देवराज की मौत के बाद साथी छात्रों ने बताई पूरी कहानी, डॉक्टरों ने भी किए बड़े खुलासे,
उदयपुर. सरकारी स्कूल के समीप दिन दहाड़े चाकू से वार की घटना में छात्र की मौत के मामले में स्कूल प्रबंधन की गंभीर लापरवाही सामने आई है। वारदात के बाद घायल छात्र देवराज को अस्पताल ले जाने में किसी भी शिक्षक ने तत्परता नहीं दिखाई। बल्कि उसके साथी छात्र ही उसको स्कूटी पर बीच में बिठाकर गिरते – पड़ते एमबी अस्पताल लेकर पहुंचे। वहां पहुंचने के बाद चिकित्सकों ने इलाज शुरू किया, तब शिक्षक अस्पताल पहुंचे।
घायल छात्र को किसने अस्पताल पहुंचाया, इसकी पुष्टि साथी छात्रों व अस्पताल प्रबंधन से पुलिस की पूछताछ में हुई है। हालांकि शिक्षक अभी भी अपना बचाव करते हुए कह रहे हैं कि वे छात्र को अस्पताल ले गए। इतना ही नहीं छात्रों के बीच यह झगड़ा तीन-चार दिनों से चल रहा था, घटना वाले दिन क्लास में गाली – गलौज तक हुई और कुर्सी भी मारी गई। सोशल मीडिया पर भी कुछ मैसेज किए गए। लेकिन इतना सब कुछ होने के बावजूद स्कूल प्रबंधन बेखबर रहा। इस सम्पूर्ण प्रकरण की प्रारंभिक जांच में ही शिक्षकों की लापरवाही उजागर होने पर जिला शिक्षाधिकारी ने चार दिन पहले जांच कमेटी का गठन किया, लेकिन कमेटी ने अवकाश का बहाना कर अभी तक जांच शुरू नहीं की।
अस्पताल प्रबंधन बोला – घायल को छात्र ही लेकर आए
आरएनटी मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. विपिन माथुर ने बताया कि सुबह करीब 11 से 11.15 बजे दो छात्र ही देवराज को लेकर अस्पताल पहुंचे थे। तब तक उसका काफी खून बह चुका था। बीपी, पल्स व हार्ट काम नहीं कर रहे थे। तुरंत ही उसे आइसीयू में शिफ्ट कर करीब 40-45 मिनट तक सीपीआर दिया गया। डीसी शॉक लगाने पर उसका हार्ट चालू हुआ। उसके बाद अस्पताल स्टाफ ने सेतु सिस्टम से तुरंत सीटीवीएस सर्जन को कॉल किया। वे महज पांच मिनट में वहां पहुंच गए। जांच करने पर पता चला कि पायल की फिमोरल आर्टरी कट गई। उसी समय चिकित्सकों ने पांव से वैन ग्रास लगाकर आईसीयू में शिफ्ट किया। उसके बाद मुख्यमंत्री ने संवेदनशीलता दिखाते हुए तुरंत ही जयपुर से चार्टर विमान से तीन विशेषज्ञ चिकित्सकों की टीम को उदयपुर भेजा। उन्होंने आरएनटी की टीम से समन्वय कर उपचार में मदद की। दो दिन तक देवराज की हालत में सुधार हुआ, लेकिन तीसरे व चौथे दिन लगातार गिरावट आती गई। ब्लड प्रेशर को मेंटेन करने के लिए डबल डोज दिया गया। कोटा से भी एक चिकित्सक ने यहां पहुंचकर उपचार किया, लेकिन अथक प्रयास के बावजूद वह बच नहीं पाया।
पुलिस जांच में ये हुए खुलासे
इस पूरे घटनाक्रम के बाद पुलिस ने भी अनुसंधान करते हुए देवराज को अस्पताल ले जाने वाले सहपाठियों, स्कूल टीचर से लेकर अस्पताल में कई लोगों के बयान लिए। उनकी भी प्रारंभिक जांच में देवराज को सहपाठियों द्वारा ही अस्पताल ले जाने की पुष्टि हुई।
सहपाठी बोले- हम ले गए अस्पताल,
घटना के बाद साथी छात्रों ने बयानों में कहा कि वे घायल देवराज को अस्पताल लेकर गए थे। साथी छात्रों का कहना है कि कक्षा में दोनों के बीच गाली – गलौज के साथ ही झगड़ा हुआ था। आरोपी छात्र ने देवराज के सिर में कुर्सी से वार किया। उसके बाद टीचर के क्लास में आने से मामला शांत हो गया, लेकिन इंटरवेल के बाद दोनों स्कूल के बाहर फिर झगड़ पड़े। आरोपी ने देवराज पर चाकू से वार कर दिया। उनका कहना था कि जब वे बाहर निकले तो देवराज नीचे गिरा हुआ तथा खून से लथपथ था। उसे कोई नहीं उठा रहा था। उन्होंने अंदर जाकर प्रिंसिपल को बताया और उनकी स्कूटी की चाबी ली। उसके बाद छात्र ने अपनी शर्ट खोलकर देवराज के घाव वाली जगह पर बांधा और उसे अस्पताल ले गए। प्रत्यक्षदर्शियों का कहना था कि ये छात्र आरएमवी रोड पर सत्यनारायाण मंदिर के बाहर गिरे और वहां भी काफी खून जमीन पर गिरा। उसके बाद छात्र वापस देवराज को उठाकर अस्पताल ले गए। सहपाठियों का कहना है कि अस्पताल पहुंचते ही वहां प्रिंसीपल वा अन्य टीचर भी आ गए।
स्कूल प्रशासन के पास नहीं इन सवालों के जवाब,
– छात्रों के बीच 2-3 दिन से विवाद चल रहा था। इसके बावजूद शिक्षकों व प्रधानाचार्य को इसकी जानकारी क्यों नहीं थी ?
– घटना से पूर्व भी दोनों छात्रों में कहासुनी व गाली – गलौज हुई, कुर्सी तक मारी गई फिर भी शिक्षक इससे अनजान कैसे रहे ?
– छात्र को चाकू लगने के बाद उसके साथी ही घायल को अस्पताल लेकर पहुंचे, शिक्षकों ने उसे अस्पताल ले जाने में तत्परता क्यों नहीं दिखाई ?
– घायल छात्र को ले जाने के लिए स्कूटी की चाबी प्रधानाचार्य ने दी। उन्होंने शिक्षकों से क्यों नहीं कहा? बच्चों को अकेले छात्र के साथ अस्पताल क्यों भेज दिया।
प्रिंसिपल को नोटिस,
जिला शिक्षा अधिकारी माध्यमिक ने प्रिंसिपल को नोटिस दिया है और मामले की विस्तृत जांच के लिए कमेटी गठित की गई है। लेकिन अवकाश होने से जांच अब तक शुरू नहीं हो पाई। माध्यमिक शिक्षा निवेशक ने मामले की जांच विस्तृत रूप से करने के आदेश दिए थे। ऐसे में प्रधानाधार्य शिक्षकों के अलावा विद्यार्थियों, अभिभावकों के बयान भी जरूरी है। यदि अवकाश नहीं होता तो जांच तत्काल शुरू कर दी जाती। – महेंद्र जैन, मुख्य जिला शिक्षा अधिकारी, उदयपुर
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