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तेलंगाना हाउस का विरोध कोई राजनीतिक षड्यंत्र तो नहीं, क्या होगा यदि दक्षिण के लोग प्रवासी राजस्थानी यों का विरोध करना आरंभ करें,,

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तेलंगाना हाउस का विरोध कोई राजनीतिक षड्यंत्र तो नहीं, क्या होगा यदि दक्षिण के लोग प्रवासी राजस्थानी यों का विरोध करना आरंभ करें,,
विशेष आलेख अजमेर में इन दिनों तेलंगाना हाउस का विरोध को लेकर चर्चाएं जोरों पर है आखिर क्यों किया जा रहा है तेलंगाना हाउस का विरोध क्या केवल इसलिए कि यहां पर आने वाले और ठहरने वाले लोगों में अधिकांश लोग इस्लाम को मानने वाले मुसलमान होंगे वही इस्लाम जिनके ख्वाजा गरीब नवाज की दरगाह अजमेर में विश्व प्रसिद्ध है और जिस दरगाह की बदौलत अजमेर के लगभग 15000 परिवारों की रोजी-रोटी चलती है आखिर वस्तुस्थिति स्पष्ट क्यों नहीं है, आखिर किस कारण से विरोध किया जा रहा है तेलंगाना हाउस का जबकि स्थानीय प्रशासन, अजमेर विकास प्राधिकरण एवं स्वयं तेलंगाना के मुख्य सचिव और मंत्री ने भी यह स्पष्ट किया है कि तेलंगाना हाउस में आने वाले लोग सभी धर्म और समाजों के होंगे यदि राजस्थान हाउस में जो कि दिल्ली में स्थित है एक धर्म विशेष या वर्ग विशेष को ही अनुमति प्रदान की जाए तो क्या स्थिति होगी क्या यह भारतीय धर्मनिरपेक्षता वादी चेहरे के ऊपर कालिख पोतने के समान नहीं होगा, भारत एक धर्मनिरपेक्ष मूल्यों को सहेजने वाला लोकतांत्रिक गणराज्य है जिसमें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर गंगा जमुनी तहजीब के रूप में अजमेर का नाम स्वर्ण अक्षरों में लिखा जाता है अजमेर में विश्व प्रसिद्ध ब्रह्मा जी के मंदिर के साथ-साथ ख्वाजा गरीब नवाज की दरगाह भी है जो कि हिंदू मुस्लिम सभ्यता और संस्कृति को सहेजने वाली और सुरक्षित रखने वाली मानी जाती है। जिसका विश्व में आदर से नाम लिया जाता है।
क्या होगा यदि दक्षिण भारत में भी प्रवासी राजस्थानी यों के खिलाफ ऐसा ही माहौल बनने लगे।
तेलंगाना हाउस का विरोध करने वाले लोगों को यह भी समझना होगा कि अजमेर के साथ-साथ राजस्थान के प्रवासी राजस्थानी यों का देश के दक्षिण क्षेत्र में दक्षिण भारत के राज्यों में केरल, कर्नाटक, तमिलनाडु, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश ,उड़ीसा ,महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल एवं पूर्वोत्तर के राज्यों में बड़े पैमाने पर कार्य, व्यवसाय एवं धंधे रोजगार चलते हैं यदि दक्षिण भारत के राज्यों में और वहां की जनता ने,वहां की आवाम ने भी इसी तरह प्रकार से राजस्थानी ओ का विरोध करना आरंभ किया तब क्या होगा क्या यह भारत के संघीय ढांचे पर गहरा आघात नहीं होगा गौर करने लायक बात है विरोध करने को तो कोई भी जायज ठहरा सकता है, लेकिन वास्तविक परिस्थितियों में और तथ्यपरक मूल्यों के आधार पर विरोध करना लाजमी होता है, जहां तक तेलंगाना हाउस और तेलंगाना सरकार का मामला है तो वह एक बहुत ही शानदार आर्किटेक्ट के माध्यम से आलीशान भवन का निर्माण करेंगे जो कि अजमेर में एक और देखने लायक स्मारक होगा।
तेलंगाना हाउस का विरोध कहीं किसी सनक का शिकार तो नहीं है क्योंकि लोग बिना सोचे समझे ही विरोध करने के नाम पर विरोध किए जा रहे हैं, आखिर तेलंगाना के लोग भी भारत के ही नागरिक हैं तेलंगाना के नागरिकों का जो कि जायरीन के रूप में अजमेर में आएंगे और यहां के राजस्व में वृद्धि करेंगे उनका विरोध किस हद तक जायज है समझ से परे है जबकि दरगाह क्षेत्र में यह भी विख्यात है कि दक्षिण भारत के जायरीन ही सही मायनों में अच्छा पैसा अजमेर में खर्च करके जाते हैं अच्छी होटलों में रुकते हैं, अच्छा भोजन करते हैं, और चढ़ावा भी बढ़िया ही चढ़ाते हैं जिनसे की हजारों अजमेर वासियों का घर चलता है रोजी, रोटी ,रोजगार चलता है।
यदि दक्षिण भारत में भी किसी सनकी ने ऐसा ही कोई शगुफा छोड़ दिया

कि उनके राज्यों में उत्तर भारतीयों का कोई काम नहीं वह वापस लौटे तो यह स्थिति कितनी भयानक और खतरनाक हो सकती है जिस प्रकार अभी हाल ही में देखने में आया है कि तमिलनाडु में एक फर्जी वीडियो बनाया गया जिसमें कि बिहारी मजदूरों को मार मार कर भगा ते हुए दिखाया गया जिसके कारण बहुत बड़ा बवेल्ला बिहार सरकार से लेकर तमिलनाडु की सरकार और केंद्र सरकार तक को इस मामले में अपने स्पष्टीकरण जारी करने पड़े।
ऐसे में अजमेर वासियों का यह तथाकथित तेलंगाना हाउस का विरोध कहीं आग में घी डालने जैसा साबित ना हो और गले की हड्डी ना बन जाए क्योंकि केवल विरोध करने के लिए विरोध करना और अपनी सनक को पूरा करना किसी भी हद तक जायज नहीं ठहराया जा सकता। अजमेर विकास प्राधिकरण एवं स्थानीय प्रशासन के स्तर पर यह तो तय है कि तेलंगाना हाउस वहीं बनेगा जो जगह चिन्हित एवं आवंटित की गई है और वह भी भारतीय जनता पार्टी की वसुंधरा राजे सरकार के समय अजमेर विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष रहे शिव शंकर हैड़ा के द्वारा चिन्हित की गई थी एवं आवंटित की गई थी।
इस पूरे प्रकरण में गौर करने लायक बात यह है कि स्थानीय कांग्रेस पार्टी जोकि अपने आप को धर्मनिरपेक्षता का चेहरा बताती है और जिसकी प्रदेश में सरकार भी है के स्थानीय नेता एकदम खामोश हैं , वही दरगाह से जुड़े विभिन्न संगठन खादिमों कि संस्थाएं एवं इस्लाम की पैरों कारी करने वाले लोग भी शांत हैं, कोई भी अपना मंतव्य एवं स्थिति स्पष्ट करने के लिए सामने नहीं आ रहा ,क्या यह आग में घी डालने जैसा काम नहीं हो रहा है आखिर राजनीतिक स्तर पर ही इसका हल निकाला जा सकता है क्योंकि तेलंगाना हाउस के विरोध के मामले में भी केवल तथाकथित रूप से राजनीति ही हो रही है इसे मुद्दा बनाकर भूनाय जाने के प्रयास किए जा रहे हैं शहर के जिम्मेदार लोगों को , उन लोगों को जो कि शहर की इस राज्य की और इस देश की गंगा जमुनी तहजीब वाली संस्कृति से प्रेम करते हैं और इसे अक्षुण्ण बनाए रखना चाहते हैं,इसके लिए आगे आना होगा और स्थिति स्पष्ट करनी होगी वरना यह कितना घातक हो सकता है इसका अंदाजा लगाना बहुत मुश्किल है।

कायदे से तो अजमेर शहर की जो पहचान राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कायम है उसके मद्देनजर राजस्थान सरकार को देश के सभी राज्यों के लिए अपने अपने हाउस के निर्माण के लिए आरक्षित दरों पर भूमि आवंटित करनी चाहिए जिससे की Ajmer के पर्यटन व्यवसाय को और ज्यादा गति मिलेगी एवं उसका विस्तार होगा।

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