KAL KA SAMRAT NEWS INDIA

हर नजरिए की खबर, हर खबर पर नजर

Home » इस फिक्र की वजह क्या है?
Spread the love

इस फिक्र की वजह क्या है?
यह तस्वीर किसी छिपे हुए अफसाने को बयां कर रही है। वो अफसाना जिसने राजनीति के सफर में चालीस साल पूरे करने वाले रामचन्द्र चौधरी को थका दिया है या फिर इतनी खुशी दे दी है कि इज़हार होने का इंतजार कर रही है। शुक्रवार को अजमेर में कांग्रेस के लोकसभा प्रत्याशी रामचन्द्र चौधरी जब अपना नामांकन दाखिल कर कलेक्ट्रेट परिसर में मीडिया से रुबरु हुए तो उत्साह से लबरेज, चिरपरिचित मुस्कान से आखों में बढ़ जाने वाली चमक वाले रामचन्द्र चौधरी की जगह गंभीरता ओढ़े, फीकी मुस्कान, कुछ थके से रामचन्द्र चौधरी का सामना हुआ। कांग्रेस के प्रत्याशी के रुप में स्वयं को देखने का सपना रामचन्द्र चौधरी ने हर चुनाव से पहले देखा है और हर चुनाव में उम्मीद की उड़ान भर दिल्ली-जयपुर-अजमेर के बीच खुद को खूब थकाया है। अपने मजबूत जनआधार को प्रदर्शित करने के लिए अपने साथ किसानों को जोड़े रखा है। जाट और गुर्जर समुदाय के गौ पालकों को साधे रखना कोई बच्चों का खेल नहीं है। दूधारु पशु पालकों समस्याओं को समझना, उनकी सोच को जानना, उनके घर की जरुरतों को समझना और उनका समाधान करना रामचन्द्र चौधरी को इतना लोकप्रिय कर गया है कि पिछले पच्चीस सालों से अजमेर डेयरी के अध्यक्ष पद पर हैं। अजमेर जिले के जाट, गुर्जर और मुस्लिम बहुल्य गांवों में रामचन्द्र चौधरी एक ऐसा नाम है जो उनके सुख दुख में साथ बरसों से खड़ा रहा है। चौधरी के सामने ही देखते देखते उनसे जुड़े किसानों की तीसरी नई पीढ़ी जवान हो गई है। अब बरसों बाद यह मौका आया है जब कांग्रेस ने उनकी काबलियत को पहचाना है, उनकी पार्टी के साथ बरसों की वफादारी, उनके जिले भर में जाट, गुर्जर और मुस्लिम समुदायमें मज़बूत संपर्क को जाना है। कांग्रेस आलाकमान की सोच है कि बुजुर्ग नेताओं के अनुभव और युवा नेताओं की उर्जा का मिश्रण पार्टी के लिए सबसे उत्तम है यही कारण रहा कि अजमेर से जब अनुभवी बुजुर्ग रामचन्द्र चौधरी के नाम पर सहमति जताई तो उनके साथ युवा उर्जावान नेता विकास चौधरी को साथ कर दिया। नामांकन दाखिल करते समय रामचन्द्र चौधरी के साथ विकास चौधरी और अजमेर नगर निगम में नेता प्रतिपक्ष द्रोपदी कोली साथ खड़े थे। लेकिन फिर भी सवाल हवा में तैर रहे थे। पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, प्रदेशाध्यक्ष गोविंद डोटासरा, प्रदेश प्रभारी रंधावा ने एक दिन पूर्व ही रामचन्द्र चौधरी से फोन पर बात की थी। सभी बड़े नेताओं का नामांकन सभा में आने का प्रचार किया गया था फिर वो क्यों नहीं आए ? कलेक्ट्रेट परिसर में उमड़ी खबरनवीसों की भीड़ में यही सवाल थे। शायद रामचन्द्र चौधरी को जवाब मालूम हो जिन्हे छिपाए रखना मौके की नज़ाकत समझा हो। पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को अपना आदर्श मानने वाले रामचन्द्र चौधरी ने इंदिरा गांधी से लेकर राजीव गांधी, नरसिंह राव, मनमोहन सिंह, सोनिया गांधी, राहुल गांधी तक का राजनैतिक समय देखा है। राजनीति के इस सफर ने उनके पांव में छाले भी किए हैं। लेकिन रामचन्द्र चौधरी रुके नहीं। राजनीति के सफर में वसुंधरा राजे के साथ भी चले। फिर मोड़ आया और कांग्रेस के पथ पर आ मिले। देश की सबसे पुरानी पार्टी के पुराने नेता अब युवा नेता के साथ दिन रात एक कर चुनाव जीत लेने के मिशन पर चल निकले हैं। विपक्ष मजबूत है, दिख भी रहा है। हौसला अफज़ाई के लिए कम से कम अपनों का साथ तो चाहिए ही।

You may have missed

Skip to content