इतनी करारी हार पर हार मिलने के बावजूद अजमेर कांग्रेस में हार की समीक्षा करने जैसी औपचारिकताएं भी नहीं हो रही,,,,।
लोकसभा चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी डेयरी अध्यक्ष एवं कांग्रेस पार्टी के दिग्गज जाट नेता रामचंद्र चौधरी की बुरी तरह से हुई करारी हार के बावजूद अजमेर शहर जिला कांग्रेस कमेटी में इस हार की समीक्षा के लिए भी कोई औपचारिकता पूर्ण नहीं की जा रही ऐसा लगता है,, जैसे सभी कांग्रेसी पहले से ही तय मानकर बैठे थे कि हार तो तय है इसीलिए हार की औपचारिक घोषणा होने के बावजूद भी कोई विचार विमर्श अथवा हार पर समीक्षा करने जैसी किसी औपचारिक मीटिंग की घोषणा तक नहीं हुई हार के क्या कारण रहे, कौन जिम्मेदार था ,,क्या कोई भितरघात हुआ ,,या पार्टी कार्यकर्ताओं ने कार्य नहीं किया, सरकारी मशीनरी का दुरूपयोग हुआ,, आखिर क्या वजह रही की रामचंद्र चौधरी जैसे लोकप्रिय दूध डेयरी अध्यक्ष को इस तरह से करारी हार का सामना करना पड़ा। अजमेर शहर जिला कांग्रेस कमेटी यह तय मांन कर बैठी है कि हार तो तय थी औपचारिक घोषणा 4 जून को की गई इसमें हमारा कोई लेना-देना नहीं है।
पिछले 40 वर्ष के लोकसभा चुनाव के इतिहास में मात्र सात आठ वर्ष ही कांग्रेस पार्टी का प्रतिनिधित्व अजमेर संसदीय क्षेत्र से रह पाया है इसके अलावा भारतीय जनता पार्टी का ही वर्चस्व इस संसदीय क्षेत्र पर रहा है।
वही विधानसभा चुनाव में भी कांग्रेस पार्टी लगातार हारती आ रही है इसके बावजूद भी किसी प्रकार की कोई सुगबुगाहट कांग्रेस पार्टी में नहीं सुनाई देती।
या यूं कहे कि कांग्रेस पार्टी का शहर जिला संगठन शून्यता की स्थिति में पहुंच चुका है संगठन नाम की कोई चीज अजमेर जिले में नजर नहीं आती है ,संगठन के नाम पर जम्बो कार्यकारणी यां तो बनी हुई है ,परंतु जमीनी स्तर पर कुछ नहीं है , अजमेर उत्तर और दक्षिण लगातार पांच बार हारने के बावजूद कांग्रेस संगठन न जाने किस मदहोशी और बेहोशी की हालत से गुजर रहा है क्या यह बात पूरी तरह से फिट बैठ चुकी है किअजमेर उत्तर और दक्षिण विधानसभा कांग्रेस कभी जीत ही नहीं सकती शायद यही कारण है कि हार की समीक्षा करने जैसा कोई कदम भी उठाना मुनासिब नहीं समझा जाता, आखिर क्यों लगातार पांच बार से अजमेर उत्तर और दक्षिण के चुनाव कांग्रेस हारती आ रही है कौन जिम्मेदार है, क्या कारण है, क्या कार्यकर्ताओं में जोश की कमी है,क्या कार्यकर्ता समझदार नहीं है, क्या कार्यकर्ताओं को चुनाव मैनेजमेंट नहीं आता, क्या कांग्रेस पार्टी के बूथ कमजोर है, कुछ तो समीक्षा हो लेकिन नहीं ऐसा कुछ भी नहीं हो रहा ,और ना ही होने वाला है। क्या भाजपा ने अजमेर को कोंग्रस मुक्त कर दिया है।
भारतीय जनता पार्टी की संगठन क्षमता और उसके संगठन के मुकाबले कांग्रेस पार्टी का संगठन इसके कार्यकर्ता और इसके नेता कहीं नहीं ठहरते हैं।ऐसे में कांग्रेस पार्टी आखिर जीत भी कैसे सकती है परंतु उससे ज्यादा भयावह स्थिति यह है कि लगातार हारने के बावजूद भी कांग्रेस पार्टी का जिला प्रदेश एवं केंद्रीय नेतृत्व इस प्रकार लगातार हो रही पराजय का कोई विश्लेषण मंथन करने की औपचारिकता मात्र भी नहीं निभा रहा।
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