भारत के गृहमंत्री अमित शाह का जन्म दिवस
नई दिल्ली से शैलेंद्र लाटा राजनीतिक विश्लेषक पत्रकार की रिपोर्ट
अमित शाह का जन्म 22 अक्टूबर 1964 को महाराष्ट्र के मुंबई में एक व्यापारी के घर हुआ था। वे गुजरात के एक रईस परिवार से ताल्लुक रखते है। उनका गाँव पाटण जिले के चँन्दूर में है। मेहसाणा में शुरुआती पढ़ाई के बाद बॉयोकेमिस्ट्री की पढ़ाई के लिए वे अहमदाबाद आए, जहां से उन्होने बॉयोकेमिस्ट्री में बीएससी की, उसके बाद अपने पिता का बिजनेस संभालने में जुट गए। राजनीति में आने से पहले वे मनसा में प्लास्टिक के पाइप का पारिवारिक बिजनेस संभालते थे। वे बहुत कम उम्र में ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़ गए थे। 1982 में उनके अपने कॉलेज के दिनों में शाह की मुलाक़ात नरेंद्र मोदीसे हुयी। 1983 में वे अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से जुड़े और इस तरह उनका छात्र जीवन में राजनीतिक
शाह 1986 में भाजपा में शामिल हुये। 1987 में उन्हें भारतीय जनता युवा मोर्चा का सदस्य बनाया गया। शाह को पहला बड़ा राजनीतिक मौका मिला 1991 में, जब आडवाणी के लिए गांधीनगर संसदीय क्षेत्र में उन्होंने चुनाव प्रचार का जिम्मा संभाला। दूसरा मौका 1996 में मिला, जब अटल बिहारी वाजपेयी ने गुजरात से चुनाव लड़ना तय किया। इस चुनाव में भी उन्होंने चुनाव प्रचार का जिम्मा संभाला। पेशे से स्टॉक ब्रोकर अमित शाह ने 1997 में गुजरात की सरखेज विधानसभा सीट से उप चुनाव जीतकर अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत की। 1999 में वे अहमदाबाद डिस्ट्रिक्ट कोऑपरेटिव बैंक (एडीसीबी) के प्रेसिडेंट चुने गए। 2009 में वे गुजरात क्रिकेट एसोसिएशन के उपाध्यक्ष बने। 2014 में नरेंद्र मोदी के अध्यक्ष पद छोड़ने के बाद वे गुजरात क्रिकेट एसोसिएशन के अध्यक्ष बने। 2003 से 2010 तक उन्होने गुजरात सरकार की कैबिनेट में गृहमंत्रालय का जिम्मा संभाला।[5]
2012 में नारनुपरा विधान सभा निर्वाचन क्षेत्र से उनके विधानसभा चुनाव लड़ने से पहले उन्होंने तीन बार सरखेज विधान सभा निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया। वे गुजरातके सरखेज विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र से चार बार क्रमश: 1997 (उप चुनाव), 1998, 2002 और 2007 से विधायकनिर्वाचित हो चुके हैं। वे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के करीबी माने जाते हैं। शाह तब सुर्खियों में आए जब 2004 में अहमदाबाद के बाहरी इलाके में कथित रूप से एक फर्जी मुठभेड़ में 19 वर्षीय इशरत जहां, ज़ीशान जोहर और अमजद अली राणा के साथ प्रणेश की हत्या हुई थी। गुजरातपुलिस ने दावा किया था कि 2002 में गोधरा बाद हुए दंगों का बदला लेने के लिए ये लोग गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को मारने आए थे। इस मामले में गोपीनाथ पिल्लई ने अदालत में एक आवेदन देकर मामले में अमित शाह को भी आरोपी बनाने की अपील की थी। हालांकि 15 मई 2014 को सीबीआई की एक विशेष अदालत ने शाह के विरुद्ध पर्याप्त साक्ष्य न होने के कारण इस याचिका को ख़ारिज कर दिया।[6]
एक समय ऐसा भी आया जब सोहराबुद्दीन शेख की फर्जी मुठभेड़ के मामले में उन्हें 25 जुलाई 2010 में गिरफ्तारी का सामना करना पड़ा। शाह पर आरोपों का सबसे बड़ा हमला खुद उनके बेहद खास रहे गुजरात पुलिस के निलंबित अधिकारी डीजी बंजारा ने किया।[5] सोलहवीं लोकसभा चुनाव के लगभग 10 माह पूर्व शाह दिनांक 12 जून 2013 को भारतीय जनता पार्टी के उत्तर प्रदेश का प्रभारी बनाया गया, तब प्रदेश में भाजपा की मात्र 10 लोक सभा सीटें ही थी। उनके संगठनात्मक कौशल और नेतृत्व क्षमता का अंदाजा तब लगा जब 16 मई 2014 को सोलहवीं लोकसभाके चुनाव परिणाम आए। भाजपा ने उत्तर प्रदेश में 71 सीटें हासिल की। प्रदेश में भाजपा की ये अब तक की सबसे बड़ी जीत थी। इस करिश्माई जीत के शिल्पकार रहे अमित शाह का कद पार्टी के भीतर इतना बढ़ा कि उन्हें भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष का पद प्रदान किया गया
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