आज खुश तो बहुत होगे तुम अजमेर वालों,, उच्चतम न्यायालय के आदेशों की धज्जियां उड़ाकर,,,,,???
अजमेर में इस बार जमकर समां बांधा हुआ है जी तोड़ कर बरस रहे हैं बादल मेघों की मेहरबानियां भरपूर है,, मौसम विज्ञानियों के मुताबिक यह एक सर्कल है जो लगभग हर 50 से 55 साल में दोहराता है ,,अजमेर में 49 साल पहले जो भीषण बाढ़ की त्रासदी आई थी यह शायद उसकी आहट भर मात्र है। क्योंकि अभी भी 50 साल नहीं हुए हैं 1975 की बाढ़ के बाद 50 साल 2025 में होंगे यानी आने वाला साल बरसात के मध्य नजर अजमेर के लिए बहुत कठिन होने वाला है।
यह तो रही बरसात की बात यह सीजन लगभग निकल गया मानसून का अंतिम दौर चल रहा है ,,अब इससे ज्यादा बारिश होने की संभावना नहीं है लेकिन इस बार की बारिश ने अजमेर शहर के लिए जो मुसीबत के पहाड़ उगाने आरंभ किए हैं यदि समय रहते अब भी हम नहीं सावचेत हुए तो हमारा मालिक कौन है यह शायद किसी को भी नहीं पता ।।,,
उच्चतम न्यायालय के स्पष्ट आदेश है की नदी नाले आबी भूमि ,गोचर भूमि ,तालाब, पाल इत्यादि की भूमि सन 1947 के पहले की स्थिति में ही रहे उसमें किसी भी प्रकार की छेड़छाड़ अतिक्रमण अथवा उन्हें तोड़ने मोड़ने के प्रयास नहीं किया जाए लेकिन अजमेर में कहां-कहां पर और किस-किस तरह से उच्चतम न्यायालय की इन आदेशों की धज्जियां पिछले 20 से 25 वर्षों के मध्य उड़ाई गई यह आज हमें भुगतान पड़ रही है ,आनासागर को छोटा करने का प्रयास शासन प्रशासन स्थानीय नेताओं पर्यावरण के लिए लड़ाई लड़ने वालों आदि ने पूरी शिद्दत के साथ किया ,,सभी ने अपना अपना हिस्सा लिया मौज उड़ाई ,जिसका खामियाजा आज शहर वासी भुगतने पर मजबूर है तारागढ़ और अरावली की पहाड़ियों से निकलने वाला पानी अपने निकालने की राह तलाशता हुआ यहां वहां भटक रहा है बदले में पॉश कालोनियां कहलाने वाले इलाके जलमग्न कर रहा है,, इसमें उसे बेचारे का कोई दोष भी नहीं है वह तो अपनी राह चला जाता लेकिन हमने ही उसकी राहों को रोक दिया है ,बांडी नदी के हालात किसी से छुपे हुए नहीं है।
आज खुश तो बहुत होंगे इस शहर को नरक में धकेलना वाले लेकिन फर्क शायद अब भी किसी को नहीं पढ़ने वाला क्योंकि बारिश बंद होने के बाद चार-पांच दिनों में यह पानी उतर जाएगा जिंदगी फिर से वही पुरानी पटरियों पर दौड़ने लगेगी हम सब कुछ बहुत आसानी से भूल जाएंगे फिर अगली बारिश का इंतजार करेंगे और फिर यही रोना एक बार फिर से आरंभ होगा।
अधिकारियों की फौज जायजा लेने के लिए गली-गली मोहल्ले मोहल्ले घूम रही है लेकिन बस में किसी के कुछ नहीं है ,,नेता लोग भी अपने-अपने कपड़े उठाकर एक-एक फिट पानी में उतारकर फोटो खिंचवाकर जायजा ले रहे हैं,, अधिकारियों को तथा कथित आदेश दे रहे हैं,, डूबी हुई जनता को आश्वासन मिल रहे हैं,,, क्या खूब और बेहतरीन व्यवस्था है काबिले तारीफ इसके अलावा और शायद किसी के हाथ में कुछ है भी नहीं।
हां ,,,लेकिन शहर के लिए सोचने वाले समझने वाले कुछ संवेदनशील लोगों के लिए जिनके हाथ में कुछ करने धरने के लिए है नहीं उन लोगों के लिए भड़ास ऐप यानी व्हाट्सएप एक बहुत बेहतरीन और शानदार माध्यम है अपनी भड़ास निकालने के लिए और इस मामले में कोई भी पीछे नहीं है,,, अपनी अपनी शाब्दिक अभिव्यंजनाओं से आवाम को तिरोहित और तरंगित करने हेतु व्हाट्सएप का शानदार इस्तेमाल कर रहे हैं एक से बढ़कर एक लेख आलेख व्यंग्य घुमावदार और लच्छेदार भाषाओं का इस्तेमाल कर अपने-अपने घरों में पंखे कूलर और एयर कंडीशनर की मौज लेते हुए शानदार तरीके से अजमेर की जनता ,,,आवाम जो भुगत रही है उसके मजे ले रहे हैं क्योंकि वास्तव में किसी के पास कुछ करने के लिए है भी नहीं पानी अपना रास्ता खुद बना रहा है और चुपचाप चला जा रहा है।
यह तो शुक्र है ऊपर वाले पाक परवरदिगार का की अजमेर शहर की बनावट और इसकी भौगोलिक स्थिति बहुत शानदार है पानी का निकास की व्यवस्था भी बहुत बेहतरीन है लेकिन क्योंकि गलतियां हमारी ही है इसलिए भुगतना भी हमें ही पड़ेगा।
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