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ईआरसीपी होगा 13 जिलों की जीवन रेखा-केन्द्रीय जल शक्ति मंत्राी श्री शेखावत

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ईआरसीपी होगा 13 जिलों की जीवन रेखा-केन्द्रीय जल शक्ति मंत्राी श्री शेखावत
अजमेर 30 जनवरी। केन्द्रीय जल शक्ति मंत्राी श्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने मंगलवार को अजमेर प्रवास के दौरान मीडिया कर्मियों से विस्तृत वार्ता की। उन्होंने ईआसीपी को राजस्थान के 13 जिलों की जीवन रेखा बताया।
केन्द्रीय जल शक्ति मंत्राी श्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने कहा कि राजस्थान में नकल तथा पेपर आऊट के प्रकरणों की जांच सुनिश्चित करने के लिए एसआईटी गठित की गई है। आवश्यकता होने पर उससे भी आगे केंद्रीय जांच एजेंसियों से जांच करवाकर युवाओं को हम न्याय दिलाएंगे। भविष्य में पारदर्शी तरीके से भर्ती करवाना सुनिश्चित किया जा रहा है। सरकार बनते ही गरीब मातृशक्ति को एक संबल प्रदान करने के लिए प्रधानमंत्राी उज्ज्वला गैस योजना के लाभार्थियों को 450 रूपए में सिलिंडर देने आरम्भ किए है।
उन्होंने कहा कि अजमेर सहित पूर्वी राजस्थान के 13 जिलों में पानी का संकट है। इसमें से अजमेर भी एक है। इसके स्थायी समाधान का मार्ग केवल ईस्टर्न राजस्थान कैनाल प्रोजेक्ट (ईआरसीपी) के बनने से होगा। ईस्टर्न राजस्थान कैनाल प्रोजेक्ट को खामियों के चलते हुए उस समय अप्रूव नहीं हो पाया। पूर्ववर्ती सरकार ने केवल और केवल इस विषय को लेकर राजनीति की। इन 13 जिलों के करोड़ों प्यासे कंठों के पेयजल के हितों पर कुठाराघात किया। लाखों एकड़ क्षेत्रा सिंचित हो सकने वाली जमीन के किसानों के अरमानों पर राजनीति की। इस योजना को एक राजनीतिक हथियार के रूप में इस्तेमाल करने की कुचेष्टा की। पूर्व सरकार से बार-बार आग्रह करने पर भी बैठक में सम्मिलित नहीं हुई। इस कारण इस विषय को आगे नहीं बढ़ाया जा सका।
उन्होंने कहा कि केन्द्रीय जल शक्ति मंत्राी के रूप में पूर्वी राजस्थान के लगभग सभी जिलों में जाकर बातचीत की। समाज के सारे विशिष्ट जनों एवं इन्फ्लूएंसर्स से बातचीत भी की थी। श्री अटल बिहारी वाजपेयी के समय में बनी हुई पार्वती काली सिंध चंबल परियोजना और श्रीमती वसुंधरा राजे के समय में राजस्थान कैनाल परियोजना इन दोनों को जोड़कर इन्टीग्रेटेड लिंक बना दिया। अपेक्स कमेटी ने इसको एक अंतर्राज्यीय नदियों को जोड़ने के प्रकल्प के रूप में मान्यता प्रदान कर दी। उसके अलावा स्पेशल कमेटी ने इसको प्राथमिक लिंक के रूप में चिन्हित कर लिया।
उन्होंने कहा कि श्री अटल बिहारी वाजपेयी के समय में नदियों को जोड़ने के प्रकल्प पर काम करना प्रारंभ किया गया था। तब श्री सुरेश प्रभु के नेतृत्व में एक तकनीकी कमेटी बनी थी। उसने 30 लिंक आइडेंटिफाइ किए थे। इनमें सरप्लस बेसिस से डेफिसिट बेसिन में पानी ट्रांसफर किया जा सकता है। जहां पानी की अधिकता है वहां से पानी की कमी वाली नदियों में पानी भेजा जा सकता है। उनमें पार्वती कालीसिंध चंबल का लिंक भी था। यह मध्यप्रदेश और राजस्थान के बीच में था। लेकिन दोनों राज्यों के बीच सहमति नहीं बन पाने के कारण से उसको स्थगित कर दिया। उसी के अनुक्रम में ईआरसीपी बनी थी।
उन्होंने कहा कि दोनों राज्यों में सरकार बनने के साथ ही प्राथमिकता के साथ में ईस्टर्न राजस्थान कैनाल प्रोजेक्ट और पार्वती काली सिंध चंबल परियोजना के इंटिग्रेटेड प्रोजेक्ट को दोनों राज्यों के बीच सहमति बनाकर के आगे बढा रहे है। मुख्यमंत्राी राजस्थान श्री भजन लाल शर्मा और मुख्यमंत्राी मध्य प्रदेश के श्री मोहन यादव का पूर्ण सहयोग मिला। देश के यशस्वी प्रधानमंत्राी श्री नरेंद्र मोदी ने भी इसके लिए सहमति व्यक्त की। इन दोनों राज्यों ने भारत सरकार के साथ त्रिपक्षीय समझौता किया। प्रधानमंत्राी ने इस रास्ते को ढूंढने में अपने अनुभव से बहुत बड़ी भूमिका का निर्वहन किया।
उन्होंने कहा कि पिछली सरकार ने लोगों की आंखों में धूल झोंकने के लिए तथा अपनी विफलता को छुपाने के लिए किसानों और प्यासे कंठों पर राजनीति का पाप किया। ईस्टर्न राजस्थान कैनाल परियोजना के नाम से ईसरदा गाल्वा नवनेरा ईसरदा गलवा बीसलपुर का एक छोटा सा लिंक आइडेंटिफाई किया। इसकी डीपीआर में उसकी अनुमानित लागत 15 हजार करोड़ रुपए आंकी गई। सरकार ने आनन-फानन में उस पर टेंडर किए। राज्यपाल के अभिभाषण में यह घोषित करवाया कि वर्ष 2051 में वह योजना पूरी होगी। अभी वर्ष 2023 में उसे घोषित कर रहे थे। 28 साल बाद में वो पूरी होगी। तब तक उसकी लागत शायद 50 से 60 हजार करोड़ हो जाती। मात्रा पेयजल के लिए ही उसको डिजाइन किया गया था। उसमें मात्रा तीन जिले अजमेर, जयपुर और टोंक को पेयजल मिलने वाला था। इसके अतिरिक्त एक बूंद भी सिंचाई का पानी उपलब्ध नहीं था। केवल 525 एमसीएम पानी ही उसमें राजस्थान को उस लिंक के माध्यम से मिल सकता था। उसके बन जाने से ईआरसीपी की संभावना हमेशा के लिए समाप्त होने वाली थी।
उन्होंने कहा कि तत्कालीन सरकार पूर्वी राजस्थान में इसको एक राजनीतिक हथियार के रूप में काम लेना चाहती थी। वह हथियार उन्हीं के खिलाफ एक ब्रह्मास्त्रा बना। पूर्वी राजस्थान में उनका सफाया हुआ। इस योजना से राजस्थान को लगभग 2500 एमसीएम पानी मिलेगा। लगभग इतना ही जल मध्य प्रदेश के लिए उपलब्ध होगा। इसमें कुल लागत 40 हजार करोड़ रुपए होगी। यह अंतर्राज्यीय नदी जोड़ने की परियोजना है। इसलिए उसमें 90 प्रतिशत ग्रांट भारत सरकार से प्राप्त किया जाएगा। मुझे पूरा भरोसा है कि इस परियोजना के लिए भी प्रधानमंत्राी अनुग्रह करके हमें 90 प्रतिशत धनराशि उपलब्ध कराएंगे। राजस्थान और मध्यप्रदेश को सम्मिलित रूप से मात्रा 4000 करोड़ रुपये खर्च करके 5000 एमसीएम पानी मिलेगा। पूर्ववर्ती सरकार की परियोजना से 15 हजार करोड़ रूपए खर्च करके 500 एमसीएम मिलने वाला था। उसके मुकाबले इस परियोजना से 10 गुना पानी दो राज्यों के 26 जिलों के लिए उपलब्ध होगा। लगभग 5.50 करोड़ व्यक्तियों के पेयजल की अगले 30 साल की गारंटी और दोनों राज्यों के 14 लाख एकड़ जमीन सिंचाई की गारन्टी नई परियोजना के माध्यम से होगी। इसमें राज्य सरकारों को मात्रा 4000 करोड़ भी खर्च नहीं करना पड़ेंगे।
उन्होंने कहा कि यह योजना 13 जिले राजस्थान के हैं। इनमें अजमेर भी एक है। उनके भविष्य के लिए एक वरदान के रूप में होगी। जीवन रेखा बनेगी। इस परियोजना से बीसलपुर में पानी आने पर बांध हर साल 100 प्रतिशत भरेगा। किसानों को सिंचाई का लाभ मिलेगा। इन सबके अतिरिक्त 35 से ज्यादा छोटे बांध और तालाब इस योजना के माध्यम से भरे जाऐंगे। उनके भरने से केचमेण्ट एरिया से जुड़े हुए क्षेत्रों में भू-जल का भी पुनर्भरण होगा। जमीन का जल स्तर अतिदोहन के कारण नीचे चला गया है, वह वापस भरेगा। इन 13 जिलों के लिए लाइफलाइन के रूप में राजस्थान को एक सौगात प्रधानमंत्राी श्री मोदी ने दी है। इसके लिए अजमेर जिले के सभी व्यक्ति बधाई के पात्रा है।
इस अवसर पर सांसद श्री भागीरथ चैधरी, नगर निगम महापौर श्रीमती ब्रजलता हाड़ा, उप महापौर श्री नीरज जैन, अध्यक्ष श्री रमेश सोनी सहित जन प्रतिनिधि एवं गणमान्य नागरिक उपस्थित रहे।

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