गांधी ने बेहतर दुनिया के निर्माण का रास्ता दिखलाया
अजमेर,23 सितम्बर। महात्मा। गांधी का जीवन दर्शन केवल एक व्यक्ति , देश या समाज के कल्याण की भावना से संचालित नही था,वे पूरी दुनिया में शांति,सौहार्द और समरसता लाना चाहते थे।उन्होंने सत्य,अहिंसा, अपरिग्रह और अस्तेय के द्वारा बेहतर दुनिया के निर्माण का रास्ता दिखाया। ये विचार अजमेर के नागरिकों की पहल पर आरंभ किए गए दस दिवसीय गांधी महोत्सव के उद्घाटन के अवसर पर व्यक्त किए गए।
द टर्निग प्वाइंट स्कूल के सभागार में आयोजित उद्घाटन कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित सुप्रसिद्ध सामाजिक कार्यकर्ता व संस्कृति कर्मी शंकर सिंह नेइस अवसर पर कहा कि गांधी की सोच सत्ता की सोच न होकर आम व्यक्ति के आंसू पोंछने की सोच थी। उन्होंने सरकारों का लक्ष्य देश के अंतिम व्यक्ति के हित सुरक्षित रखना रखा। यह अत्यंत दुखद है कि अब सरकारें अपने व्यक्ति और एक दो व्यक्ति के हितों को सर्वोपरि मान रही हैं। उन्होंने लोक में प्रचलित मार्मिक कथा सुनाते हुए कहा कि जब उम्मीद और विश्वास टूट जाता है व्यक्ति की मौत हो जाती है।उन्होंने जन आंदोलनों में प्रचलित गीत भी “जो भी चाहे कर लो हम तो बढ़ते जाएंगे ” भी सुनाया। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए वरिष्ठ पत्रकार व साहित्यकार डा रमेश अग्रवाल ने महत्मा गांधी को व्यावहारिक विचारक बतलाया। उन्होंने कहा कि गांधी जी ने केवल उपदेश ही नहीं दिया बल्कि उसे अपने व्यवहार में लागू किया।वे केवल आजादी के आंदोलन के लिए मनुष्य की मुक्ति के लिए संघर्षरत रहे।इस अवसर पर डा अनंत भटनागर ने गांधी महोत्सव की संकल्पना प्रस्तुत करते हुए कहा कि गांधी को जीवन में उतारने के लिए जनता को पहल करनी होगी।
उद्घाटन कार्यक्रम के पश्चात आयोजित गांधी केंद्रित कार्यशाला “गांधी : क्या,क्या नहीं और क्यों’ कार्यशाला में तीन सत्रों में गांधी की महत्वपूर्ण देन , उनके विषय में व्याप्त भ्रांतियों तथा वर्तमान समय में प्रासंगिकता पर चर्चा की गई। ’गांधी क्या’ रासबिहारी गौड़ ने उन्हें आम जनता में आत्म शक्ति तथा साहस जगाने वाला व्यक्ति बतलाया। शेफाली मार्टिंस ने सभी धर्मों तथा वर्गों में समन्वय स्थापित करने में उनकी भूमिका पर प्रकाश डाला। अनंत भटनागर ने स्त्रियों को स्वतंत्रता आंदोलन में जोड़कर सामाजिक परिवर्तन लानेकी दिशा में महत्वपूर्ण कदम बतलाया। श्री पराग मांदले ने गांधी द्वारा शुरू किए गए विभिन्न रचनात्मक कार्यक्रमों की जानकारी दी ।
द्वितीय सत्र में गांधी के विषय में प्रचारित भ्रामक धारणाओं दलित वर्ग के शत्रु,कमजोरी के प्रतीक,विभाजन के जिम्मेदार तथा भगतसिंह की फांसी पर मौन आदि के संदर्भ में तथ्य प्रस्तुत कर इन धारणाओं की विसंगतियों को उजागर किया गया। अंतिम सत्र में वक्ताओं ने विश्व शांति व समरसता के लिए,भौतिकतावाद से मुक्ति के लिए,जन आंदोलनों की ताकत के लिए तथा राजनीति में मूल्य और नैतिकता के लिए गांधी विचार को अत्यंत प्रासंगिक तथा उपयोगी बतलाया। कार्यशाला में शहर के सभी प्रमुख महाविद्यालयों तथा विभिन्न विद्यालयों के 50 शिक्षको सहित सौ प्रतिभागियों ने भाग लिया।कार्यशाला का संचालन सुरभि जैन ने किया।
गांधी महोत्सव के दूसरे दिन 24 सितम्बर को कचहरी रोड स्थित रेलवे बिसिट इंस्टीट्यूट में प्रातः 10.30 बजे श्रम आंदोलन और गांधी विषय पर परिसंवाद का आयोजन किया जाएगा।
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