विश्वसनीयता” पत्रकारिता का महत्त्वपूर्ण घटक – अग्रवाल
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देश में प्रेस की स्वतंत्रता खतरे में
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जेएलएन मेडिकल कॉलेज में “प्रेस की स्वतंत्रता” पर सेमिनार सम्पन्न
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अजमेर। पत्रकारिता के लिए कलम-कागज आदि साधन सुविधाएं महत्वपूर्ण नहीं। प्रेस की स्वतंत्रता को अक्षुण्ण रखना है तो पत्रकारिता में “विश्वसनीयता” को महत्वपूर्ण मान कर काम करना होगा। खबरों में एक एकतरफा तथ्य या दबाव में लिखी खबरें यदि समाज को सही सूचना ही नहीं पहुंचा सकेंगी तो प्रेस या मीडिया अपना कर्तव्य निभाने का दावा कैसे कर सकता है! इसलिए जब तक विश्वसनीय तथ्यों के साथ विश्वसनीय खबरें नहीं देंगे, तब तक प्रेस की स्वतंत्रता को नए मानी भी नहीं दे सकेंगे। यह बात वरिष्ठ पत्रकार डॉ रमेश अग्रवाल ने जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज के सभागार में “प्रेस की स्वतंत्रता पर आयोजित परिचर्चा में कही। उल्लेखनीय है कि 3 मई को विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस होता है। इस मौके पर राजस्थान मेडिकल टीचर्स एसोसिएशन, इन सर्विस डॉक्टर्स और अजयमेरु प्रेस क्लब के संयुक्त तत्वावधान में जेएलएन मेडिकल कॉलेज के नए सभागार में आयोजित परिचर्चा में बोलते हुए डॉ अग्रवाल ने कहा कि दुर्भाग्यपूर्ण है कि पत्रकारिता का व्यवसायीकरण भी हो गया है और राजनीतिकरण भी हो गया है। ऐसे में सेट मानसिकता के तहत पत्रकार खबरें लिख व दिखा रहे हैं। इससे विश्वसनीयता खो रही है और प्रेस की स्वतंत्रता पर सवाल खड़े हो रहे हैं।
इस मौके पर अजयमेरु प्रेस क्लब के अध्यक्ष राजेंद्र गुंजल ने कहा कि आज हम सभी मिलकर विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस मनाने के लिए जुटे हैं। अफसोस की बात यह है “रिपोर्टर्स विदाउट बाॅर्डर्स” नाम की संस्था ने विश्व की प्रेस की स्वतंत्रता का इंडेक्स कार्ड जारी किया है । इसके मुताबिक दुनिया के 180 देशों में से भारत का स्थान 159 है। यह आंकड़ा ही हमारे देश में प्रेस की स्वतंत्रता की हालत बयां कर देता है। ब्रिटिश भारत में जेम्स ऑगस्ट हिकी ने ” बंगाल गजट ” अखबार निकाला । ब्रिटिश नागरिक होने के बावजूद वे ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ लिखते रहे । ब्रिटिश हुकूमत ने उनका अखबार बंद कर दिया । हाल ही में भारत सरकार ने एक न्यूज चैनल 4 पी एम को बंद कर दिया। क्या फर्क रहा ब्रिटिश हुकूमत और केंद्र सरकार में ? आज देश में प्रेस की स्वतंत्रता पर खतरा मंडरा रहा है।
संचालन करते हुए वरिष्ठ पत्रकार अमित टंडन ने कहा कि “प्रेस” और “मीडिया” के अंतर को समझना भी बहुत जरूरी है। क्योंकि प्रेस का अर्थ छपने (प्रकाशन) से होता है, जबकि आज प्रसारित होने वाले खबरों के आधुनिक माध्यम “टीवी चैनल्स” या “डिजिटल व सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म” के जॉर्नलिस्ट भी स्वयं को “प्रेस” कहते हैं, जबकि वे मीडियाकर्मी हैं। प्रेस में लेखन क्षमता और तथ्यों की प्रस्तुति प्रधान होती है और यही पत्रकारिता की प्रारंभिक पाठशाला है।
कार्यक्रम के संयोजक जन स्वास्थ्य विशेषज्ञ एवं स्वास्थ्य निदेशालय से उपाधीक्षक पद से सेवानिवृत्त डॉ लाल थदानी ने मीडिया व स्वास्थ्य विभाग का आभार जताया ।
प्रेस क्लब के कार्यक्ररिणी सदस्य विजय कुमार शर्मा ने अपनी पुस्तक “परशुरामचरित” पर व्याख्यान दिया।
इस मौके पर गीत-संगीत का एक रंगारंग कार्यक्रम भी हुआ । इसमें अजयमेरु प्रेस क्लब के सदस्यों और मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ अनिल सामरिया , अस्पताल के अधीक्षक डॉ अरविन्द खरे और उप अधीक्षक डॉ अमित यादव ने भी गीत गाकर सभी को चकित कर दिया । मेडिकल कॉलेज की वित्तीय सलाहकार पद्मिनी सिंह द्वारा कविता “नदिया” व डॉ अरविंद खरे द्वारा पढ़ी गई मुन्नवर राणा की ग़ज़ल “माँ” ने जहां दाद पाई, वहीँ पत्रकार एवं शायर सादिक़ अली “ज़की” के गीत ने गरीबी के मर्म को पेश कर दिल छू लिया।
इससे पूर्व सभी मंचासीन अतिथिओं ने मां सरस्वती के चित्र पर पुष्प अर्पित कर तथा दीप प्रज्जवलित कर कार्यक्रम की शुरुआत की।
प्राचार्य डॉ अनिल सामरिया व प्रोफेसर डॉ दीपा थदानी ने डॉ रमेश अग्रवाल को माला व पौधा भेंट किया, डॉ अग्रवाल ने डॉ सामरिया को माला पहनाई, अस्पताल अधीक्षक डॉ अरविंद खरे के साथ माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के सेवानिवृत्त उप अधीक्षक गणेश चौधरी व गोपेंद्रपाल सिंह ने अजयमेरु प्रेस क्लब अध्यक्ष राजेंद्र गुंजल को माला व पौधा भेंट कर अभिनंदन किया, वहीं गुंजल ने डॉक्टर खरे का सम्मान किया। सरकारी शिक्षण संस्थान के प्रिंसिपल अशोक दरयानी ने डॉक्टर अमित यादव को माला व पौधा भेंट कर सम्मान किया। इस अवसर पर वरिष्ठ पत्रकार एवं कार्यक्रम संचालक अमित टण्डन को सभी मंचासीन अतिथियों ने सामूहिक रूप से माला व पौधा भेंट कर सम्मानित किया। इनके अतिरिक्त वरिष्ठ पत्रकार अरविंद मोहन शर्मा सहित उपस्थित अनेक मीडियाकर्मियों सहित चिकित्सकों को भी सम्मानित किया गया । अंत में अजयमेरु प्रेस क्लब के महासचिव वरिष्ठ पत्रकार अरविंद मोहन शर्मा ने आभार व्यक्त किया।
