससे मुझे आश्चर्य होता है कि क्या विमुद्रीकरण यानी डिमॉनेटाइज़ेशन काले धन को समाप्त करने के लिए किया गया था या असल में यह कॉर्पोरेट्स को फायदा देने के लिए किया गया था
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