वैज्ञानिकों ने ढूंढा डीजल का विकल्प; सोलन में हो रहा चमत्कार, शैवाल से बना ईंधन कई तरह आएगा काम
शोधकर्ताओं ने विकसित किया ईको फ्रेंडली बायोडीजल
कारों, ट्रकों और बसों में डीजल इंजनों को चलाने में सक्षम
सोलन के वैज्ञानिकों के समूह ने क्लोरेला पाइरेनोइडोसा नाम के एक अनोखे शैवाल का इस्तेमाल करके बायो वेस्ट से बायोडीजल बनाने के लिए एक सस्ती और ईको फ्रेंडली तकनीक विकसित की है। सोलन के वरिष्ठ वैज्ञानिक डा. सौरभ कुलश्रेष्ठ इस परियोजना पर कार्य कर रहे हैं व शोधकर्ताओं की टीम का नेतृत्व कर रहे हैं। यह नया आविष्कार पारंपरिक डीजल ईंधन के लिए एक आशाजनक विकल्प प्रदान करता है और एक अधिक टिकाऊ भविष्य बना सकता है। शोध के दौरान पाया गया कि इस प्रक्रिया में जैव-अपशिष्ट जैसे डेयरी म_ा या अन्य खाद्य और ड्रिंक वेस्ट के साथ शैवाल को उगाना शामिल है। बायोडीजल को ट्रांसएस्टरीफिकेशन नाम के रासायनिक प्रतिक्रिया का इस्तेमाल करके उत्पादित किया जाता है। अल्ट्रासोनिक तकनीक का इस्तेमाल रासायनिक प्रतिक्रिया को अनुकूलित कर सकता है, जिसके परिणामस्वरूप एक स्वच्छ ईंधन होता है, जो पारंपरिक पेट्रोल और डीजल ईंधन को बदल सकता है। बायोडीजल कारों, ट्रकों, बसों और दूसरे वाहनों में डीजल इंजनों को ईंधन दे सकता है।
इसे पेट्रोलियम डीजल के साथ मिश्रित किया जा सकता है या एक स्टैंडअलोन ईंधन के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है। इसके अलावा, इसे घरों और व्यवसायों में हीटिंग ऑयल के रूप में भी इस्तेमाल किया जा सकता है, जो पारंपरिक जीवाश्म ईंधन का विकल्प प्रदान करता है। इसके अतिरिक्त, बायोडीजल बिजली संयंत्रों में बिजली पैदा व औद्योगिक प्रक्रियाओं में ल्यूब्रिकेंट या सॉल्वेंट के रूप में भी इस्तेमाल किया जा सकता है।
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