सरकार रिपीट होने की संभावना को धूमिल करता कांग्रेस आलाकमान।
राजस्थान में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार के रिपीट होने की संभावनाएं बढ़ गई है हर 5 साल में सरकार बदलने के रिवाज को मुख्यमंत्री गहलोत इस बार तोड़ते नजर आ रहे हैं सरकार की लोक कल्याणकारी और विकास की योजनाएं कांग्रेस की स्थिति प्रदेश में लगातार मजबूत कर रही है सरकार द्वारा चलाए गए महंगाई राहत कैंप में लगभग दो करोड़ लोग अपना रजिस्ट्रेशन करा कर अपने घरों पर 100 यूनिट मुफ्त बिजली, मुख्यमंत्री चिरंजीवी स्वास्थ्य योजना में 25 लाख तक का लाभ, नरेगा में 125 दिन का रोजगार,₹1000 वृद्धावस्था पेंशन, खाने के सामान की किट बिजली की कृषि कनेक्शन पर दो हजार यूनिट प्रतिमाह मुफ्त सहित 10 योजनाओं का लाभ उठा रहे हैं इससे पहले प्रदेश में इंदिरा रसोई में ₹8 में भोजन ,बेरोजगारी भत्ता, वृद्धजन को तीर्थ यात्रा, मुफ्त दवा, मुफ्त जांच, मेघावी छात्रों को विदेश में सरकारी खर्च पर शिक्षा, सरकारी स्कूलों में डे मील यूनिफॉर्म पाठ्यक्रम की मुफ्त पुस्तकें, प्रदेश भर में सरकारी इंग्लिश मीडियम की स्कूल सहित कई योजनाएं सरकार लाकर आम आदमी को राहत दे चुकी है और आने वाले दिनों में ऐसी कई योजनाएं और आने वाली है।
विभिन्न कंपनियों के हो रहे सर्वे कांग्रेस को बढ़त बता रहे हैं आर एस एस द्वारा कराए गए सर्वे में भी कांग्रेस को बेहतर स्थिति में माना गया है। सरकार के खिलाफ किसी तरह की कोई हवा नहीं चल रही है हालत यह है कि महंगाई राहत कैंप के बाद तो भाजपा की प्रदेश भर में निकाली गई आक्रोश रेलिया प्रधानमंत्री व नेताओं की आमसभा सचिवालय घेराव सहित अन्य कार्यक्रम फ्लॉप होने लगे हैं।
कांग्रेस में पहले माना जा रहा था कि सचिन पायलट कांग्रेस छोड़ देंगे क्योंकि भाजपा ऐसा चाह रही थी परंतु अपने समर्थकों को पायलट पार्टी छोड़ने के लिए नहीं मना पाए पार्टी को विभिन्न मौकों पर धमकी देने तथा अपनी सरकार के खिलाफ संघर्ष करने वाले पायलट बाहर जाने का राग खत्म कर पार्टी में बने रहना चाहते हैं जबकि प्रदेश के नेताओं का मानना है कि पायलट का इतना दूराभाव के बाद पार्टी में रहना अथवा राजस्थान में किसी पद पर आना नुकसानदायक है।
अब लग रहा है कि आलाकमान सचिन पायलट को सम्मान के साथ पार्टी में रखना चाह रहा है जबकि दूसरी और सरकार बचाने वाले मुख्यमंत्री और अन्य विधायक अपने को ठगा सा महसूस कर रहे हैं इनमें से कई तो इस बार कांग्रेस टिकट पर चुनाव नहीं लड़ने का मन बना रहे हैं क्योंकि पायलट यदि पार्टी में रहे तो वह अपने हर विरोधी को नुकसान पहुंचाने की कोशिश करेंगे क्योंकि उनकी ऐसी मानसिकता पहले भी रही है। आलाकमान द्वारा कराए गए सर्वे में भी राजस्थान में सरकार रिपीट होती दिख रही है, इसके चलते दिल्ली में बैठे नेता कई गलतफहमी के शिकार हो गए हैं उन्हें लगता है कि राज उनके कारण आ रहा है लोग कांग्रेस को सर माथे पर बैठाने लग गए हैं इसलिए वह राजस्थान मैं अपना फैसला थोपना चाह रहा है जबकि लोगों का मानना है कि ऐसी लड़ाई झगड़े रहे तो लोग कांग्रेस को वोट नहीं देंगे। 70 वर्ष से ऊपर के नेताओं को चुनाव ना लड़ाने की चर्चा छेड़ने वाले आलाकमान को पता नहीं की अशोक गहलोत यदि विधानसभा का चुनाव नहीं लड़ेंगे तो कांग्रेस के पक्ष में चल रही हवा बीच रास्ते में ही दम तोड़ देगी क्योंकि लोग गहलोत को ही सीएम बनता देखना चाहते हैं। कांग्रेस संगठन पूरी तरह से बिखरा हुआ है 40 में से 27 जिलों में तो 2 साल से अध्यक्ष नहीं है आलाकमान अनुमति नहीं दे रहा है ब्लॉक अध्यक्ष मंडल अध्यक्ष जी नहीं बने हैं ब्लॉक और जिला इकाइयों का तो पता ही नहीं है प्रदेश कार्यकारिणी भी अधूरी है कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा कई बार सूची बनाकर भेज चुके हैं प्रभारी रंधावा सरकार रिपीट करने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा रहे हैं परंतु संगठनात्मक और राजनीतिक नियुक्तियां उनकी सिफारिश के बाद भी नहीं हो रही है क्योंकि आलाकमान पता नहीं क्या चाहता है।
आलाकमान ने प्रदेश को लेकर ऐसी अनिश्चितता बरकरार रखी तथा राजनीतिक और संगठनात्मक नियुक्तियों को लटकाए रखा तो उसका अच्छा परिणाम नहीं रहेगा सचिन पायलट की ज्यादा तरफदारी भी आलाकमान के लिए अच्छी नहीं होगी क्योंकि इससे सरकार रिपीट होने की स्थिति बिगड़ रही है भाजपा के नेताओं का मानना है कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत आलाकमान के किसी भी असम्मानजनक फैसले को स्वीकार नहीं करेंगे ऐसे हालात में भाजपा फिर टक्कर की स्थिति में राजस्थान में लौट आएगी
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