अजमेर के पत्रकारों को सस्ती दरों पर भूखंड मिलने का रास्ता साफ
करीब एक दशक बाद अजमेर के पत्रकारों को एक बार फिर से सस्ती दरों पर भूखंड मिलने का रास्ता साफ हो गया है । यह जानकारी नगरीय विकास विभाग के प्रमुख शासन सचिव कुंजीलाल मीणा ने पत्रकारों की आवासीय योजना के लिए गठित राज्यस्तरीय समिति की बैठक में दी । जानकारी देने से पहले उन्होंने अजमेर विकास प्राधिकरण के आयुक्त से बात की ।
मीणा ने समिति के सदस्यों को बताया कि कोटड़ा आवासीय योजना में करीब 125 भूखंडों के लिए योजना तैयार कर ली गई है । इसी योजना में उन सभी पत्रकारों को भी समायोजित करने की कोशिश की जाएगी जिन्हें डीडी पुरम योजना में भूखंड आवंटित किए गए थे । डीडी पुरम में पत्रकारों को आवंटित भूखंडों को स्थानांतरित करने के लिए अजमेर विकास प्राधिकरण राज्य सरकार को पत्र लिखकर भेज चुका है । इस पत्र का शीध्र निस्तारण करने के लिए मीणा ने बैठक में मौजूद स्वायत्त शासन विभाग के शासन सचिव डॉ .जोगा राम को आवश्यक निर्देश दिए ।
उल्लेखनीय है कि 4 फरवरी , 2022 को आयोजित समिति की पहली बैठक में अजयमेरु प्रेस क्लब के पूर्व अध्यक्ष और समिति के सदस्य राजेन्द्र गुंजल ने इन दोनों मुद्दों को पुरजोर तरीके से उठाया था । सोमवार को सचिवालय के समिति कक्ष में राज्यस्तरीय समिति की पांचवीं बैठक में आयोजित की गई । इसमें जयपुर सहित राज्य के अन्य जिलों के पत्रकारों को आवासीय भूखंड आवंटित करने पर भी चर्चा हुई ।
गुंजल ने अजमेर के अलावा राज्य के अन्य दूरस्थ जिलों के पत्रकारों को भूखंड आवंटित करने की मांग उठाई । खासकर प्रतापगढ़ , झालावाड़ , बारां , बाड़मेर जैसे दूरस्थ जिलों के पत्रकारों की समस्याएं उठाई । झुंझुनूं के पत्रकारों की मार्मिक व्यथा सुनकर समिति के सभी सदस्य सकते में आ गए ।
राजस्थान के पत्रकारों को सस्ती दरों पर भूखंड आवंटित करने की पहल मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अपने पहले कार्यकाल में की । सन 2001 में अजयमेरु प्रेस क्लब के मीट-द-प्रेस कार्यक्रम में अशोक गहलोत आए थे । उसी समय अजमेर के पत्रकारों ने तत्कालीन अध्यक्ष रमेश अग्रवाल के नेतृत्व में अजमेर के पत्रकारों को सस्ती दरों पर भूखंड देने की मांग उठाई थी । अशोक गहलोत के निर्देश पर अजमेर में राजस्थान की पहली पत्रकार काॅलोनी का निर्माण प्रशस्त हुआ । अजमेर के पत्रकारों को पहली बार 2002 में भूखंड आवंटित किए गए थे । तत्कालीन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने स्वयं अपने हाथों से पत्रकारों को भूखंड के पट्टे वितरित किए थे । उसके बाद अजमेर में पांच बार भूखंड आवंटित हो चुके हैं । आखिर बार 2013 में डीडी पुरम में भूखंड आवंटित हुए थे । इसके बाद तब से पत्रकार लगातार मांग कर रहे थे कि उन्हें डीडी पुरम की बजाय शहर के आसपास ही भूखंड स्थानांतरित कर दिए जाएं ।
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