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मना करने के बावजूद बंद नहीं की एसएमएस सुविधा,बैंक को माना दोषी, लगाया ₹7000 जुर्माना

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मना करने के बावजूद बंद नहीं की एसएमएस सुविधा,
बैंक को माना दोषी, लगाया ₹7000 जुर्माना

खाता धारक द्वारा एसएमएस अलर्ट की सुविधा नहीं चाहने के बावजूद बैंक द्वारा इस सुविधा को बंद नहीं कर शुल्क लगाने को सेवा में कमी का दोषी मानते हुए बैंक पर ₹7000 जुर्माना लगाया है।
तोपदड़ा निवासी प्रेमचंद अग्रवाल ने उपभोक्ता आयोग में परिवाद पेश कर बताया कि उसका बैंक ऑफ़ बड़ौदा रेलवे कैंपस शाखा में एक बचत खाता है। इस खाते में बहुत कम लेनदेन होता है। बैंक द्वारा प्रत्येक तिमाही एसएमएस अलर्ट सर्विस शुल्क 17 रुपए 70 पैसे प्रार्थी के खाते से काटे जाते हैं। अग्रवाल ने इस सुविधा को बंद करने के लिए दिनांक 10 मई 2018 को बैंक को एक प्रार्थना पत्र लिखा। बैंक द्वारा भविष्य में एसएमएस अलर्ट चार्ज नहीं आने का आश्वासन दिया। अग्रवाल द्वारा सितंबर माह में पासबुक में एंट्री करने पर पाया कि बैंक द्वारा अगस्त में एसएमएस अलर्ट शुल्क उसके खाते से काट लिए गए हैं जिसकी मौखिक शिकायत भी बैंक प्रबंधक से की गई। दिसंबर 2018 में पासबुक में पुनः एंट्री करने पर दिसंबर में भी एसएमएस अलर्ट चार्ज काट लिया गया।
अग्रवाल ने बैंक के इस कृत्य के विरुद्ध उपभोक्ता आयोग में परिवाद पेश किया जिस पर आयोग ने बैंक को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया। बैंक की ओर से जवाब प्रस्तुत कर बताया कि एसएमएस अलर्ट सुविधा शुल्क बैंक सॉफ्टवेयर द्वारा स्वतः ही जोड़कर खाते में से काटा जाता है तथा एवं इसी आधार पर ही उक्त शुल्क बैंक के सॉफ्टवेयर द्वारा ऑटोमेटिक सिस्टम के आधार पर खाताधारक के खाते से काटा गया है। बैंक द्वारा बताया कि खाताधारक के निवेदन पर दो बार काटा गया शुल्क लौटा दिया गया है अतः परिवाद को निरस्त किया जावे।

आयोग के अध्यक्ष रमेश कुमार शर्मा, सदस्य दिनेश चतुर्वेदी व सदस्या जय श्री शर्मा ने निर्णय में लिखा कि परिवादी द्वारा पेश दस्तावेजी साक्ष्य से परिवादी के कथनों की पुष्टि होती है तथा परिवादी द्वारा उसके खाते से एसएमएस अलर्ट सुविधा के दो बार काटे गए शुल्क व उसे लंबे समय पश्चात खाताधारक के खाते में जमा करना बैंक के स्तर पर सेवा दोष है।

आयोग ने परिवाद स्वीकार कर बैंक पर मानसिक व आर्थिक क्षतिपूर्ति हेतु रुपए पांच हजार एवं परिवाद व्यय के रुपए दो हजार दो माह में परिवादी को अदा करने के आदेश दिए।

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