युवा ख्वाबों के कब्र गाह बनते जा रहे हैं कोटा के कोचिंग संस्थान,,,,
पिछले 1 वर्ष में कोटा में कोचिंग कर रहे विभिन्न राज्यों के 25 से ज्यादा युवाओं ने सुसाइड किया है और यह आंकड़ा दिन प्रतिदिन बढ़ता ही जा रहा है इसके पीछे कौन जिम्मेदार है,क्या वह मां-बाप जो अपने बच्चों से जरूर से ज्यादा अपेक्षाएं रखकर उनके ना चाहते हुए भी उन्हें कोचिंग संस्थानों में नीट जेईई जैसी परीक्षाओं की तैयारी करने के लिए भेजते हैं या फिर वह कोचिंग संस्थान जो जरूरत से ज्यादा दबाव डाल कर छात्रों को मानसिक स्थिति पर काबू रख पाने में असफल कर देते हैं।
आखिर सरकार क्यों खामोश है, क्यों खामोश है हमारा समाज ,और क्यों खामोश है यह सारी व्यवस्था आए दिन कोई ना कोई खबर कोटा की कोचिंग संस्थान के हॉस्टलों और कमरों से आती ही रहती है बहुत मुमकिन है कि शायद हमारा सीधा वास्ता उस आत्महत्या करने वाले छात्र-छात्रा के परिवार से हो या ना हो और इसीलिए शायद हमारी संवेदनाएं भी खत्म हो जाती हैं लेकिन क्या यह कोचिंग माफियाओं का अप्रत्यक्ष रूप से बचाव करने जैसा नहीं है और कुछ हद तक इसके लिए वह मां-बाप भी जिम्मेदार होते हैं जो अनावश्यक रूप से अपने बच्चों पर दबाव डालकर उन्हें कोचिंग संस्थानों में भेजते हैं।
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