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ध्वस्त हो चुकी है मायावती कि बहुजन राजनीति, देहली नगर निगम चुनाव-2022 

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दिल्ली नगर निगम चुनाव-2022 

दिल्ली के नगर निगम के चुनावों का नतीजा आज आ गया  है। कौन जीता, कौन हारा इसके बारे में ज्यादा टिप्पणी की ज़रूरत नहीं है। लेकिन किसकी सर्वाधिक “दुर्गति” हुयी है इसे बताने की भी आवश्यकता नहीं है।  

दिल्ली देश की राजधानी है, राष्ट्रीय राजनीति का केंद्र भी है। आज से 15-20 वर्ष पहले तक दिल्ली में बीएसपी का बड़ा भारी जनाधार था, इसके विधायक, पार्षद इत्यादि भी जीतते थे। एक समय दिल्ली में बीएसपी का वोट लगभग 14 प्रतिशत तक पहुँच गया था।  

लेकिन इस “वोट” को “नोट” में बदल कर अपने परिवार को पालने की मायावती की हवस ने बीएसपी को आज इस रसातल में पहुंचा दिया है कि इस बार के नगर निगम चुनाव में कुल 250 से अधिक सीटों में से आधे पर भी बीएसपी के उम्मीदवार खड़े नहीं हुये/किए गए। तमाम आंकड़ों का विश्लेषण करने के बाद ये नज़र आया है कि शायद ही कोई ऐसी सीट रही हो जिसमें बीएसपी (अर्थात ‘मायावती एंड फैमिली’) को मात्र 400 या 500 वोट भी मिल पाये हों। 

पता नहीं, मायावती को कुछ शर्म आ रही होगी या नहीं। लेकिन भाजपा-आरएसएस से साँठ गांठ करके इन चुनावों में भी सीटें छोडने या उनके ‘हिसाब से’ कैंडिडैट खड़े करने के एवज में कुछ सौ या हज़ार करोड़ रुपयों का सौदा कर लिया हो (जैसा कि हर छोटे-बड़े चुनाव में होता है)। दलित-शोषित समाज को पटरी पर बेच कर मायावती और उसका कुनबा अरबपति-खरबपति बन गया है। 

दिल्ली के सर्वाधिक महंगे चाणक्यपुरी इलाके में लगभग 10-12 बड़ी बड़ी कोठियों की मालकिन (प्रत्येक कोठी कम से कम 200 से 600 करोड़ रुपये कीमत की)  मायावती और उसका कुनबा आज अपनी इस ‘कामयाबी’ का जश्न ज़रूर मना रहे होंगे। इसके अतिरिक्त (मेरी सीमित जानकारी के अनुसार) दिल्ली के इंदरपुरी के महंगे रिहायशी इलाके में भी बड़ी बड़ी (नामी-बैनामी) कोठियाँ हैं। लेकिन, इसी दिल्ली में मायावती की “राजनैतिक कब्र”  का भी आज शिलान्यास हो गया, ये भी एकदम स्पष्ट है।     

जहां तक दलित-शोषित-पीड़ित बहुजन समाज के लोगों की बात है उन्होने मजबूरी/विकल्पहीनता में जिसको भी जिताया हो, इसमें उनका कोई दोष नहीं है। 

2024 (लोक सभा चुनाव) में उत्तर प्रदेश में भी यही तस्वीर होगी, ये भी एकदम तय है।  

मायावती बहुजन समाज के लिए एक कोढ़ साबित हुयी है। इसे जितना खुजलाया जाएगा, ये उतना ही फैलेगा।  

अतः, इसका इलाज अब बेहद ज़रूरी हो गया है।  इलाज भी अब ये समाज ही करेगा।
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प्रमोद कुरील (पूर्व सांसद-राज्य सभा) 
राष्ट्रीय अध्यक्ष – बहुजन नेशनल पार्टी  
नयी दिल्ली।                  

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