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ए आई के सार्थक उपयोग से बनेगा विकसित भारत

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महर्षि दयानंद सरस्वती विश्विद्यालय , अजमेर
ए आई के सार्थक उपयोग से बनेगा विकसित भारत

अजमेर, 23 जनवरी। महर्षि दयानंद सरस्वती विश्विद्यालयमें दो दिवसीय अंतरमहाविद्यालय कल्चरल कॉम्पिटिशन की शुरूआत मंगलवार को उत्साह के साथ हुई। पहले दिन एलोकेशन और डिबेट के साथ-साथ रंगोली, मांडना, मिमिक्री, नाटक आदि प्रतियोगिताएं हुईं, जिनमें विभिन्न महाविद्यालयों के छात्र-छात्राओं ने बढ़-चढ़कर भाग लिया।
वाग्मिता (एलोकेषन) के तहत कृत्रिम बुद्धिमत्ता-अवसर और चुनौतियां विषय पर विद्यार्थियों ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) मानवीय क्षमता से आगे नहीं निकल सकता। एआई में निश्चित रूप से चुनौतियों के साथ-साथ अवसर भी हैं। एआई रोबोट की तरह मानव निर्मित है। प्रतिभागियों ने कहा कि एआई को मानव ने बनाया है और एआई ने मानव को नहीं बनाया है। कक्षाओं में रोबोट तकनीक और रोबोट मानव शिक्षकों की जगह नहीं ले सकते। निश्चित रूप से, एआई स्वास्थ्य, उत्पादन और इसी तरह के क्षेत्रों यहां तक कि स्वचालन में भी मदद कर रहा है। प्रतिभागियों ने कहा कि एआई की शुरुआत 1970 के दशक में एआई कंप्यूटर के माध्यम से हुई और मानव जाति की मदद के लिए संज्ञानात्मक प्रक्रिया शुरू हुई। एआई का मूल उद्देश्य बाजार विश्लेषण, डेटा विश्लेषण और मानव को गणना के बेहतर परिणाम प्राप्त करने में मदद करना है। चूंकि एआई में संज्ञानात्मक कार्य और निर्णय लेने का कौशल नहीं हो सकता है। यहां तक कि एआई भविष्य में होने वाली घटनाओं का संकेत भी दे सकता है और सिस्टम में आई खामी को दूर करने में मदद कर सकता है। लेकिन एक अन्य समूह का कहना है कि अगर हम भविष्य में एआई के प्रतिबंध के प्रति अंधे हो जाएंगे तो एक दिन एआई इंसानों से आगे निकल जाएगा क्योंकि वे समझने का कौशल विकसित कर रहे हैं। क्योंकि एआई के साथ मनुष्य अपनी मानसिक क्षमता और गणना की क्षमता को कमजोर कर रहे हैं और एआई पर निर्भरता निश्चित रूप से एआई को मनुष्यों से अधिक शक्तिशाली बना देगी
डीन छात्र कल्याण प्रो0 शिव प्रसाद ने बताया कि छात्रों ने वाद-विवाद प्रतियोगिता के अंतर्गत ’’भारत की वर्तमान दिशा 2047 तक भारत को विकसित देश के रूप में देखने का सपना साकार करेगी’’ विषय पर विद्यार्थियों ने पक्ष और विपक्ष में तर्कों से अपनी बात को सिद्ध किया। प्रस्ताव के पक्ष में प्रतिभागियों ने यह विचार रखा कि वर्तमान में भारत शिक्षा, प्रौद्योगिकी, बुनियादी ढांचे और यहां तक कि अर्थव्यवस्था के क्षेत्र में भी विकास कर रहा है। प्रतिभागियों ने यह विचार और तथ्य सामने रखे कि भारत ने आयात और विदेशी मुद्रा के क्षेत्र में अपनी नीतियां बदल दी हैं और नतीजा यह निकला कि अब 18 देश भारत के साथ रुपए की मुद्रा में व्यापार कर रहे हैं। भारत की जीडीपी बढ़ रही है क्योंकि उत्पादन बढ़ रहा है और नई नीतियों के साथ, ’आत्मनिर्भर भारत’ और मेड इन इंडिया इस देश के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। प्रतिभागियों ने बताया कि एसएमई-लघु उद्योग अब देश के विकास में 50 प्रतिशत योगदान दे रहे हैं, भारत की मुद्रा दुनिया भर के 18 देशों द्वारा साझा की जाती है। किसी भी देश के विकास का सबसे बड़ा हिस्सा वहां का बुनियादी ढांचा होता है और इस समय भारत में बुनियादी ढांचा चाहे वह सड़क हो, रेल जहाज हो या हवाई मार्ग हो, तेजी से विकसित हो रहा है। विषय के विपक्ष में बोलने वाले प्रतिभागियों ने इस बात का विरोध किया कि भारत में कृषि, जो प्रमुख क्षेत्र है में सेवा क्षेत्र की तरह बढ़ोतरी नहीं हुई है। 50 प्रतिशत से अधिक रोजगार पैदा करने वाली कृषि विकास की राह में मात्र 18 प्रतिशत रोजगार प्रदान कर रही है। 50 प्रतिशत आबादी युवाओं की है जिनकी उम्र 28 साल से कम है, फिर भी 32 साल पार कर चुके लोगों को रोजगार नहीं मिल रहा है या वे अपने रोजगार से संतुष्ट नहीं हैं। विपक्ष का कहना है कि विकास का कोई रोडमैप नहीं है, इसलिए देश में अभी भी गरीबी व्याप्त है और इसलिए उन्हें 2047 तक भारत को विकसित देश बनाने के सपने को पूरा करने की दिशा नहीं मिल रही है।
इसके अलावा मांडना, रंगोली, मिमिक्री, नाटक आदि प्रतियोगिताएं भी हुईं जिनमें तोता रटंत के स्थान पर व्यवहारिक ज्ञान, सोशल मीडिया की जकड़ में आकर जीवन का विनाश हो जाना तथा जीवन की सफलता के लिए धन के पीछे भागने की प्रवृति पर युवाओं में विकसित भारत के आलोक में सजगता का प्रकटीकरण हुआ। आयोजन में प्रो0 सुभाष चन्द्र, प्रो0 ऋतु माथुर, प्रो0 नरेश कुमार धीमान, प्रो0 आशीष भटनागर, डॉ. आशीष पारीक, डॉ. दीपिका उपाध्याय ने इवेण्ट इंचार्ज के रूप में अपने दायित्वों का कुशलता पूर्वक निर्वहन किया। प्रो0 शिव प्रसाद ने बताया कि प्रतियोगिता का समापन 24 जनवरी के होगा एवं समापन कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में डीआरएम अजमेर राजीव धनखड़ तथा विशिष्ट अतिथि हिंदुस्तान जिंक के निदेशक के सी मीणा होंगे। समापन कार्यक्रम की अध्यक्षता विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो0 अनिल कुमार शुक्ला करेंगे।

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