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अध्यात्म एवं ज्योतिष में दशमी तिथि का महत्त्व 

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अध्यात्म एवं ज्योतिष में दशमी तिथि का महत्त्व 

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हिंदू पंचाग की दसवीं तिथि दशमी कहलाती है। इस तिथि का नाम धर्मिणी भी है क्योंकि इस तिथि में शुभ कार्य करने से शुभ फल प्राप्त होता है। इसे हिंदी में द्रव्यदा भी कहते हैं। यह तिथि चंद्रमा की दसवीं कला है, इस कला में अमृत का पान वायुदेव करते हैं। दशमी तिथि का निर्माण शुक्ल पक्ष में तब होता है जब सूर्य और चंद्रमा का अंतर 109 डिग्री से 120 डिग्री अंश तक होता है। वहीं कृष्ण पक्ष में दशमी तिथि का निर्माण सूर्य और चंद्रमा का अंतर 289 से 300 डिग्री अंश तक होता है। दशमी तिथि के स्वामी यमराज को माना गया है। आरोग्य और दीर्घायु प्राप्ति के लिए इस तिथि में जन्मे जातकों को यमदेव की पूजा अवश्य करनी चाहिए।

तिथि

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शुक्ल पक्ष दशमी

रविवार, 30 अप्रैल 2023

दशमी प्रारंभ : 29 अप्रैल 2023 को शाम 06:22 बजे

दशमी समाप्ति : 30 अप्रैल 2023 को रात्रि 08:29 बजे

दशमी तिथि का ज्योतिष में महत्त्व  

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यदि दशमी तिथि शनिवार को पड़ती है तो मृत्युदा योग बनाती है। इस योग में शुभ कार्य करना वर्जित है। इसके अलावा दशमी तिथि गुरुवार को होती है तो सिद्धा कहलाती है। ऐसे समय कार्य सिद्धि की प्राप्ति होती है। बता दें कि दशमी तिथि पूर्णा तिथियों की श्रेणी में आती है, इस तिथि में किए गए कार्यों की कार्य पूर्ण होते हैं। वहीं किसी भी पक्ष की दशमी तिथि पर भगवान शिव का पूजन करना वर्जित माना जाता है। आश्विन महीने के दोनों पक्षों में पड़ने वाली दशमी तिथि शून्य कही गई है।

दशमी तिथि में जन्मे जातक को धर्म और अर्धम का ज्ञान भलीभांति होता है। उनमें देशभक्ति कूट कूटकर भरी होती है। ये लोग धार्मिक कार्यों में बढ़चढ़कर हिस्सा लेते हैं। ये हमेशा जोश और उत्साह से भरे होते हैं। वे अपने विचार दूसरों के सामने प्रकट करने में संकोच नहीं करते हैं। ये लोग काम करने में हठी होते हैं लेकिन उदार भी बने रहते हैं। इन तिथि में जन्मे लोग आर्थिक रूप से संपन्न और दूसरों की भलाई करने में लगे रहते हैं। इन जातकों में कलात्मकता भी होती है। ये रंगमंच यानि थिएटर जैसी कला के प्रति जागरुक रहते हैं। ये लोग पारिवार को सदैव अपने साथ लेकर चलने वाले होते हैं।

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