November 14, 2024

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किसी फिल्मी स्टोरी से कम नहीं राजस्थान की पहली ‘सुपर पुलिस’, भेष बदलने में माहिर:मजदूर-किसान बनकर वॉन्टेड बदमाशों को पकड़ लाती है,

राजस्थान की पहली ‘सुपर पुलिस’, भेष बदलने में माहिर:मजदूर-किसान बनकर वॉन्टेड बदमाशों को पकड़ लाती है, 30 ऑपरेशन को दे चुकी अंजाम

जोधपुर

ओमप्रकाश ढाका, किरण जाट, भंवरी बिश्नोई, संगीता बिश्नोई, छम्मी बिश्नोई, वर्षा बिश्नोई
पिछले दिनों पकड़ में आए ये वो अपराधी हैं, जिनमें कोई रीट-2021 पेपर लीक तो कोई SI भर्ती पेपर लीक मामले में फरार था। कोई पुणे में छिपकर बैठा था तो कोई बार-बार पुलिस को चकमा दे रहा था

इन अपराधियों पर शिकंजा कसना आसान नहीं था। ये पुलिस के लिए किसी चुनौती से कम नहीं थे। कई अपराधी तो 20 साल से हाथ नहीं लगे थे
ऐसे ही अपराधियों के लिए यह खास पुलिस टीम काम करती है कभी मजदूर बनकर, कभी नारियल बेचने वाला तो कभी गैस एजेंसी का हॉकर बनकर इस स्पेशल टीम के सदस्यों ने शातिर अपराधियों को पकड़ा है

इस टीम का नाम है ‘साइक्लोनर’ ये टीम अकेली नहीं है। सबसे खतरनाक और रिस्क वाले ऑपरेशन को अंजाम देना होता है तो टीम ‘स्ट्रॉन्ग’ और टीम ‘टॉरनेडो’ भी है। अब तक तीनों टीमें मिलकर 30 ऑपरेशन को पूरा कर चुकी हैं

खास बात यह है कि टीम के हर ऑपरेशन का नाम यूनिक होता है। जैसे ऑपरेशन लल्लनटॉप, ऑपरेशन टटपुंजिया, ऑपरेशन डॉक्टर फिक्सिट, ऑपरेशन डीप ब्लू। इन सबके पीछे जोधपुर रेंज के आईजी विकास कुमार की मेहनत और उनकी दूरदर्शिता है

किस प्रकार से टीम वर्किंग करती है? बड़े ऑपरेशंस को अंजाम देती है, यह जानने के लिए दैनिक भास्कर की टीम रेंज IG के बंगले पर पहुंची, जहां टीमें ऑपरेट होती हैं

आमतौर पर पुलिस अफसरों के बंगलों में शांत माहौल रहता है, लेकिन जोधपुर रेंज आईजी विकास कुमार के सरकारी आवास का नजारा कुछ और है। यहां रेंज की पुलिस की 3 विशेष टीमों की चहल-पहल रहती है
उनके वायरलेस सेट पर दिनभर ऐसी सूचनाएं आती हैं….ऑपरेशन जुगनू टीम…4 नारियल का इंतजाम हो गया है

जोधपुर में आईजी के आवास पर बने स्पेशल ऑफिस में बैठी ये टीम राजस्थान के कई बड़े ऑपरेशंस को अंजाम दे चुकी है
जोधपुर में आईजी के आवास पर बने स्पेशल ऑफिस में बैठी ये टीम राजस्थान के कई बड़े ऑपरेशंस को अंजाम दे चुकी है
ये वो कोडवर्ड (गोपनीयता के चलते यहां नाम बदलकर लिखा गया है) हैं जो हार्डकोर अपराधियों को पकड़ने के लिए बनाए गए गुप्त ऑपरेशंस के दौरान टीमें एक-दूसरे से बात करने में इस्तेमाल करती हैं

विशेष टीम के सदस्य अपने-अपने कंप्यूटर पर टास्क पूरा करने में जुटे थे किसी के पास बड़े अक्षरों में टास्क लिखा हुआ था तो कोई अपराधी की लाइव लोकेशन को ट्रेस कर रहा था। इन सभी को अपने ऑफिस में बैठे-बैठे निर्देशित कर रहे थे रेंज IG विकास कुमार

टीम को निर्देशित करते जोधपुर रेंज आईजी विकास कुमार

इसलिए बनाई टीम?
स्पेशल टीम की जरूरत क्यों पड़ी? थानों की पुलिस क्यों नहीं ऐसा काम कर पाती? इन सवालों के जवाब में आईजी विकास कुमार बताते हैं- शातिर और बड़े अपराधी अक्सर पुलिस की पकड़ से बच निकलते हैं। इसकी वजह यह भी है कि स्थानीय थानों की पुलिस के पास गश्त से लेकर अन्य मामलों में व्यस्तता होती है। वे ऐसे अपराधियों की छानबीन और पर्याप्त मॉनिटरिंग नहीं कर पाते। इसी का फायदा अपराधी उठाते आए हैं। पकड़े गए कई अपराधी इतने शातिर थे कि 20 साल से चकमा दे रहे थे

ऐसे अपराधियों को नॉर्मल एक्टिविटी में पकड़ पाना काफी मुश्किल होता है। क्योंकि इनका रेगुलर पीछा करना होता है। इसलिए इनके सिंडिकेट को तोड़ने के लिए यह टीम बनाई गई। टीम को तीन अलग-अलग भागों में बांटा गया, जिसमें एक टीम का नाम ‘साइक्लोनर’ दूसरी का ‘टॉरनेडो’ और तीसरी टीम का ‘स्ट्रॉन्ग’ रखा गया। तीनों ही टीम के पास अलग-अलग काम हैं। ये टीमें जोधपुर रेंज के चार जिलों की सीधी मॉनिटरिंग करती हैं। ये आईजी लेवल पर बनाई गई प्रदेश की पहली टीम है।

देर रात तक ऑफिस में काम करते हुए टीम ‘साइक्लोनर’

हर टीम का अलग-अलग काम
साइक्लोनर : इस टीम का काम टेक्निकल इंटेलिजेंस एनालिसिस और ऑपरेशन की प्लानिंग करना है

स्ट्रॉन्ग टीम : ये पहले से चिन्हित टारगेट पर निगरानी रखती है। शातिर अपराधियों की पीछा करती है

टॉरनेडो : सबसे जोखिम भरे ऑपरेशन और डेयरडेविल कामों को अंजाम के लिए बनाई गई है

टीम का ऐसे हुआ चयन?
आईजी विकास कुमार बताते हैं टीम में उन पुलिसकर्मियों का चयन किया गया जो किसी भी तरह के ऑपरेशन को अंजाम देने की योग्यता पर खरे उतरते हैं। सबसे पहले आवेदन मांगे गए। इसके बाद उनकी योग्यता, अनुभव और रुचि के आधार पर बोर्ड गठित कर इंटरव्यू लिया गया। इसके बाद जोधपुर रेंज के अलग-अलग थानों से करीब 30 सदस्यों का चयन किया गया। फिर तीन टीमों में बांटा। प्रत्येक टीम में 10-10 सदस्य हैं

प्रभावी मॉनिटरिंग के लिए जोधपुर रेंज आईजी ने अपने बंगले पर ही साइक्लोनर टीम का ऑफिस तैयार करवाया। यहीं पर बैठकर देश भर में फरार हुए अपराधियों को पकड़ने के लिए मॉनिटरिंग भी की जाती है और अभियान में टारगेट को चिह्नित किया जाता है

पीछे बोर्ड पर आप जो नाम देख पा रहे हैं, उनमें जहां-जहां क्रॉस का निशान है, वो सारे ऑपरेशन पूरे किए जा चुके हैं।
पीछे बोर्ड पर आप जो नाम देख पा रहे हैं, उनमें जहां-जहां क्रॉस का निशान है, वो सारे ऑपरेशन पूरे किए जा चुके हैं।
हर ऑपरेशन का अलग नाम
किसी भी ऑपरेशन को तैयार करने से पहले उसके लिए एक खास यूनिक नाम रखा जाता है, जिसकी वजह से ऑपरेशन की गोपनीयता बनी रहे। इस टीम ने सबसे पहले ‘सूर्यास्त’ नाम के ऑपरेशन को अंजाम दिया था। इस ऑपरेशन का नाम सूर्यास्त इसलिए रखा गया था क्योंकि लाल सिंह नाम का इनामी बदमाश जैसलमेर में फरारी काट रहा था। जैसलमेर में सूर्यास्त के समय सूर्य का रंग लाल होता है, अपराधी का नाम भी लाल था। इसलिए इसका कोड नाम सूर्यास्त रखा गया

ऑपरेशन का नाम डिसाइड होने से पहले पूरी रिसर्च होती है कि अपराधी कौन है? कितना पढ़ा लिखा है? कितना शातिर है? उसका मददगार कौन है? अपराधी से संबंधित पूरी कुंडली खंगालने के बाद, उसकी फाइल अलग से तैयार की जाती है। फिर उस ऑपरेशन का जिम्मा तय होता है, साइक्लोनर टीम करेगी, टॉरनेडो या फिर स्ट्रॉन्ग। पूरी प्लानिंग के बाद ऑपरेशन को अंजाम दिया जाता है

टीम के किसी भी साथी को जो टास्क मिलता है, उसके टारगेट की पर्ची डेस्क पर चस्पा कर दी जाती है
टीम के किसी भी साथी को जो टास्क मिलता है, उसके टारगेट की पर्ची डेस्क पर चस्पा कर दी जाती है
टीम के चर्चित ऑपरेशंस
टीम ने अब तक ऑपरेशन सूर्यास्त, लल्लनटॉप, डॉक्टर फिक्सिट, मुद्राराक्षस, मोना सहित अलग-अलग नाम के कई ऑपरेशन को अंजाम दिया है। टोटल 54 ऑपरेशन का टारगेट है, जिनमें से करीब 30 पूरे हो चुके हैं। इनकी शुरुआत अप्रैल 2024 से की गई थी। सबसे पहला ऑपरेशन ‘सूर्यास्त’ था

सबसे ज्यादा ऑपरेशन रीट पेपर लीक के फरार आरोपियों को पकड़ने के लिए अंजाम दिया गया था। रीट पेपर लीक के आरोपी ओमप्रकाश ढाका को पकड़ने के लिए ऑपरेशन शिव भंगा, सुनील बेनीवाल के लिए ऑपरेशन डीप ब्लू और छम्मी बिश्नोई को दबोचने के लिए ऑपरेशन राज वृक्ष चलाया गया

अब बात करते हैं टीम के कुछ चर्चित और कठिन ऑपरेशंस की

ऑपरेशन लल्लनटॉप : मजदूर-चरवाहा-किसान बनकर 12 साल पुराने मर्डर का किया खुलासा
12 साल से हत्या के मामले में फरार तीन इनामी आरोपियों को ऑपरेशन लल्लनटॉप के तहत पकड़ा गया। आरोपी को पकड़ने के लिए पुलिस नारियल बेचने वाले से लेकर किसान बनकर उसके संभावित ठिकानों के आसपास करीब 1 महीने तक रही

दिसंबर 2012 में फलोदी के निकट खीचन गांव में एक सोनामुखी फैक्ट्री में काम करने वाले मुनीम कोजाराम की वहां मजदूरी करने वाले लालदेव, उदय और नरेश ने पैसों के लालच में हत्या कर दी थी। लाश को फैक्ट्री में बोरों के बीच में छिपाकर तीनों डेढ़ लाख रुपए लेकर फरार हो गए। फलोदी पुलिस के लिए हत्यारों को पकड़ पाना काफी मुश्किल था

इस ऑपरेशन को अंजाम देने के लिए साइक्लोनर टीम को कभी मजदूर तो कभी किसान बनना पड़ा।
इस ऑपरेशन को अंजाम देने के लिए साइक्लोनर टीम को कभी मजदूर तो कभी किसान बनना पड़ा
तीनों आरोपियों के न तो कोई मोबाइल नंबर थे न हुलिया किसी को पता था और न कोई फोटो थी। पुलिस बिहार स्थित घर पर कई बार दबिश देने गई, लेकिन सफलता नहीं मिली। एक बार पुलिस को सूचना मिली कि आरोपियों की मां का निधन हो गया है। इसलिए अंतिम संस्कार में भी शामिल होंगे। लेकिन पुलिस के आने की भनक लगते ही आरोपी वहां से फरार हो गए थे

आईजी विकास कुमार ने बताया कि आरोपी लालदेव, उदय और नरेश से लल्लन नाम बनाया गया। इस मामले में पुलिस ने कार्यक्षेत्र से तेलंगाना, ओडिशा और पंजाब से टॉप बनाया। इस तरह से ‘लल्लन टॉप’ ऑपरेशन का नाम दिया गया

पुलिस टीम बिहार के मुजफ्फरनगर के पास कांटी गांव में कई दिनों तक रही। पता चला कि आरोपियों के घर के पास एक आदमी मॉनिटरिंग करता है। उसके नंबरों को ट्रेस करने पर आरोपियों के ओडिशा, पंजाब, तेलंगाना का कनेक्शन सामने आया। इसमें एक आरोपी पंजाब में धान कटाई के ठेके लेता था जबकि दूसरा आरोपी ओडिशा और एक तेलंगाना में रहता था। इन आरोपियों को पकड़ने के लिए पुलिस ने नारियल का ठेला भी लगाया और मजदूर बनकर भी रही। करीब 2 महीने की मेहनत के बाद 12 लोगों की टीम ने इन्हें गिरफ्तार किया

ऑपरेशन मोना को अंजाम देने के लिए टीम टॉरनेडो ने इस तरह से दीवार फांदकर गैराज में आरोपियों की घेराबंदी की।
ऑपरेशन मोना को अंजाम देने के लिए टीम टॉरनेडो ने इस तरह से दीवार फांदकर गैराज में आरोपियों की घेराबंदी की।
ऑपरेशन मोना : जोधपुर रेंज का टॉप मोस्ट वांटेड, फिल्मी अंदाज में घेरकर पकड़ा
इस ऑपरेशन के जरिए पुलिस ने जुलाई में शातिर तस्कर जस्सा राम को गिरफ्तार किया था। उस पर एक लाख रुपए से अधिक का इनाम भी घोषित था। आरोपी कई साल से मादक पदार्थ की तस्करी में शामिल था और पुलिस से बचने के लिए मोबाइल फोन भी उपयोग में नहीं लेता था। पुलिस को शक था कि आरोपी बाड़मेर में कहीं अलग-अलग नाम बदलकर रहता है। इस पर पुलिस ने उसकी पत्नी का पड़ोसी बनकर कमरा किराए पर लिया। उसकी पत्नी की निगरानी शुरू की

इसमें सामने आया कि उसकी पत्नी जैसा राम को खाना देने के लिए गैराज में जाती है। पुख्ता सूचना और सबूत मिलने के बाद पुलिस ने उसके गैराज की ड्रोन से निगरानी की। बाद में कमांडो टीम ने फिल्मी स्टाइल में गैराज में कूद कर आरोपी को घेरा और उसे अन्य साथियों के साथ पकड़ लिया। पुलिस ने बदमाशों के पास से अवैध हथियारों का जखीरा जब्त किया था। आरोपी 2005 से मादक पदार्थों की तस्करी में शामिल था। तीन बार पुलिस पर फायरिंग भी कर चुका था

आरोपियों की गैराज में सर्च ऑपरेशन के दौरान आईजी विकास कुमार।
आरोपियों की गैराज में सर्च ऑपरेशन के दौरान आईजी विकास कुमार
आईजी विकास कुमार ने बताया कि आरोपी जसा, जसी, जसिया, जसराज और जसाराम के छद्म नामों से फरारी काट रहा था। एक धारावाहिक ‘जस्सी जैसी कोई नहीं’ की लीड एक्ट्रेस मोना सिंह के नाम पर इस पूरी कार्रवाई का नाम ऑपरेशन मोना रखा था

मुद्रा राक्षस : देशभर में एटीएम की लूट करने वाली गैंग पकड़ी
इस ऑपरेशन के जरिए टीम ने देश भर के कई अलग-अलग राज्यों में एटीएम उखाड़ कर चुरा ले जाने वाली गैंग का पर्दाफाश किया था। इसका नाम मुद्रा राक्षस इसलिए रखा गया। मुद्रा का मतलब पैसा होता है और जिस तरीके से यह लोग वारदात करते थे। एक तरीके से राक्षस जैसा काम था। इस गैंग ने महाराष्ट्र, राजस्थान, गुजरात, मध्य प्रदेश, ओडिशा, तेलंगाना सहित विभिन्न राज्यों में सैकड़ों एटीएम लूटे थे

ऑपरेशन मुद्रा राक्षस के तहत पकड़े गए एटीएम चुराने वाले गिरोह के बदमाश

डॉक्टर फिक्सिट : स्टूडेंट बनकर पकड़ा पेपर लीक की आरोपी को
इस ऑपरेशन के जरिए जोधपुर रेंज की पुलिस ने 2021 की SI भर्ती धांधली की आरोपी जालोर के सरनाउ की वर्षा विश्नोई को गिरफ्तार किया था। आईजी विकास कुमार ने बताया- पेपर लीक कांड की जांच SOG कर रही है। करीब 6 महीने पहले 25 हजार का इनाम घोषित होने के बाद से वर्षा बिश्नोई फरार चल रही थी। चूंकि पेपर लीक हुआ था और वांटेड का नाम वर्षा था बारिश में जब छतें लीक होती हैं तो उसे डॉ. फिक्सिट से रोकते हैं इसी कारण इस ऑपरेशन का नाम डॉ. फिक्सिट रखा
ऑपरेशन चलाकर वांटेड इनामी वर्षा बिश्नोई की तलाश शुरू की गई

ऑपरेशन डॉक्टर फिक्सिट चलाकर फरार चल रही वर्षा बिश्नोई को पुलिसकर्मियों ने हॉस्टल से पकड़ा था
ऑपरेशन डॉक्टर फिक्सिट चलाकर फरार चल रही वर्षा बिश्नोई को पुलिसकर्मियों ने हॉस्टल से पकड़ा था
उसे करीब तीन महीने की मेहनत के बाद टीम ने कोटा के जवाहर नगर इलाके में पकड़ा था। वह एक रिटायर्ड बैंक मैनेजर के घर पर फर्जी डॉक्युमेंट व नाम बदलकर पीजी के रूप में रह रही थी। पुलिस भी वहां स्टूडेंट बनकर पहुंची। टीम के पहुंचने पर खुद का नाम विमला बताकर फर्जी आधार कार्ड भी दिखाया सख्ती से पूछताछ के बाद वर्षा बिश्नोई को पकड़ा गया। पूछताछ में पकड़ी गई वर्षा बिश्नोई ने डमी कैंडिडेट के रूप में बैठकर एग्जाम देना स्वीकार किया

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